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Air Pollution: प्रदूषण की वजह से ट्रिगर हो गया है आपका माइग्रेन? जान लें इससे बचाव के उपाय

हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: शिखर बरनवाल Updated Sun, 21 Dec 2025 08:49 PM IST
सार

Migraine Relief Tips in Air Pollution: माइग्रेन एक बेहद गंभीर समस्या है, जो अक्सर ही संवेदनशील वातावरण में ट्रिगर हो जाते हैं। ऐसे में जिन लोगों को माइग्रेन की समस्या पहले से है उन्हें इस वायु प्रदूषण में कुछ सावधानियां जरूर बरतनी चाहिए।

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माइग्रेन (सिरदर्द की समस्या) - फोटो : Adobe Stock

Home Remedies To Stop Migraine Triggers: दिल्ली में इन दिनों ठंड और वायु प्रदूषण दोनें ही अपने चरम पर है। अधिक AQI वाले वायु प्रदूषण का सीधा असर हमारे फेफड़ों पर पड़ रहा है। मगर ध्यान देने वाली बात यह है कि इस प्रदूषण का दुष्प्रभाव सिर्फ फेफड़ों के बीमारी तक सीमित नहीं है, ये हमारे संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक है।



यह माइग्रेन के मरीजों के लिए भी एक बड़ा खतरा बनकर उभरा है। जब हवा में PM 2.5 और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड जैसे हानिकारक कणों का स्तर बढ़ता है, तो ये सांस के जरिए हमारे रक्तप्रवाह में प्रवेश करते हैं। ये प्रदूषक मस्तिष्क की नसों में सूजन पैदा करते हैं और 'ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस' को बढ़ाते हैं, जिससे माइग्रेन का दर्द ट्रिगर हो जाता है।

डॉक्टरों के अनुसार, प्रदूषित हवा में मौजूद सूक्ष्म कण शरीर के 'ट्राइजेमिनल नर्व' को उत्तेजित करते हैं, जो सिरदर्द के लिए जिम्मेदार मुख्य तंत्रिका है। इसके अलावा, स्मॉग के कारण होने वाली ऑक्सीजन की कमी और हवा में मौजूद तीखी गंध माइग्रेन के दौरे को अधिक गंभीर और लंबा बना सकती है। अगर आपको प्रदूषण वाले दिनों में सिर के एक हिस्से में तेज धड़कन जैसा दर्द और रोशनी से दिक्कत महसूस हो रही है, तो यह स्पष्ट रूप से पर्यावरण जनित माइग्रेन का संकेत है।

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वायु प्रदूषण - फोटो : Adobe Stock

क्या करें?
प्रदूषण से बचने के लिए N95 या N99 मास्क का उपयोग अनिवार्य है, क्योंकि सामान्य कपड़े के मास्क सूक्ष्म कणों को नहीं रोक पाते। घर के अंदर हवा को साफ रखने के लिए HEPA फिल्टर वाले एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें। कोशिश करें कि जब प्रदूषण का स्तर (AQI) अपने चरम पर हो, तो सुबह और शाम की बाहर जानें से बचें। घर की खिड़कियां बंद रखें ताकि बाहर की जहरीली हवा अंदर न आ सके।


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पीने का पानी - फोटो : Adobe Stock

हाइड्रेशन और डाइट पर विशेष ध्यान
प्रदूषण के प्रभाव को कम करने के लिए शरीर को डिटॉक्स करना जरूरी है। भरपूर पानी पिएं, क्योंकि डिहाइड्रेशन माइग्रेन के दर्द को और अधिक बढ़ा देता है। अपनी डाइट में मैग्नीशियम और ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे बादाम, अखरोट और अलसी के बीज शामिल करें। अदरक की चाय का सेवन भी नसों की सूजन कम करने और मतली से राहत दिलाने में अत्यंत प्रभावी साबित होता है।


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सिरदर्द की समस्या - फोटो : Adobe Stock

तनाव प्रबंधन और पर्याप्त नींद
प्रदूषण न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक तनाव भी बढ़ाता है, जो माइग्रेन का एक बड़ा कारण है। रोजाना 7-8 घंटे की गहरी नींद लें और अंधेरे व शांत कमरे में आराम करें। प्राणायाम और गहरी सांस लेने वाले व्यायाम फेफड़ों की क्षमता बढ़ाते हैं और मस्तिष्क तक ऑक्सीजन की सही मात्रा पहुंचाते हैं, ध्यान रखें कि ये व्यायाम घर के अंदर ही करें। जब भी बाहर से आएं, अपनी आंखों और चेहरे को ठंडे पानी से धोएं ताकि प्रदूषक साफ हो सकें।

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डॉक्टर - फोटो : Freepik
डॉक्टर की सलाह कब लें?
अगर घरेलू उपायों और सावधानियों के बावजूद माइग्रेन का दर्द असहनीय हो जाए या दर्द की आवृत्ति बढ़ जाए, तो इसे नजरअंदाज न करें। कभी-कभी प्रदूषण की वजह से 'साइनसाइटिस' और माइग्रेन के लक्षण मिल जाते हैं, जिससे सही पहचान मुश्किल हो जाती है। विशेषज्ञ न्यूरोलॉजिस्ट से परामर्श लें और जरूरत पड़ने पर प्रिवेंटिव दवाएं शुरू करें। ध्यान रखें, प्रदूषण को हम तुरंत खत्म नहीं कर सकते, लेकिन सही सावधानियों से इसके असर को जरूर कम कर सकते हैं।

नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
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