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कफ सिरप कांड: मां-बाप समझते रहे बड़ी बीमारी, पर दवा ही बनी जहर; दबे पांव आई मौत ने कलेजे के टुकड़ों को लीला
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, छिंदवाड़ा/बैतूल
Published by: हिमांशु प्रियदर्शी
Updated Tue, 07 Oct 2025 07:38 PM IST
सार
Cough Syrup Case: मध्यप्रदेश के आमला-परासिया क्षेत्र में दूषित कफ सिरप पीने से अब तक 19 बच्चों की मौत हो चुकी है और छह से अधिक गंभीर हैं। जांच में किडनी फेल होने का कारण यही सिरप निकला, जिससे दर्जनों परिवारों में मातम छा गया। सिरप कांड का खुलासा होने तक मां-बाप समझते रहे कि उनके बच्चे ही गंभीर बीमारी के शिकार हो गए। पढ़ें पूरी खबर...।
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गंभीर बीमारी ने नहीं, कफ सिरप ने ली बच्चों की जान
- फोटो : अमर उजाला
मध्यप्रदेश के आमला से परासिया की दूरी महज 90 किलोमीटर के आस-पास है। इस 90 किलोमीटर की परिधि में रहने वाले वे बच्चे जिन्होंने कफ सिरप पिया वो एक तरह की जंग लड़ रहे हैं। करीब 19 की मौत हो चुकी है, जबकि छह से ज्यादा जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं।
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जामुन बिछुआ ग्राम पंचायत
- फोटो : अमर उजाला
अगर कफ सिरप से किडनी खराब होने का खुलासा नहीं होता तो इनमें से ज्यादातर बच्चों के माता-पिता यही मानते कि उनके बच्चों को कोई बड़ी बीमारी थी। या फिर किडनी खराब होने की वजह से उनकी मौत हो गई। जबकि उनकी मौत का दोषी कफ सिरप बनाने वाले और सिस्टम में बैठे लोग थे। ज्यादातर मां-बाप अपने बच्चों की सर्दी खांसी का इलाज कराने डॉक्टर के पास गए थे। फिर धीरे-धीरे तबीयत बिगड़ी तो बीमारी बड़ी होने की बात डॉक्टर समझाते रहे, माता-पिता मानते भी रहे। कुछ को तो मीडिया में आई खबरों से पता चला कि बच्चों की बीमारी का बड़ा कारण कफ सिरप है।
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निहाल धुर्वे की भी कफ सिरप ने ली जान
- फोटो : अमर उजाला
पहला मामला- मजदूर निखिलेश ने खोया इकलौता बेटा निहाल
बैतूल के जामुन बिछुआ गांव के मजदूर निखिलेश धुर्वे का दो साल का इकलौता बेटा निहाल एक अक्तूबर को जिंदगी की जंग हार गया। निखिलेश बताते हैं कि बेटे को बुखार और खांसी थी। डॉक्टर प्रवीण सोनी को दिखाया, उन्होंने जो दवा लिखी, वही मेडिकल स्टोरी से ली और बच्चे को पिलाई। दो दिन बाद पेशाब बंद हो गई। हालत इतनी बिगड़ी कि भोपाल तक ले जाना पड़ा।
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निहाल धुर्वे की मौत के बाद सूना पड़ा घर
- फोटो : अमर उजाला
निखिलेश ने बताया कि हम अपने को कोस रहे थे कि बच्चे का इलाज समय पर नहीं करवा पाए, इलाज में देरी की। पर अब पता चला कि सिरप ही जानलेवा था। डॉक्टरों ने बताया कि दोनों किडनियां फेल हो चुकी हैं। निखिलेश ने रिश्तेदारों से 65,000 रुपये का कर्ज लिया। कुछ दोस्तों से उधार लिया, पर बेटा नहीं बच पाया।
कफ सिरप से जान गंवाने वाला बच्चा कबीर यादव
- फोटो : अमर उजाला
दूसरा मामला- सब कुछ दांव पर लगाकर भी बेटा नहीं बचा सके कैलाश
कलमेश्वरा गांव के कैलाश यादव ने अपने तीन साल के बेटे कबीर के इलाज के लिए सब कुछ दांव पर लगा दिया। कैलाश बताते हैं कि बच्चे के इलाज के लिए वे भी डॉ. प्रवीण सोनी के पास गए थे। डॉक्टर ने Coldrif Syrup और कुछ दवाएं दीं जो बच्चे को पिलाई गईं। सिरप देने के बाद कबीर की तबीयत और बिगड़ गई। शरीर सूज गया, उल्टियां बढ़ गईं और पेशाब रुक गई। उन्होंने बताया कि बेटा कबीर सर्दी-खांसी से बीमार था। फिर हालात बिगड़ती गई तो हमने सोचा शायद बीमारी गहरी है। जमीन गिरवी रख दी, चार लाख का कर्ज लिया, चार अस्पतालों में दौड़ लगाई, पर भोपाल एम्स में पता चला कि किडनी फेल हो चुकी है। तब तक हमने खबरें पढ़ ली थीं। हमको पता चल गया कि बच्चे को गहरी बीमारी नहीं थी। सिरप ही उसकी मौत के लिए जिम्मेदार है। कैलाश ने जांच टीम को सिरप की बची हुई बोतलें सौंपी हैं। इन्हें अब फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है।
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