कोरोना महामारी को खत्म करने के तमाम प्रयास किए जा रहे हैं। देश में अब तक 74 करोड़ से अधिक लोगों को कोविड रोधी टीका भी लगाया जा चुका है, लेकिन संक्रमण के बढ़ते-घटते मामलों को देख कर ऐसा लगता नहीं है कि यह महामारी इतनी जल्दी खत्म होने वाली है। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, फिलहाल देश में कोरोना से स्वस्थ होने की दर 97.51 फीसदी है। अब तक तीन करोड़ 24 लाख से अधिक रोगी संक्रमण मुक्त हो चुके हैं। हालांकि समस्या तो इसके बाद भी बनी हुई है। दरअसल, कोरोना से ठीक हो चुके लोगों में भी कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं देखने को मिल रही हैं। इनमें कुछ सामान्य हैं तो कुछ बेहद ही गंभीर, जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। लोगों में दिल और फेफड़ों संबंधी समस्याएं भी सामने आ रही हैं। ऐसे में आइए विशेषज्ञ से जानते हैं कि कोरोना से ठीक होने वाले लोग आखिर कैसे जानें कि उनके दिल या फेफड़े में कोई समस्या नहीं है?
{"_id":"613dd6238ebc3ec6342ee3e5","slug":"coronavirus-in-india-post-covid-effects-on-heart-and-lungs-coronavirus-question-answer","type":"photo-gallery","status":"publish","title_hn":"विशेषज्ञ: कोरोना से ठीक होने वाले इन लक्षणों पर जरूर दें ध्यान, हो सकती हैं गंभीर समस्याएं","category":{"title":"Health & Fitness","title_hn":"हेल्थ एंड फिटनेस","slug":"fitness"}}
विशेषज्ञ: कोरोना से ठीक होने वाले इन लक्षणों पर जरूर दें ध्यान, हो सकती हैं गंभीर समस्याएं
हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: सोनू शर्मा
Updated Sun, 12 Sep 2021 04:03 PM IST
विज्ञापन
प्रतीकात्मक तस्वीर
- फोटो : iStock
Trending Videos
कोरोना पर विशेषज्ञ की राय
- फोटो : Twitter/Air
कोरोना से ठीक होने के बाद कई लोगों के लिए लंग्स में परेशानी जानलेवा बन जाती है, क्या कहेंगे?
- गुरुग्राम स्थित मेदांता अस्पताल के डॉ. अरविंद कुमार कहते हैं, '15-20 प्रतिशत लोगों में कोरोना की बीमारी मॉडरेट (मध्यम) या सीवियर (गंभीर) बीमारी होती है। उनके लंग्स (फेफड़े) प्रभावित होते हैं, वेंटिलेटर पर जाना पड़ता है। हालांकि इनकी संख्या बहुत कम होती है। जिन लोगों के लंग्स प्रभावित होते हैं, वो कोरोना की वजह से नहीं, बल्कि वायरस को मारने के लिए एक्टिव (सक्रिय) हो जाते हैं और उसमें वो डैमेज होने लगते हैं। इसी वजह से क्लॉटिंग, हार्ट आदि की समस्या हो सकती है। ऐसे रिस्क ग्रुप के लोगों को स्टेरॉयड, खून पतला करने की दवा आदि दी जाती है। ऐसे लोगों को लंबे समय तक अपना ख्याल रखना है। जो लोग लापरवाही करते हैं, उनके लिए समस्या बढ़ जाती है।'
विज्ञापन
विज्ञापन
कोरोना पर विशेषज्ञ की राय
- फोटो : Twitter/Air
कोरोना से ठीक होने वाले कैसे जानें कि उनके हार्ट या लंग्स में कोई समस्या नहीं है?
- डॉ. अरविंद कुमार कहते हैं, 'अगर अस्पताल से ऑक्सीजन पर रिलीज हुए हैं, तो उसे लेते रहें और उसे मॉनिटर करते रहें। कोरोना काल में ऑक्सीजन सेचुरेशन 92 से कम होने पर डेंजर जोन माना जाता है। इसलिए रेस्ट पर या एक्टिविटी होने पर ध्यान देते रहें। अगर कम होती है तो ऑक्सीजन देनी है, कम से कम आपका ऑक्सीजन सेचुरेशन 92 से कम न होने दें। अगर घर पर आने पर भी ऑक्सीजन 90 से कम होने लगा है, तो डॉक्टर से संपर्क करें, ऐसे में फेफड़ों में कुछ हो सकता है। ऐसे ही हार्ट रेट भी पल्स ऑक्सीमीटर से नापते रहें। कुछ लोगों में एक्टिविटी होने पर हार्ट रेट बढ़ जाती है या लो हो जाती है। अगर 50-60 से कम हो रही है या 140-150 से ज्यादा हो रही है, तो गंभीर संकेत हैं। पैर में सूजन हो गई है, चलने-फिरने पर चेस्ट पेन बढ़ रहा है तो डॉक्टर से संपर्क करें।'
कोरोना पर विशेषज्ञ की राय
- फोटो : Twitter/Air
कोरोना का असर अगर सीधा लंग्स पर न हो तो इलाज कैसे करते हैं?
- डॉ. अरविंद कुमार कहते हैं, 'मॉडरेट (मध्यम) या सीवियर (गंभीर) ग्रुप में लंग्स (फेफड़े) प्रभावित होते हैं। इन लोगों में जब इनक्यूबेशन पीरियड चलता है और इसी समय एंटीवायरल दें तो वह जल्दी ठीक हो जाते हैं। जिन लोगों के लंग्स (फेफड़े) इंफेक्टेड (संक्रमित) होते हैं, उनमें सूजन होती है और उन्हें कम करने के लिए स्टेरॉयड देते हैं। इसी तरह क्लॉटिंग को रोकने के लिए ब्लड थिनर देते हैं। हार्ट (हृदय) का इनवॉल्वमेंट होता है तो उसकी दवा देते हैं। यानी कह सकते हैं कि हम वायरस को नष्ट करने या खत्म करने की दवा नहीं देते हैं, बल्कि शरीर में जो समस्या होती है, उसे दवा देकर दूर करते हैं।'
विज्ञापन
कोरोना पर विशेषज्ञ की राय
- फोटो : Twitter/Air
कोरोना में डेथ (मृत्यु) का क्या कारण है?
- डॉ. अरविंद कुमार कहते हैं, 'कोरोना में डेथ (मृत्यु) के मल्टीपल (बहुत) कारण हैं। एक तो कोमोरबिडिटी वाले मरीज, जैसे डायबिटीज, हाइपरटेंशन, कैंसर, हार्ट के मरीज, कोई सर्जरी तुरंत की हुई है। ऐसे लोगों में संक्रमण से बीमारी बढ़ने की संभावना ज्यादा होती है। अगर किसी को कोविड हुआ है और उसे कोई अन्य बीमारी नहीं है, मरीज युवा है, लेकिन ऑक्सीजन लेवल काफी लो हो गया है, फिर भी वह रिकवर कर जाता है। वहीं दूसरे मरीज में कोरोना वायरस का इनवॉल्वमेंट ज्यादा नहीं है, फिर भी उनमें पहले से कोई बीमारी होना, उनकी आयु आदि मैटर करती है। इसलिए सभी को बहुत सतर्कता बरतनी है।'