जितनी तेजी से भारत में डायबिटीज के रोगी बढ़े हैं, वैसे ही हाई ब्लड प्रेशर पीड़ितों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है। आंकड़ों की मानें तो भारत में हर पांच में से एक युवा हाई ब्लड प्रेशर का शिकार है। दुनियाभर में कम उम्र में होने वाली मौतों के पीछे की एक वजह हाई बीपी की वजह से दिल पर पड़ने वाला प्रेशर भी है। तेज रफ्तार ज़िन्दगी में कई तरह के परिवर्तन भी हाई ब्लड प्रेशर की वजह बनते हैं।
सलाह: गर्भावस्था में ब्लड-प्रेशर को रखें नियंत्रित वरना बढ़ सकती हैं दिक्कतें, ऐसे लक्षणों से रहें सावधान
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गर्भावस्था में हाई ब्लड प्रेशर से संबंधित जटिलताएं
अन्य महिलाओं की तुलना में हाई बीपी वाली महिलाओं में बच्चे के जन्म के दौरान जटिलता होने की आशंका अधिक होती है, इसलिए डॉक्टर ऐसी महिलाओं के बीपी के स्तर को पूरे समय मॉनिटर करने की सलाह देते हैं। असल में हाई बीपी की वजह से दूसरे अंगों पर भी बुरा असर पड़ता है।उदाहरण के लिए हाई ब्लड प्रेशर वाली महिलाओं में किडनी के काम करने की शक्ति में कमी आ सकती है। यही नहीं इन महिलाओं के बच्चों का वजन जन्म के समय काफी कम हो सकता है या प्रीमेच्योर (समय से पहले) डिलीवरी हो सकती है।
हाई बीपी की ये समस्या महिलाओं में पहले से भी मौजूद हो सकती है या गर्भवस्था के दौरान भी पनप सकती है। हालांकि ज्यादातर मामलों में बच्चे के जन्म के साथ ही यह सामान्य भी हो सकती है। कई बार यह समस्या हमेशा के लिए भी बनी रह सकती है।
गर्भावस्था में इन लक्षणों को लेकर बरतें सावधानी
यदि आपको पहले से हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है तो फैमिली प्लान करते समय स्पष्ट रूप से इसे डॉक्टर को बताएं। अगर गर्भावस्था के दौरान तेज सिरदर्द, दिखाई देने में तकलीफ घबराहट, उल्टी, चक्कर आना, पेट कर ऊपरी हिस्से, पसलियों के नीचे दाईं तरफ दर्द, कम पेशाब आना, सांस फूलना, पैरों में सूजन जैसे लक्षण दिखें तो बिना देर किए डॉक्टर को बताएं।
- अपनी डाइट में भरपूर मात्रा में फलों और हरी सब्जियों को शामिल करें। ऐसा भोजन खाएं जो आपको दिनभर फुर्तीला बनाए रखे।
- यदि आपका वजन अधिक हो तो गर्भावस्था के पूर्व ही इसे घटाने का प्रयास अवश्य करें।
- गर्भावस्था के दौरान हाई बीपी की कुछ दवाइयां ली जा सकती हैं, लेकिन बिना डॉक्टरी सलाह के किसी भी दवा का सेवन न करें।
- फिजिकली एक्टिव रहें। डॉक्टर की सलाह से योग या हल्की फुल्की एक्सराइज जरूर करें।
- शक्कर और नमक दोनों की अतिरिक्त मात्रा में कटौती करें।
- बीपी की नियमित रूप से जांच करती रहें।
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