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Hariyali Amavsya: प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का दिन, हरियाली अमावस्या पर करें ये काम

लाइफस्टाइल डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: स्वाति शर्मा Updated Sun, 24 Jul 2022 04:45 PM IST
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Hariyali Amavsya, an occasion to bond with the nature
अमावस्या पर महत्वपूर्ण है नदियों में स्नान - फोटो : PTI

प्रकृति ने जितने रंग हमारे आस-पास बिखेरे हैं, उनका एक बहुत ही सुंदर स्वरूप हमारे तीज-त्योहारों में भी देखने को मिलता है। साल भर में उत्सव और उल्लास मानाने के लिए हमारे पास अनगिनत तीज-त्यौहार हैं और हर तीज-त्यौहार की अपनी कुछ न कुछ खासियत है। हिन्दू शास्त्रों और पुराणों के अनुसार इनके साथ कोई न कोई ठोस वजह जुडी हुई है। खास बात यह है कि ज्यादातर त्यौहार कहीं न कहीं, किसी न किसी रूप में प्रकृति से जुड़ते हैं और यही हमारे और प्रकृति के बीच का परस्पर सांस्कृतिक आदान-प्रदान भी है।  



हरियाली अमवस्या, श्रावण माह में आने वाली अमावस्या है, जब पेड़-पौधे, जीव-जंतु सभी सुख की वर्षा में नहा रहे होते हैं। यूं अमावस्या का मूल उद्देश्य हमारे पुरखों के प्रति सम्मान दर्शाना है। इसलिए ही अधिकांशतः अमावस्या के रोज पूर्वजों के लिए धूप करना, नदी में स्नान करना और दान करने जैसे आयोजन किये जाते हैं। लेकिन हरियाली अमावस्या अपने नाम के अनुरूप प्रकृति के और भी करीब हो जाती है। 

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Hariyali Amavsya, an occasion to bond with the nature
कदम्ब का खूबसूरत पेड़ - फोटो : iStock

कदम्ब की भीनी खुशबू 

बारिश का आना यूँ भी प्रकृति के लिए साज-श्रृंगार का मौसम होता है। ऊपर से श्रावण का यह माह भोले भंडारी की आराधना का समय होता है। दूसरी ओर इसी समय कदम्ब के पेड़ों पर आते हैं श्री हरी नारायण को चढ़ाये जाने वाले फूल। कहा जाता है कि श्रीकृष्ण को कदम्ब प्रिय हैं। इसलिए इस भीनी खुशबू से भरे फूलों को श्रीकृष्ण के चरणों में अर्पित भी किया जाता है। बचपन में आपमें से कइयों ने सुभद्राकुमारी चौहान की वह कविता भी पढ़ी होगी, यह कदम्ब का पेड़ यदि माँ होता यमुना के तीरे, मैं भी उसपर बैठ कन्हैया बनता धीरे धीरे।

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पौधे रोपने से बढ़ेगी हरियाली - फोटो : Pixabay

कदम्ब के पेड़ का जितना धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है उतना ही इसका औषधीय रूप में भी प्रयोग किया जाता रहा है। इसकी छाल से लेकर पत्तों और जड़ों तक का उपयोग कई बीमारियों के उपचार हेतु किया जाता रहा है। बारिश के दिनों में लड्डू की तरह के इसके फूल पूरे पेड़ को भर देते हैं। तो इस हरियाली अमावस्या यदि आपके आस-पास कदम्ब का पेड़ नहीं तो, एक पौधा कदम्ब का अपने आस पास जरूर रोपें। यह हवा को भी शुद्ध बनाएगा और इसके फूलों की सुगंध वातावरण को अद्भुत बना देगी। 

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हरियाली अमावस्या पर प्रकृति से जोड़ें नाता - फोटो : Pixabay

प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का दिन

हरियाली अमावस्या पर पूर्वजों के सम्मान और उनकी याद में दान-पुण्य तो किये ही जाते हैं। पौधे रोपने के लिए भी इस अवसर को ख़ास माना जाता है। हमारे बुजुर्गों की तरह ही पेड़-पौधे भी हमारे लिए कई सारे आशीष लेकर आते हैं। वे मानव जीवन को पोषित करते हैं और अपनी घनी छाँव में हमारे लिए सुकून जुटाते हैं। यदि आप अपने बुजुर्गों-पितरों के लिए कुछ ख़ास करना चाहते हैं तो इस हरियाली अमावस्या को नीम, बरगद, पीपल जैसे पौधे लगाएं। ये ऑक्सीजन के स्तर और वर्षा जल दोनों का भंडार हमेशा भरा रखेंगे। 

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जरूरतमन्दों को भोजन करवाएं - फोटो : PTI

हरियाली अमावस्या पर करें ये काम 

* अपने आस पास किसी वृद्धाश्रम में जाकर सेवाकार्य करें या उनके लिए जरूरत का कोई सामान जैसे राशन, गर्म कपड़े, छाते आदि उपहार में दें। इससे हरियाली अमावस्या का धार्मिक प्रयोजन भी पूरा होगा और आप समाज के लिए कुछ अच्छा करने का सुकून भी पा सकेंगे। 
* अगर आप नदी में नहाने नहीं भी जा सकते तो सुबह जल्दी उठकर नहाएं। अमावस्या पर सुबह जल्दी नहा कर पूर्वजों के नाम से धूप करें और सूरज को जल चढ़ाएं। ये पूर्वजों के साथ साथ प्रकृति को भी सम्मान देना होगा। 
* किसी जरूरतमंद को ताजा भोजन बनाकर खिलाएं। यह कई मायनों में महत्वपूर्ण है। इससे किसी भूखे व्यक्ति को भरपेट ताजा भोजन मिल सकेगा, आपके पितरों के नाम पर आप एक अच्छा काम करेंगे और प्रकृति के दिए पोषण को अन्य मनुष्यों में साझा कर आप प्रकृति का संतुलन बनाने में भी मदद करेंगे। 

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