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World Mental Health Day 2023: मानसिक स्वास्थ्य विकारों को लेकर बड़ा दावा- ये ज्यादा पढ़े-लिखे लोगों की बीमारी!
हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अभिलाष श्रीवास्तव
Updated Tue, 10 Oct 2023 12:23 AM IST
तेजी से बढ़ते मानसिक विकार वैश्विक स्वास्थ्य के लिए बड़ा जोखिम हैं, समय के साथ इसका खतरा और भी बढ़ता जा रहा है। हालिया अध्ययनों में पाया गया है कि 15 साल से कम आयु वाले भी इसके शिकार होते जा रहे हैं। लाइफस्टाइल-आहार में गड़बड़ी को इन विकारों का प्रमुख कारण माना जाता रहा है, कुछ पर्यावरणीय और सामाजिक परिस्थितयां भी जोखिमों को बढ़ाने वाली हो सकती हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ सभी लोगों को अपने मन को स्वस्थ रखने के लिए निरंतर प्रयास करते रहने की सलाह देते हैं।
मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में बने सामाजिक स्टिग्मा को दूर करने और मन को स्वस्थ रखने के तरीकों के बारे में लोगों को शिक्षित करने के लिए हर साल 10 अक्तूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है।
मानसिक स्वास्थ्य के जोखिमों को लेकर किए गए एक हालिया अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बड़ा दावा किया है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों की टीम ने बताया, वैसे तो मानसिक स्वास्थ्य विकारों का शिकार कोई भी हो सकता है, पर उच्च शिक्षित वर्ग में इन रोगों का खतरा अधिक हो सकता है। आइए जानते हैं कि आखिर इसके क्या कारण हो सकते हैं?
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छात्रों में बढ़ती मानसिक स्वास्थ्य की समस्या
- फोटो : Agency (File Photo)
उच्च शिक्षित लोगों में बढ़ता खतरा
इंग्लैंड में किए गए इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने अलग-अलग सामाजिक, शिक्षा और आर्थिक स्थिति वाले वर्ग में मानसिक स्वास्थ्य जोखिमों को समझने के लिए अध्ययन किया। इस शोध में पाया गया कि इंग्लैंड में उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले युवाओं में, कम शिक्षित आबादी की तुलना में डिप्रेशन और स्ट्रेस होने का जोखिम अधिक था।
द लैंसेट पब्लिक हेल्थ में प्रकाशित शोध पत्र में वैज्ञानिकों ने बताया कि देश के युवाओं में मानसिक स्वास्थ्य का खतरा बढ़ता देखा जा रहा है, इसके कारणों को समझने के लिए किए गए अध्ययन में चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं।
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मानसिक स्वास्थ्य विकारों का जोखिम
- फोटो : Pixabay
अध्ययन में क्या पता चला?
25 वर्ष की आयु तक स्नातक और गैर-स्नातक वर्ग वालों के बीच स्ट्रेस और एंग्जाइटी की समस्याओं का आकलन किया गया। 1989-90 के बीच जन्मे 4,832 युवाओं और 1998-99 में पैदा हुए 6,128 प्रतिभागियों को इस अध्ययन में शामिल किया गया। इसमें से जिन लोगों में समय के साथ मानसिक स्वास्थ्य विकार विकसित हुए, उनमें से अधिकतर लोग उच्च शिक्षाप्राप्त थे। शोधकर्ताओं ने पाया कि सामाजिक आर्थिक स्थिति, माता-पिता की शिक्षा और शराब का सेवन संभावित रूप इन कारकों को बढ़ाने वाला हो सकता है।
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स्ट्रेस और एंग्जाइटी का खतरा
- फोटो : istock
क्या कहती हैं शोधकर्ता?
अध्ययन की मुख्य लेखिका डॉ. जेम्मा लुईस (यूसीएल मनोचिकित्सा) कहती हैं, यूके में हाल के वर्षों में हमने युवा लोगों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं में वृद्धि देखी है। हमारे निष्कर्षों के आधार पर, हम यह तो नहीं कह सकते कि कुछ छात्रों को अपने साथियों की तुलना में अवसाद और चिंता का खतरा अधिक क्यों हो रहा है, लेकिन यह शैक्षणिक या वित्तीय दबाव से संबंधित जरूर हो सकता है। छात्रों के बीच बढ़े हुए मानसिक स्वास्थ्य जोखिमों को लेकर यह पहला अध्ययन है।
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मानसिक स्वास्थ्य विकार
- फोटो : Istock
अध्ययन का निष्कर्ष
अध्ययनकर्ताओं का कहना है संभवत: मामलों के अधिक रिपोर्टिंग का एक कारण ये भी हो सकता है कि उच्च शिक्षा वर्ग वाले लोग स्ट्रेस-एंग्जाइटी और डिप्रेशन में मदद के लिए डॉक्टर के पास जाते हैं, जबकि अन्य लोगों में यह दर कम रही है। हमें वैश्विक स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य विकारों को लेकर और गंभीरता दिखाने की जरूरत है जिससे इसके जोखिमों को कम किया जा सके। मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं, शारीरिक स्वास्थ्य जोखिमों को भी बढ़ाने वाली हो सकती हैं।
अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
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