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Friendship Tips: लड़ाई के बाद सहेली दोस्ती करना चाहती है? दूसरा मौका देने से पहले जानें ये जरूरी बातें
लाइफस्टाइल डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: शिवानी अवस्थी
Updated Tue, 30 Dec 2025 10:20 AM IST
सार
Friendship Tips: दोस्ती में रूठना-मनाना आम बात है, मगर रिश्ता टूट जाए तो दिल भी टूटता है। लेकिन सहेली लौटकर रिश्ते को रीसेट करना चाहे तो आपको क्या करना चाहिए?
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टूटी दोस्ती दोबारा जोड़े या नहीं
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मेखला गुप्ता
दोस्ती वह अनमोल रिश्ता है, जिसे हम चुनते हैं, खासकर लड़कियों के लिए। सहेली सिर्फ दोस्त नहीं, दिल का हिस्सा होती है। लेकिन कभी-कभी गलतफहमी या लड़ाई के बाद यह रिश्ता टूट जाता है, जिससे दिल में खालीपन, दुख और सवाल पैदा होते हैं। मगर जब वही सहेली पछतावे के साथ वापस दोस्ती जोड़ने आए, तब? ऐसे में आपके सामने भावनाओं का तूफान उठता है- “क्या फिर से मौका दिया जाए?” इस स्थिति में धैर्य, ईमानदारी और सही संवाद ही समझदारी भरा कदम साबित हो सकते हैं।
पहले खुद से पूछें
“मैं क्या चाहती हूं?” यह सवाल सबसे पहले खुद से पूछें, क्योंकि वही थी, जो रिश्ता तोड़कर गई थी। अगर आपका दिल हां कहता है तो आप एक मौका दे सकती हैं। लेकिन अगर लगता है कि रिश्ता दोबारा जुड़ने से आपके मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान होगा तो यह बात साफ और सम्मानपूर्वक उसे बताएं, बिना क्रोध या दोषारोपण के। दोस्ती भावनात्मक होने के साथ-साथ संवेदनशील भी होती है। इसलिए बातचीत फोन या चैट पर नहीं, बल्कि शांत, सुरक्षित माहौल में आमने-सामने करें। शुरुआत में आरोप न लगाएं और ‘मैं’ का उपयोग करें। “तुम हमेशा...”, “तुमने ऐसा किया...” जैसे वाक्यों का उपयोग करने से बचें।
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दोस्त की नीयत को समझें
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नीयत को समझें
अगर वह दोस्ती जोड़ना चाह रही है तो क्या सोचकर वापस आई है, यह जानना जरूरी है। कुछ सवाल मन में स्पष्ट कर लें, जैसे कि “क्या वह सच में पछता रही है?”, “उसने समझा कि कहां गलती हुई?”, “क्या वह अपने व्यवहार में बदलाव दिखा रही है?”, “क्या वह अब रिश्ते को उतना ही सम्मान देगी, जितना आप देती हैं?” क्योंकि सिर्फ सॉरी कहना काफी नहीं होता, व्यावहारिक परिवर्तन ही असली माफी है।
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सीमाएं तय करें
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सीमाएं तय करें
दोस्ती का मतलब यह नहीं कि आप हमेशा त्याग ही करें। इस बार शुरुआत में ही कुछ स्वस्थ सीमाएं स्पष्ट कर दें, जैसे कि अपमान बर्दाश्त नहीं होगा, अनावश्यक गुस्सा, ताना या अवमानना स्वीकार्य नहीं, गलतफहमी होने पर तुरंत बात करेंगे, रिश्ते में सम्मान और ईमानदारी प्राथमिकता होगी। ये सीमाएं रिश्तों को कमजोर नहीं करतीं, बल्कि सुरक्षित बनाती हैं।
अंधविश्वास नहीं
जीवन में हर व्यक्ति गलती करता है, सीखना और सुधरना इन्सान की खूबसूरती है, लेकिन यह भी याद रखें कि माफ करना अलग बात है और फिर से वही चोट खाना अलग। इस बार रिश्ता धीरे-धीरे बढ़ने दें, समय अपने आप साबित कर देगा कि दोस्ती सच्ची है या परिस्थितियों का परिणाम।
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नई शुरुआत करें
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नई शुरुआत करें
अगर बातचीत सकारात्मक दिशा में जाती है और आप दोनों एक-दूसरे की बात एवं भावना समझती हैं तो रिश्ते को धीरे-धीरे दोबारा शुरू करें। पहले छोटी-छोटी बातों से जुड़ें, पुरानी बातों को बार-बार न दोहराएं, तुलना न करें, जैसे कि “पहले तुम ऐसा नहीं करती थीं।” लड़ाई से टूटे रिश्ते का दोबारा जुड़ना आसान नहीं, लेकिन असंभव भी नहीं है। अगर सहेली सच्चे दिल से आपकी कद्र करती है, अपनी गलती मानती है और रिश्ते को सम्मान देने के लिए तैयार है, तो दूसरा मौका आप दोनों की इस दोस्ती को और मजबूत कर सकता है।
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पुरानी तकलीफें दोबारा न लौटें
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पुरानी तकलीफें दोबारा न लौटें
फैमिली रिलेशनशिप काउंसलर स्नेहा मिश्रा कहती हैं, अगर सहेली झगड़े के बाद वापस दोस्ती जोड़ना चाहती है तो यह उसकी आत्मजागरूकता और भावनात्मक पुनर्संतुलन का संकेत है। लेकिन किसी भी निर्णय से पहले स्थिति को शांत दिमाग से आंकना जरूरी है। समझें कि झगड़े की जड़ क्या थी। यदि वह गलती स्वीकार कर खुलकर संवाद करने और रिश्ता स्वस्थ रखने को तैयार है तो यह सकारात्मक संकेत है। आपको भी अपनी भावनाएं, सीमाएं और जरूरतें स्पष्ट करना जरूरी है। सुनिश्चित करें कि वह जिम्मेदारी ले रही है, सुधार की इच्छा जता रही है और आपकी भावनात्मक सुरक्षा का सम्मान करेगी। पुरानी तकलीफें दोबारा न लौटें, इसका मूल्यांकन करें। अंत में दिल बड़ा रखें, लेकिन आत्मसम्मान और सुरक्षा को प्राथमिकता में रखें। यही दोस्ती का मजबूत आधार बनेगा।
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