What Not To Cook In Iron Kadhai?: भारतीय रसोइयों में लोहे की कढ़ाई का उपयोग सदियों से किया जा रहा है, और स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी इसे बेहतरीन माना जाता है। लोहे के बर्तनों में खाना पकाने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि भोजन में प्राकृतिक रूप से आयरन के अंश मिल जाते हैं, जो शरीर में हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाने और एनीमिया (खून की कमी) से बचाने में सहायक होते हैं। हालांकि हर प्रकार का भोजन इस कढ़ाई में पकाने के लिए उपयुक्त नहीं होता।
Health Tips: लोहे की कढ़ाई में भूलकर भी न पकाएं ये चीजें, डॉक्टर ने दी बड़ी सलाह
Iron Pan Cooking: लोहे की कढ़ाई में खाना पकाना सेहत के लिए फायदेमंद होता है। मगर कुछ चीजों को लोहे की कढ़ाई में पकाने से परहेज करना चाहिए। इसी के बारे में सोशल मीडिया पर डॉक्टर में कुछ सुझाव दिया है, जिसके बारे में आपको भी जानना चाहिए।
खट्टी चीजें और एसिडिक रिएक्शन (इमली, टमाटर, नींबू)
डॉ. सोलंकी के अनुसार, इमली, टमाटर या नींबू जैसी खट्टी चीजों वाली ग्रेवी को लोहे की कढ़ाई में कभी नहीं बनाना चाहिए। इन पदार्थों में प्राकृतिक एसिड होता है जो लोहे के साथ तुरंत प्रतिक्रिया करता है। इससे भोजन में धातु का स्वाद आ जाता है और यह पाचन तंत्र को खराब कर सकता है। खटास के कारण लोहा अधिक मात्रा में भोजन में घुल जाता है, जो शरीर के लिए टॉक्सिक हो सकता है।
ये भी पढ़ें- Antibiotic Resistance: एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस को लेकर पीएम मोदी ने चेताया, जानिए इसपर क्या कहते हैं डॉक्टर्स?
दूध और दही से बनी चीजें (कढ़ी, खीर, कस्टर्ड)
दूध और दही से बने व्यंजन जैसे कढ़ी, मठा-आलू, खीर या कस्टर्ड को लोहे के बर्तन में पकाने से बचना चाहिए। लोहे की कढ़ाई में 'अनइवेन हीट' (असमान तापमान) होती है, जिसके कारण दही या दूध फट सकता है। इसके अलावा, लोहे के कारण सफेद दिखने वाले इन व्यंजनों का रंग काला या मटमैला हो जाता है, जिससे इनका स्वाद और पोषक तत्व दोनों ही प्रभावित होते हैं।
ये भी पढ़ें- Diabetes Risk: शरीर में चुपके से बढ़ती है डायबिटीज की बीमारी, ये तीन टेस्ट बनेंगे आपकी 'सेहत का कवच'
राजमा, छोले और अधकचरे भोजन का खतरा
अक्सर लोग राजमा और छोले लोहे की कढ़ाई में बनाते हैं, लेकिन डॉ. सोलंकी इसे गलत मानती हैं। लोहे की कढ़ाई हर तरफ से एक समान गर्म नहीं होती, जिससे ये भारी अनाज कहीं से पक जाते हैं और कहीं से कच्चे रह जाते हैं। आधा पका हुआ राजमा या छोले खाने से पेट में ब्लोटिंग और गैस की गंभीर समस्या हो सकती है। बेहतर होगा कि इन्हें प्रेशर कुकर या स्टेनलेस स्टील के बर्तनों में पकाएं।
आजकल घरों में बनने वाले चाउमिन और पास्ता जैसे व्यंजनों में वेनेगर (सिरका) का भरपूर इस्तेमाल होता है। सिरका एक तीव्र एसिड है जो लोहे की सतह के साथ बहुत तेजी से रिएक्ट करता है। यह रिएक्शन भोजन को असुरक्षित बना देता है। डॉक्टर की सलाह है कि ऐसे किसी भी भोजन के लिए जिसमें वेनेगर डालना हो, लोहे के बजाय नॉन-स्टिक या स्टील के बर्तनों का ही चुनाव करें।
नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।
अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।