प्रकृति ने जितने रंग हमारे आस-पास बिखेरे हैं, उनका एक बहुत ही सुंदर स्वरूप हमारे तीज-त्योहारों में भी देखने को मिलता है। साल भर में उत्सव और उल्लास मानाने के लिए हमारे पास अनगिनत तीज-त्यौहार हैं और हर तीज-त्यौहार की अपनी कुछ न कुछ खासियत है। हिन्दू शास्त्रों और पुराणों के अनुसार इनके साथ कोई न कोई ठोस वजह जुडी हुई है। खास बात यह है कि ज्यादातर त्यौहार कहीं न कहीं, किसी न किसी रूप में प्रकृति से जुड़ते हैं और यही हमारे और प्रकृति के बीच का परस्पर सांस्कृतिक आदान-प्रदान भी है।
Hariyali Amavsya: प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का दिन, हरियाली अमावस्या पर करें ये काम
कदम्ब की भीनी खुशबू
बारिश का आना यूँ भी प्रकृति के लिए साज-श्रृंगार का मौसम होता है। ऊपर से श्रावण का यह माह भोले भंडारी की आराधना का समय होता है। दूसरी ओर इसी समय कदम्ब के पेड़ों पर आते हैं श्री हरी नारायण को चढ़ाये जाने वाले फूल। कहा जाता है कि श्रीकृष्ण को कदम्ब प्रिय हैं। इसलिए इस भीनी खुशबू से भरे फूलों को श्रीकृष्ण के चरणों में अर्पित भी किया जाता है। बचपन में आपमें से कइयों ने सुभद्राकुमारी चौहान की वह कविता भी पढ़ी होगी, यह कदम्ब का पेड़ यदि माँ होता यमुना के तीरे, मैं भी उसपर बैठ कन्हैया बनता धीरे धीरे।
कदम्ब के पेड़ का जितना धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है उतना ही इसका औषधीय रूप में भी प्रयोग किया जाता रहा है। इसकी छाल से लेकर पत्तों और जड़ों तक का उपयोग कई बीमारियों के उपचार हेतु किया जाता रहा है। बारिश के दिनों में लड्डू की तरह के इसके फूल पूरे पेड़ को भर देते हैं। तो इस हरियाली अमावस्या यदि आपके आस-पास कदम्ब का पेड़ नहीं तो, एक पौधा कदम्ब का अपने आस पास जरूर रोपें। यह हवा को भी शुद्ध बनाएगा और इसके फूलों की सुगंध वातावरण को अद्भुत बना देगी।
प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का दिन
हरियाली अमावस्या पर पूर्वजों के सम्मान और उनकी याद में दान-पुण्य तो किये ही जाते हैं। पौधे रोपने के लिए भी इस अवसर को ख़ास माना जाता है। हमारे बुजुर्गों की तरह ही पेड़-पौधे भी हमारे लिए कई सारे आशीष लेकर आते हैं। वे मानव जीवन को पोषित करते हैं और अपनी घनी छाँव में हमारे लिए सुकून जुटाते हैं। यदि आप अपने बुजुर्गों-पितरों के लिए कुछ ख़ास करना चाहते हैं तो इस हरियाली अमावस्या को नीम, बरगद, पीपल जैसे पौधे लगाएं। ये ऑक्सीजन के स्तर और वर्षा जल दोनों का भंडार हमेशा भरा रखेंगे।
हरियाली अमावस्या पर करें ये काम
* अपने आस पास किसी वृद्धाश्रम में जाकर सेवाकार्य करें या उनके लिए जरूरत का कोई सामान जैसे राशन, गर्म कपड़े, छाते आदि उपहार में दें। इससे हरियाली अमावस्या का धार्मिक प्रयोजन भी पूरा होगा और आप समाज के लिए कुछ अच्छा करने का सुकून भी पा सकेंगे।
* अगर आप नदी में नहाने नहीं भी जा सकते तो सुबह जल्दी उठकर नहाएं। अमावस्या पर सुबह जल्दी नहा कर पूर्वजों के नाम से धूप करें और सूरज को जल चढ़ाएं। ये पूर्वजों के साथ साथ प्रकृति को भी सम्मान देना होगा।
* किसी जरूरतमंद को ताजा भोजन बनाकर खिलाएं। यह कई मायनों में महत्वपूर्ण है। इससे किसी भूखे व्यक्ति को भरपेट ताजा भोजन मिल सकेगा, आपके पितरों के नाम पर आप एक अच्छा काम करेंगे और प्रकृति के दिए पोषण को अन्य मनुष्यों में साझा कर आप प्रकृति का संतुलन बनाने में भी मदद करेंगे।