हमें पर्यावरण प्रदूषण की चिंता तो है लेकिन जिन चीजों से पर्यावरण प्रदूषित होता है वो चीजें हमारी सबसे ज्यादा प्रिय भी बनी हुई हैं। 21वीं सदी पर्यावरण के संरक्षण की नहीं बल्कि 'विनाश' की सदी है! इंसान खुद ही पर्यावरण का सबसे बड़ा दुश्मन है। पर्यावरण के संरक्षण के लिए बड़ी-बड़ी बहसों की जगह अगर हम अपनी छोटी-छोटी आदतों में बदलाव ले आएं तो हमारे जिस अस्तित्व पर पर्यावरण के दूषित होने से खतरा मंडरा रहा है वो अस्तित्व लंबे वक्त तक बचा रहेगा। अगर धरती को बचाना चाहते हैं तो सबसे पहले प्लास्टिक को ना कह दें। 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस है, आइए जानते हैं जाने-अनजाने हम खुद ही पर्यावरण के दुश्मन कैसे साबित हो रहे हैं...
World Environment Day 2020: कुछ इस तरह हम बन रहे हैं पर्यावरण के दुश्मन
हम अपनी रोजमर्रा की आदतों के जरिए पर्यावरण को खूब नुकसान पहुंचाते हैं। जिस कार से हम अपने घर से निलकते हैं और जो एसी हमें रात को ठंडी हवा देता है उसके जरिए भी पर्यावरण प्रदूषित होता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप गर्मी से बचने के लिए एसी न लगाएं और कार की जगह पैदल चलें। लेकिन जो छोटी-छोटी चीजें हम कर सकते हैं उनके जरिए पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिए हमें संकल्पबद्ध होना चाहिए। हम या आप अगर खाने में डिस्पोजल प्लेट का उपयोग करते हैं तो उसे फौरन त्याग दें। उसकी जगह स्टील या चिनी मिट्टी की थाली में खाना खाएं।
दरअसल, प्लास्टिक के डिस्पोजेबल लंच आइटम पर्यावरण को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं। लेकिन हम घर में होने वाले कार्यक्रम से लेकर ऑफिस पार्टी तक में प्लास्टिक के प्लेट से लेकर गिलास तक का इस्तेमाल करते हैं। टिश्यू पेपर और प्लास्टिक रैपर का उपयोग सामान्य हो गया है। हम यह भूल जाते हैं कि प्लास्टिक बायोडिग्रेडेबल नहीं है। प्लास्टिक को जलाना और जमीन के अंदर दबाना दोनों ही घातक है। यह न पानी में गलता है और न ही जमीन के अंदर और जमीन के बाहर खत्म होता है।
पॉलीथीन में पालीयूरोथेन नामक रसायन पाया जाता है। इस रसायन को किसी भी तरह से नष्ट नहीं किया जा सकता है। प्लास्टिक को जलाने पर वायुमंडल दूषित होता है। पॉलीथीन को अगर जमीन के भीतर दबाया जाता है तो यह जहरीली गैस में तब्दील हो जाता है। जमीन के अंदर गर्मी पाकर यह गैस विस्फोट भी कर सकती है। यह कहा जाता है कि प्लास्टिक इतना खतरनाक है कि इसे नष्ट होने में सवा लाख साल तक लग सकते हैं। ऐसे में सवाल है कि कैसे बचें? या तो हम खाना घर से लाएं या फिर अगर कैंटीन में भी खाना खाते हैं तो प्लास्टिक की थाली में न खाएं। इसी तरह प्लास्टिक थैली की जगह घर से कपड़े या जूट की थैली मार्केट सामान के लिए ले जाएं।