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Heart Health: बढ़ती ठंड में दिल के मरीज रहें सावधान, हार्ट अटैक में जान बचाने वाली ये किट हमेशा रखें साथ

हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अभिलाष श्रीवास्तव Updated Tue, 30 Dec 2025 06:38 PM IST
सार

  • डॉक्टर कहते हैं, दिल के मरीजों को हमेशा अपने साथ दवाओं की एक किट रखनी चाहिए, जो हार्ट अटैक की स्थिति में जान बचाने वाली हो सकती है। इसे राम किट के नाम से भी जाना जाता है। 

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Winter increases Heart disease risk ram kit medicine to save life in heart attack
हार्ट अटैक में जान बचाने वाली किट - फोटो : Amarujala.com

राजधानी दिल्ली, उत्तर-प्रदेश सहित देश के कई हिस्सों में इन दिनों भीषण ठंड का प्रकोप देखा जा रहा है। लगातार गिरता पारा, कोहरा और शीतलहर के कारण जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। सर्दियों का ये मौसम आपकी सेहत के लिए भी कई तरह की चुनौतियां बढ़ाने वाला हो सकता है। विशेषतौर पर ये मौसम दिल के मरीजों के लिए काफी खतरनाक माना जाता है।



बढ़ती ठंड के कारण हृदय के कामकाज पर अतिरिक्त दबाव बढ़ जाता है, धमनियां सख्त हो जाती हैं जिसके चलते हार्ट अटैक होने का जोखिम भी कई गुना बढ़ जाता है। तापमान गिरने के साथ शरीर की कार्यप्रणाली में ऐसे बदलाव होते हैं, जो सीधे हृदय पर असर डालते हैं। यही कारण है कि स्वास्थ्य विशेषज्ञ सभी लोगों को सर्दियों में दिल की सेहत को लेकर खास सावधानी बरतते रहने की सलाह देते हैं। 

डॉक्टर कहते हैं, दिल के मरीजों को हमेशा अपने साथ दवाओं की एक खास किट रखनी चाहिए, जो हार्ट अटैक की स्थिति में जान बचाने वाली हो सकती है। इसे 'राम किट' के नाम से भी जाना जाता है। इसके साथ सीपीआर जैसे तरीकों के बारे में भी जानना जरूरी है ताकि आपात स्थितियों में जान बचाई जा सके।

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ठंड के दिनों में हार्ट अटैक का खतरा - फोटो : Adobe Stock Images

पहले जान लीजिए कि ठंड का दिल पर सीधा असर कैसे पड़ता है?

हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ रवि प्रकाश ने अमर उजाला से एक बातचीत में बताया कि बढ़ती ठंड की स्थिति में शरीर खुद को गर्म रखने के लिए रक्त वाहिकाओं को सिकोड़ देता है, इससे ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है और दिल को सामान्य से अधिक मेहनत करनी पड़ती है। हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक का बड़ा कारण माना जाता है, खासकर उन लोगों में जो पहले से हृदय रोग या बीपी की समस्या से जूझ रहे होते हैं।

इसके अलावा सर्दियों में आपका खून भी गाढ़ा हो जाता है। इससे नसों में थक्का बनने की आशंका बढ़ जाती है। यही थक्के जब दिल की धमनियों में रुकावट पैदा करते हैं, तो हार्ट अटैक की स्थिति बन जाती है।

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हार्ट अटैक से बचाने वाली दवा - फोटो : Adobe Stock Images

हमेशा साथ में रखें राम-किट

कानपुर हृदय रोग संस्थान के डॉक्टर नीरज कुमार ने एक वीडियों में राम-किट के बारे में जानकारी दी जो हार्ट अटैक के समय में 'संजीवनी' साबित हो सकती है।

डॉक्टर नीरज कहते हैं, हार्ट अटैक होने पर तुरंत तीन दवाएं दे दी जाएं तो इससे रोगी की जान बचने की संभावना काफी बढ़ सकती है। ये दवाएं उसी तरह से काम करती हैं जैसे हार्ट अटैक के बाद अस्पताल में भर्ती होने पर दी जाने वाली दवाएं।

हार्ट अटैक के लक्षण दिखने पर तुरंत दो इकोस्प्रिन (Ecosprin 75), एक रोसुवास्टेटिन (Rosuvastatin 20mg) खा लें। इसके बाद सोब्रिट्रेट (Sorbitrate 5mg) की टेबलेट को जीभ पर रखकर उसे चूसें। इससे मरीज की जान बचाई जा सकती है। इन दवाओं की कीमत 6-7 रुपये होती है। यानी सात रुपये में आप अपनी जान बचा सकते हैं।

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हार्ट अटैक से बचाव के तरीके - फोटो : adobe stock images

थक्कों के कम करने और नसों को खोलने वाली दवा

डॉक्टर बताते हैं, हार्ट अटैक की स्थिति में रक्त के थक्के बनने लगते हैं इकोस्प्रिन ब्लड थिनर के रूप में काम करती है और थक्कों को कम करने में मदद करती है। रोसुवास्टेटिन कोलेस्ट्रॉल कम करने की दवा है ये उस थक्के के प्रसार को रोकती है। वहीं सोब्रिट्रेट को चूसने से ये इंजेक्शन की तरह काम करती है और नसों को खोलने में मदद करती है।

सभी लोगों को अपने पास ये दवा जरूर रखनी चाहिए। हार्ट अटैक जैसी आपात स्थिति में ये बड़े काम की साबित हो सकती है।

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सीपीआर के बारे में जानिए - फोटो : Freepik.com

सीपीआर देने का तरीका भी जानना जरूरी

इस किट के अलावा हार्ट अटैक की स्थिति में सीपीआर देकर भी रोगी की जान बचाई जा सकती है। हार्ट अटैक होने पर पहले 30 मिनट यानी 'गोल्डन टाइम' बहुत महत्वपूर्ण है। इसमें तत्काल चिकित्सा सहायता प्राप्त करना सबसे महत्वपूर्ण होता है।

सांस या दिल की धड़कन रुक जाने की स्थिति में रोगी को तुरंत सीपीआर देने की सलाह दी जाती है। छाती को सही गति से दबाने की यह प्रक्रिया रक्त के संचार को ठीक रखने में मददगार हो सकती है। इससे दिल को फिर से रक्त का संचार मिलने लगता है और जान बच सकती है।

सीपीआर देते समय एक मिनट में कम से कम 100-120 बार छाती पर दबाव बनाते हुए पंप करें। सीपीआर देते समय अपने हाथों को एकदम सीधा रखें जिससे छाती पर दबाव अच्छे से बने। हमेशा सीधे हाथ से सीपीआर दें, कोहनी मुड़नी नहीं चाहिए। त्वरित उपचार के रूप में रोगी एक डिस्प्रिन की गोली रोगी के मुंह में रखें, ये गोली खुद ही घुल जाती है। 



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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है। 

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

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