लाइफस्टाइल और खान-पान में गड़बड़ी ने जिन बीमारियों का खतरा सबसे ज्यादा बढ़ा दिया है, डायबिटीज उनमें से एक है। भारत में तो ये बीमारी और भी विकराल रूप लेती जा रही है। हाल के वर्षों में जिस गति के साथ भारत में डायबिटीज के रोगी बढ़े हैं, इसे देखते हुए भारत को 'डायबिटीज कैपिटल' तक कहा जाने लगा है। तमाम मेडिकल रिपोर्ट्स और आर्टिकल्स के माध्यम से अब तक आप ये तो स्पष्ट तरीके से समझ ही चुके होंगे कि ये बीमारी उम्रदराज लोगों के साथ अब बच्चों और युवाओं को भी चपेट में ले रही है। गड़बड़ जीवनशैली, जंक फूड के अधिक सेवन, शारीरिक गतिविधियों की कमी और बढ़ती स्ट्रेस की समस्या को इसका प्रमुख कारण माना जाता है।
Type-5 Diabetes: गरीबी और कुपोषण भी बन सकता डायबिटीज का कारण? जानिए क्या है ये नई टाइप-5 डायबिटीज
- टाइप-5 डायबिटीज को लेकर दुनियाभर में शायद ही कभी चर्चा होती हो, फिर भी विशेषज्ञों का मानना है कि यह 25 मिलियन (2.5 करोड़) लोगों को प्रभावित करती है।
- इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन (आईडीएफ) ने वर्ल्ड डायबिटीज कांग्रेस 2025 में टाइप-5 डायबिटीज को आधिकारिक तौर पर मान्यता दे दी है।
टाइप-5 डायबिटीज को मिली आधिकारिक मान्यता
दुनियाभर के तमाम विशेषज्ञ लंबे समय से डायबिटीज के इस सबसे कम चर्चित और उपेक्षित प्रकार- टाइप-5 डायबिटीज को औपचारिक रूप से मान्यता देने का आग्रह कर रहे थे। इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन (आईडीएफ) ने बैंकॉक, थाईलैंड आयोजित वर्ल्ड डायबिटीज कांग्रेस 2025 में टाइप-5 डायबिटीज को आधिकारिक तौर पर मान्यता दे दी है।
टाइप-5 डायबिटीज को लेकर दुनियाभर में शायद ही कभी चर्चा होती हो, फिर भी विशेषज्ञों का मानना है कि यह 25 मिलियन (2.5 करोड़) लोगों को प्रभावित करती है। खासकर कम और मध्यम आय वाले देशों में जहां मेडिकल केयर तक पहुंच सीमित है, वहां इसके मामले अधिक हैं।
1955 में हुई पहचान पर बहुत कम होती है इसकी चर्चा
इंग्लैंड स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सेटर में डायबिटीज के शोधकर्ता क्रेग बील कहते हैं, किसी व्यक्ति को किस खास तरह की डायबिटीज है, यह समझना सही इलाज देने के लिए बहुत जरूरी है।
वर्षों से, अल्बर्ट आइंस्टीन कॉलेज ऑफ मेडिसिन की एंडोक्रिनोलॉजिस्ट मेरेडिथ हॉकिन्स टाइप-5 डायबिटीज को दुनियाभर में पहचान दिलाने की मांग कर रही थीं। हॉकिन्स कहती हैं, कुपोषण से जुड़ी डायबिटीज, टीबी से ज्यादा आम है लेकिन आधिकारिक नाम न होने की वजह से मरीजों का पता लगाने या असरदार इलाज ढूंढने की कोशिशों में रुकावट आ रही थी।
टाइप-5 डायबिटीज पर पहली बार साल 1955 में जमैका में चर्चा हुई थी, फिर कई वर्षों तक इसे भुला दिया गया। 1980 के दशक में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा इसे स्वीकार किए जाने के बाद भी, इसके डायग्नोसिस पर विवाद हुआ। लगभग सात दशकों से, वैज्ञानिक इस बात पर बहस कर रहे थे कि क्या टाइप 5 डायबिटीज सच में है। साल 1999 में, सबूतों की कमी के कारण डब्ल्यूएचओ ने इस क्लासिफिकेशन को वापस ले लिया।
टाइप 5 डायबिटीज होने का कारण क्या है?
विशेषज्ञों की टीम का कहना है कि टाइप 5 डायबिटीज पोषक तत्वों की कमी के कारण होती है। पहले इसे कुपोषण से जुड़ी डायबिटीज मेलिटस (MRDM) के नाम से भी जाना जाता था, इस तरह की डायबिटीज को अक्सर, निदान के दौरान दूसरे टाइप की डायबिटीज समझ लिया जाता है।
ये नई बीमारी मुख्य रूप से उन किशोरों और युवाओं में देखी जा रही है जिनका वजन कम होता है या जिन्होंने बचपन में पर्याप्त पोषक तत्वों वाला आहार नहीं मिला होता है क्योंकि कुपोषण उनकी इंसुलिन स्रावित करने की क्षमता को प्रभावित करता है।
टाइप-5 डायबिटीज के लक्षण और बचाव
डॉक्टरों का कहना है कि टाइप 5 अपने आप में एक अलग स्थिति है। इस प्रकार के लोग अन्य प्रकार के डायबिटीज वालों के विपरीत इंसुलिन का उत्पादन कर सकते हैं और इसके प्रति प्रतिरोधी भी नहीं होते, लेकिन उनका अग्न्याशय अविकसित होता है और पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता। गर्भ में कुपोषण या जिन लोगों के बचपन में लगातार कुपोषण की समस्या रही है उनमें इसका जोखिम अधिक देखा जाता है।
टाइप 5 डायबिटीज के लक्षण भी दूसरे टाइप की डायबिटीज जैसे ही होते हैं जिसमें ज्यादा प्यास लगना, बार-बार पेशाब आना, थकान, वजन कम होना, धुंधला दिखना, घाव देर से भरना शामिल है। लेकिन इसके साथ कुपोषण के लक्षण जैसे पतलापन, विकास में रुकावट, एनीमिया और बार-बार संक्रमण का भी खतरा हो सकता है।
विशेषज्ञों का सुझाव है कि टाइप 5 मधुमेह को नियंत्रित करने के लिए, रोगियों को अपने आहार में प्रोटीन और जटिल कार्बोहाइड्रेट जैसे दालें, फलियां और अनाज, अधिक मात्रा में शामिल करने चाहिए।
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स्रोत
Type 5 diabetes
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