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Ptosis Disease: बच्चों में बढ़ रहे हैं टोसिस रोग के मामले, आपका बच्चा भी तो नहीं हो गया शिकार? कैसे पहचानें

हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अभिलाष श्रीवास्तव Updated Sat, 26 Apr 2025 07:39 PM IST
सार

टोसिस तब होता है जब एक या दोनों आंखों की ऊपरी पलक झुक जाती है। कई बार ये झुकाव इतना अधिक हो सकता है कि यह आपकी पुतली ( आंख के बीच में स्थित वह काला बिंदु जो प्रकाश को अंदर आने देता है) को ढक सकती है, जिसके चलते देखना भी कठिन हो जाता है।

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बच्चों में बढ़ती आंखों की समस्या - फोटो : Freepik.com

क्या आपके बच्चे की आंखों की पलकें भी अक्सर झुकी हुई रहती हैं, ऐसा लगता है जैसे ऊपरी पलक का भार बहुत ज्यादा हो गया है जिसकी वजह से ये नीचे की ओर झुक जा रही है? अगर हां तो सावधान हो जाइए, ये टोसिस रोग का संकेत हो सकता है।



पिछले कुछ वर्षों में बच्चों में टोसिस के मामलों में काफी बढ़ोतरी देखी जा रही है। जन्मजात दोष, न्यूरोलॉजिकल विकार और मांसपेशियों की कमजोरी के कारण यह समस्या पहले बुजुर्गों में अधिक होती थी, हालांकि अब कम उम्र के लोग भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। 

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, टोसिस तब होता है जब एक या दोनों आंखों की ऊपरी पलक झुक जाती है। कई बार ये झुकाव इतना अधिक हो सकता है कि यह आपकी पुतली (आंख के बीच में स्थित वह काला बिंदु जो प्रकाश को अंदर आने देता है) को ढक सकती है, जिसके चलते देखना भी कठिन हो जाता है। बच्चों और वयस्कों दोनों को यह बीमारी प्रभावित कर सकती है।

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पैथोलॉजिकल ड्रॉपी आइलिड-टोसिस - फोटो : Freepik.com

पैथोलॉजिकल ड्रॉपी आइलिड-टोसिस की समस्या

मेडिकल की भाषा में इसे पैथोलॉजिकल ड्रॉपी आइलिड के नाम से जाना जाता है। यह तंत्रिकाओं में क्षति, अंतर्निहित चिकित्सा स्थितियों या स्ट्रोक जैसी  गंभीर समस्याओं के कारण हो सकता है।

एक रिपोर्ट के अनुसार ग्रेटर नोएडा स्थित राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (जिम्स) के नेत्ररोग विभाग में हर महीने लगभग 100 मरीज इसी तरह की दिक्कत के साथ आ रहे हैं, इनमें बच्चे भी शामिल हैं। नेत्ररोग विभाग के अध्यक्ष कृष्ण कुलदीप गुप्ता ने बताया कि पलकों का कम उठना, आखों की सुंदरता तो खराब करता ही है, साथ ही देखने की क्षमता भी प्रभावित करता है। 

देखने की क्षमता पर पड़ सकता है असर

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, टोसिस की समस्या कई मामलों में स्थाई हो सकती है। कुछ लोगों में इसे जन्मजात भी माना जाता है। डॉक्टर बताते हैं कि स्थिति की गंभीरता के आधार पर, झुकी हुई ऊपरी पलकें पुतली को बाधित कर सकती हैं, इससे देखने की क्षमता पर भी असर हो सकता है। अधिकांश मामलों में ये स्थिति स्वाभाविक रूप से या कुछ उपचार-थेरेपी से ठीक हो जाती है, हालांकि कुछ स्थितियों में इसे ठीक करने के लिए सर्जरी कराने की जरूरत हो सकती है।

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आंखों की समस्या - फोटो : Freepik.com

टोसिस क्यों होती है, ये भी जानिए

पलकों के झुकने की ये समस्या किसी को भी हो सकती है। उम्र बढ़ने की प्रक्रिया के कारण यह वृद्ध लोगों में अधिक आम है।

पलक को ऊपर उठाने के लिए लेवेटर मांसपेशी जिम्मेदार होती है। जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है, ये मांसपेशियां कमजोर होती जाती हैं जिसके कारण बुजुर्गों में इसका खतरा अधिक हो सकता है। बच्चों में टोसिस के अधिकतर मामले जन्मजात माने जाते हैं, इसके लिए लेवेटर मांसपेशियों का ठीक से विकसित न होना एक कारण हो सकता है।

कुछ मामलों में गंभीर स्थितियों जैसे स्ट्रोक, ब्रेन ट्यूमर या कुछ प्रकार के कैंसर के कारण भी इस तरह की दिक्कत हो सकती है। यही वजह है कि समय रहते इसका सही निदान और इलाज कराना जरूरी हो जाता है।

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आंखों की समस्याओं पर दें ध्यान - फोटो : Freepik.com

क्या कहते हैं स्वास्थ्य विशेषज्ञ?

राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान के विशेषज्ञों ने बताया कि पिछले दो वर्षों में टोसिस के मामले बच्चों में बढ़े हैं। पहले हजार में एक बच्चा इससे ग्रसित होता था, लेकिन अब यह आंकड़ा 200 से 300 पहुंच गया है। ओपीडी में हर माह टोसिस से ग्रसित एक से दो बच्चे आ रहे हैं। युवा वर्ग में टोसिस के सबसे ज्यादा मामले उन लोगों में देखे जा रहे हैं जो पहले से ही हाइपरटेंशन और डायबिटीज से पीड़ित रहे हैं। अगर आपको भी इस तरह की दिक्कतें हो रही हैं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

  • टोसिस का सबसे पहला संकेत पलकों का झुकना है। झुकने की डिग्री हर व्यक्ति में अलग-अलग होती है।
  • नीचे देखने के लिए सिर को ऊपर की ले जाना।
  • पलक को ऊपर उठाने की कोशिश करने के लिए बार-बार भौंहें उठाना।
  • प्रभावित आंख सामान्य से छोटी दिखाई देना।




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नोट: 
यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है। 

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

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