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अब गांधीसागर चीतों से आबाद होगा: PM मोदी के 75वें जन्मदिन पर धीरा को छोड़ा जाएगा, कूनो से हुई थी शुरुआत
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल
Published by: आनंद पवार
Updated Tue, 16 Sep 2025 08:54 PM IST
सार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल से शुरू हुआ ‘प्रोजेक्ट चीता’ मध्यप्रदेश में तीन साल में सफल साबित हुआ है। 72वें जन्मदिन पर कूनो नेशनल पार्क में चीतों को छोड़े जाने के बाद अब 75वें जन्मदिन पर मादा चीता ‘धीरा’ को गांधीसागर अभयारण्य में छोड़ा जाएगा। 2022 में कूनो में चीतों को छोड़कर चीता प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई थी।
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गांधी सागर मेंं बुधवार को मादा चीता धीरा को छोड़ा जाएगा
- फोटो : अमर उजाला
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल से देश में शुरू हुआ 'प्रोजेक्ट चीता' तीन साल में ऐतिहासिक सफलता हासिल कर चुका है। अपने 72वें जन्मदिन (17 सितंबर 2022) पर मप्र के श्योपुर जिले के कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से लाए गए चीतों को छोड़ा था। अब प्रधानमंत्री के 75वें जन्मदिन पर वन विभाग मादा चीता 'धीरा' को मंदसौर जिले में स्थित गांधीसागर अभयारण्य में छोड़ेंगे। वन विभाग के अनुसार, इससे यहां प्रजनन की संभावनाएं और मजबूत होंगी। प्रोजेक्ट चीता’ यह साबित करता है कि विलुप्ति अंतिम नहीं है। उचित योजना, टीमवर्क, तकनीकी कौशल और दृढ़ संकल्प से खोई प्रजातियों को पुनः सुरक्षित किया जा सकता है। कूनो और गांधीसागर अभयारण्य अब चीतों के लिए सुरक्षित आश्रय और भारत के संरक्षण प्रयासों का प्रतीक बन गए हैं। पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ शुभरंजन सेन ने बताया कि प्रोजेक्ट के तीन साल पूरे होने पर चीता धीरा को गांधी सागर में छोड़ने का निर्णय लिया गया है।

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मध्य प्रदेश के खुले जंगल में चीते
- फोटो : अमर उजाला
प्रदेश में अभी 27 चीते
मध्य प्रदेश में वर्तमान में 27 चीते हैं – कूनो में 25 और गांधीसागर में 2 नर चीते। पहले से लाए गए 20 चीते में से 9 की मृत्यु हो चुकी है, जिनमें साशा, उदय, दक्षा, तेजस, सूरज, धात्री, शौर्य और पवन शामिल हैं। हालांकि अब तक 26 शावकों का जन्म हो चुका है, जिससे यह संकेत मिलता है कि कूनो और गांधीसागर दोनों अभयारण्यों में चीते सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण में प्रजनन कर रहे हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि चीता परियोजना ने प्रदेश को एशिया का गौरव दिलाया है। यह सिर्फ प्रजाति की वापसी नहीं, बल्कि वैश्विक प्रकृति संरक्षण में भारत की प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
ये भी पढ़ें- MP News: MP में 18 IAS के ट्रांसफर, विशेष गढ़पाले ऊर्जा विभाग में सचिव, वंदना वैद्य वित्त निगम में एमडी बनीं
तीन साल की साहसिक पहल
