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Covid-19: 'हर 6-9 महीनों में लौटता रहेगा कोरोना', कोविड विशेषज्ञ ने सभी लोगों को दी ये जरूरी सलाह
हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अभिलाष श्रीवास्तव
Updated Sat, 21 Jun 2025 05:57 PM IST
सार
भारत में फिलहाल संक्रमण के मामलों में कमी देखी जा रही है। 15 जून को जहां कुल एक्टिव केस 7400 थे, वह 21 जून (शनिवार) को घटकर 5000 के करीब 5012 रह गए हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं कोरोना को हल्के में लेने की भूल नहीं करनी चाहिए। वायरस हमेशा हमारे आसपास ही रहता है।
Covid-19 News: कोरोनावायरस संक्रमण के मामले हाल के दिनों में भारत-अमेरिका सहित कई देशों में तेजी से बढ़ते हुए देखे गए। भारत में फिलहाल संक्रमण के मामलों में कमी देखी जा रही है। 15 जून को जहां कुल एक्टिव केस 7400 थे, वह 21 जून (शनिवार) को घटकर 5000 के करीब 5012 रह गए हैं। बीते 24 घंटे में 1197 लोग या तो संक्रमण से ठीक हो चुके हैं या अस्पताल से ठीक होकर घर लौट गए हैं।
राजस्थान में एक व्यक्ति की कोरोना से मृत्यु जरूर हुई है, मृतक की उम्र 20 वर्ष की थी। साझा की गई जानकारियों के मुताबिक उसे मल्टीपल ऑर्गन डिसफंक्शन सिंड्रोम, लंग्स की समस्या के साथ कोरोना का संक्रमण हो गया था जिसके कारण स्थिति गंभीर होती गई और मत्यु हो गई।
बीते दिनों भारत में एक्टिव केस में भले ही कमी आई है, हालांकि स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं कोरोना को हल्के में लेने की भूल नहीं करनी चाहिए। वायरस हमेशा हमारे आसपास ही रहता है और नए म्यूटेशन या लोगों की कमजोर होती इम्युनिटी के कारण बार-बार एक्टिव हो जाता है। इस खतरे को ध्यान में रखते हुए सभी लोगों को निरंतर सावधानी बरतते रहने की आवश्यकता है, हमें कोरोना के साथ रहना सीख लेना होगा।
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कोरोनावायरस और इसके वैरिएंट्स
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भारत में कोरोना के चार वैरिएंट्स एक्टिव
भारत में कोरोना के मामलों की बात करें तो पता चलता है कि यहां दो वैरिएंट्स निंबस (Nimbus) और स्ट्राटस (Stratus) सबसे ज्यादा प्रभावी देखे जा रहे हैं। एनबी.1.8.1 को अनौपचारिक रूप से “निंबस” उपनाम दिया गया है, वहीं एक्सएफजी को स्ट्राटस कहा जा रहा है।
हाल ही में एक रिपोर्ट में आईसीएमआर-एनआईवी पुणे के निदेशक डॉ नवीन कुमार ने बताया कि XFG और NB.1.8.1 के साथ JN.1 और LF.7 वैरिएंट भी यहां सक्रिय देखे गए हैं। अभी तक इन वैरिएंट्स को ज्यादा गंभीर नहीं पाया गया है हालांकि हर म्यूटेशन के साथ इसकी संक्रामकता दर जरूर बढ़ती जाती है जिसको लेकर सावधानी बरतना जरूरी है।
कोविड वैक्सीनेशन कराते रहने की सलाह
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'कोरोना के साथ जीना सीखना होगा'
कोविड विशेषज्ञों का कहना है कि फ्लू वायरस की ही तरह से कोरोनावायरस भी हमेशा हमारे बीच रहने वाला है, इसलिए हमें इस वायरस के साथ जीना सीख लेना होगा। कोरोना से सुरक्षित रहने के लिए उच्च जोखिम समूह (65 साल से अधिक उम्र, कोमोरबिडिटी के शिकार) वाले लोगों को सालाना डॉक्टर की सलाह के आधार पर कोविड-19 टीकाकरण जरूर कराना चाहिए।
चाइनीज यूनिवर्सिटी ऑफ हांगकांग में श्वसन चिकित्सा के प्रोफेसर डेविड हुई शू-चियोंग कहते हैं, वैश्विक आबादी में एंटीबॉडी के स्तर में गिरावट के कारण हर छह से नौ महीने में कोरोना का प्रकोप देखा जाता रहा है, ये आगे भी देखा जाता रह सकता है। इससे बचाव को लेकर हमें पहले से अलर्ट रहने की आवश्यकता है।
कोरोना के साथ रहना सीखना होगा
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हर 6-9 महीनों में देखा जाता रहेगा कोरोना का प्रकोप
प्रोफेसर डेविड कहते हैं, मौजूदा प्रकोप अप्रैल में शुरू हुआ और मई के अंत तक पीक पर पहुंच गया था हालांकि अब ये कम होने लगा है। वर्तमान लहर जुलाई या अगस्त तक समाप्त हो सकती है। पर हमें इस बात को लेकर सावधान रहना होगा कि अगले 6-9 महीनों में वायरस फिर से एक नए म्यूटेशन के साथ वापस आ सकता है। इस तरह के श्वसन रोगों के खतरे से बचे रहने के लिए उच्च जोखिम वाले समूहों के लिए वार्षिक कोविड-19 के साथ फ्लू टीकाकरण जरूर हो जाता है, ताकि अगली लहर में आप गंभीर समस्या से बचे रह सकें।
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कोविड वैक्सीनेशन की सलाह
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सालाना कोविड-फ्लू का कराएं टीकाकरण
उच्च जोखिम वाले समूह लोगों का मतलब क्रॉनिक बीमारियों (हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोग, डायबिटीज) के शिकार, बुजुर्ग और कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों में संक्रमण की स्थिति में गंभीर रोग विकसित होने का खतरा अधिक देखा जाता रहा है। संक्रमित होने पर निमोनिया, श्वसन विफलता या यहां तक कि मृत्यु का भी खतरा हो सकता है इसलिए जरूरी है कि आप टीकाकरण कराते रहे और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को संक्रमण से मुकाबले के लिए एक्टिव रख सकें।
प्रोफेसर डेविड ने कहा, चूंकि हर साल एक नया प्रकोप वापस आने का खतरा है, इसलिए उच्च जोखिम समूह वाले लोगों को सलाह दूंगा कि वे संक्रमण के खिलाफ हर साल कम से कम एक बार टीका लगवाएं।
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