'प्रोजेक्ट चीता' की शुरुआत 17 सितंबर 2022 को नामीबिया से आठ चीते कूनो राष्ट्रीय उद्यान लाकर की गई। इसके बाद 18 फरवरी 2023 को दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीते लाए गए। शुरुआती दौर में विशेषज्ञों ने इस पर संदेह जताया कि भारतीय वातावरण चीतों के लिए उपयुक्त नहीं होगा, लेकिन तीन वर्षों में चीते भारतीय पारिस्थितिकी तंत्र में पूरी तरह समायोजित हो गए हैं। वन विभाग ने बताया कि कूनो और गांधीसागर दोनों अभयारण्यों में निगरानी और प्रबंधन और मजबूत किए गए हैं। विशेष ध्यान प्राकृतिक संतुलन, स्वास्थ्य, प्रजनन और शिकारी प्रजातियों पर दिया जा रहा है।
ये भी पढ़ें- जन्मदिवस विशेष पीएम मोदी: जिसने फौलादी चट्टानों को तोड़ा, उसने ही समय को मोड़ा
परियोजना की प्रमुख उपलब्धियां
- पांच मादा चीतों ने पिछले तीन वर्षों में छह बार शावकों को जन्म दिया।
- कूनो के घास के मैदानों और खुले जंगलों में जैव विविधता में वृद्धि हुई।
- स्थानीय समुदाय पर्यटन और संरक्षण से लाभान्वित हो रहे हैं।
- परियोजना को हाल ही में 'इनोवेटिव इनिशिएटिव्स अवॉर्ड' से सम्मानित किया गया।
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चीता प्रोजेक्ट के मुख्य तथ्य-
नामीबिया से आए चीते: 8
दक्षिण अफ्रीका से आए चीते: 12
कुल पुनर्वास: 20
मृत चीते: 9
शावकों का जन्म: 26
मृत शावक: 10
वर्तमान संख्या: 27 (कूनो-25, गांधीसागर-2)
मध्य प्रदेश में वर्तमान में 27 चीते हैं – कूनो में 25 और गांधीसागर में 2 नर चीते। पहले से लाए गए 20 चीते में से 9 की मृत्यु हो चुकी है, जिनमें साशा, उदय, दक्षा, तेजस, सूरज, धात्री, शौर्य और पवन शामिल हैं। हालांकि अब तक 26 शावकों का जन्म हो चुका है, जिससे यह संकेत मिलता है कि कूनो और गांधीसागर दोनों अभयारण्यों में चीते सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण में प्रजनन कर रहे हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि चीता परियोजना ने प्रदेश को एशिया का गौरव दिलाया है। यह सिर्फ प्रजाति की वापसी नहीं, बल्कि वैश्विक प्रकृति संरक्षण में भारत की प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
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तीन साल की साहसिक पहल
'प्रोजेक्ट चीता' की शुरुआत 17 सितंबर 2022 को नामीबिया से आठ चीते कूनो राष्ट्रीय उद्यान लाकर की गई। इसके बाद 18 फरवरी 2023 को दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीते लाए गए। शुरुआती दौर में विशेषज्ञों ने इस पर संदेह जताया कि भारतीय वातावरण चीतों के लिए उपयुक्त नहीं होगा, लेकिन तीन वर्षों में चीते भारतीय पारिस्थितिकी तंत्र में पूरी तरह समायोजित हो गए हैं। वन विभाग ने बताया कि कूनो और गांधीसागर दोनों अभयारण्यों में निगरानी और प्रबंधन और मजबूत किए गए हैं। विशेष ध्यान प्राकृतिक संतुलन, स्वास्थ्य, प्रजनन और शिकारी प्रजातियों पर दिया जा रहा है।
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परियोजना की प्रमुख उपलब्धियां
- पांच मादा चीतों ने पिछले तीन वर्षों में छह बार शावकों को जन्म दिया।
- कूनो के घास के मैदानों और खुले जंगलों में जैव विविधता में वृद्धि हुई।
- स्थानीय समुदाय पर्यटन और संरक्षण से लाभान्वित हो रहे हैं।
- परियोजना को हाल ही में 'इनोवेटिव इनिशिएटिव्स अवॉर्ड' से सम्मानित किया गया।
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चीता प्रोजेक्ट के मुख्य तथ्य-
नामीबिया से आए चीते: 8
दक्षिण अफ्रीका से आए चीते: 12
कुल पुनर्वास: 20
मृत चीते: 9
शावकों का जन्म: 26
मृत शावक: 10
वर्तमान संख्या: 27 (कूनो-25, गांधीसागर-2)