छिंदवाड़ा में रोग को दूर करने वाला 'कफ सिरप' ही 9 बच्चों की मौत का जिम्मेदार बन गया। कप सिरप पीने के बाद पिछले 20 दिन में नौ बच्चों की किडनी फेल होने से मौत हो चुकी है। इनमें से ज्यादातर बच्चों ने नागपुर के निजी अस्पतालों में दम तोड़ा। मौत के ये आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। कई बच्चे अभी भी अस्पताल में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं।
Deadly Cough Syrup: दवा ही दे रही मौत! क्या 'कफ सिरप' में है इंजन और ग्रीस वाला केमिकल? किडनी कर रहा फेल
छिंदवाड़ा जिले में पिछले 20 दिनों में 9 बच्चों की किडनी फेल होने से मौत हो गई। इनमें से छह बच्चों के इलाज में Coldrif और Nextro-DS नामक कफ सिरप की हिस्ट्री सामने आई है। आशंका जताई जा रही है कि इन सिरप में ‘डायएथिलीन ग्लायकॉल’ नामक केमिकल मौजूद था, जो किडनी डैमेज का कारण बन सकता है।
क्या है 'डायएथिलीन ग्लायकॉल'
#WATCH | Bhopal, MP | Chhindwara cough syrup scare | Joint Director of Drugs Control, Tina Yadav says, "All the samples related to it have arrived and their testing is underway. After the testing is complete, we will be able to come to a conclusion. Before that, we are discussing… pic.twitter.com/alHf6wHFpB #WATCH | Narsinghpur, MP | Chhindwara cough syrup scare | MP Deputy CM, Rajendra Shukla says, "Samples of approximately 12 types of medicines have been sent for testing. Currently, the results of three samples have been received. The reports have not found any substances that… pic.twitter.com/k3QekC5fBV
छिंदवाड़ा मेडिकल कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर HOD डॉ. पवन नंदूरकर ने बताया कि रिसर्च में ऐसा पाया गया है 'कोल्ड सिरप' या 'कफ सिरप' बनाने के दौरान 'डायएथिलीन ग्लायकॉल' नाम के केमिकल के मिलाए जाने से इस तरह किडनी डैमेज के मामले सामने आते हैं। बैन किए गए Coldrif और Nextro-DS इन दो कफ सिरप में ये केमिकल था या नहीं ये तो जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद ही पता चलेगा। फिलहाल इनकी बिक्री पर रोक लगा दी गई है।
सिरप में केमिकल की संभावान क्यों?
डॉ. पवन नंदूरकर ने बताया कि वैसे तो किडनी डैमेज के कई कारण हो सकते हैं। पानी की खराबी, धातु का होना, जहरीला पदार्थ, डिहाईड्रेशन आदि के कारण भी किडनी डैमेज हो सकती है। अब क्योंकि अभी तक सामने आए मामलों में ये कफ सिरप कॉमन रही है। इस कारण Coldrif और Nextro-DS में 'डायएथिलीन ग्लायकॉल' केमिकल गड़बड़ी की संभावना जताई जा रही है।
पहले भी सामने आए मामले
डॉ. पवन नंदूरकर के अनुसार पहले भी इस तरह के मामले सामने आए हैं। तब रिसर्च यह पाया गया था कि किडनी डैमेज के मामलों के लिए 'एथिलीन ग्लाइकॉल' और 'डाइएथिलीन ग्लाइकॉल' केमिकल ही जिम्मेदार था।
केमिकल कहां होता है उपयोग
डॉ. पवन नंदूरकर का कहना है कि ज्यादातर कार के इंजन में डाले जाने वाले कूलेंट, पेंट्स या ग्रीस बनाने में इस केमिकल का उपयोग किया जाता है।
नमूने आ चुके हैं, जाँच चल रही
छिंदवाड़ा कफ सिरप कांड में ड्रग्स कंट्रोल की संयुक्त निदेशक टीना यादव कहती हैं कि इससे जुड़े सभी नमूने आ चुके हैं। उनकी जांच चल रही है। जांच पूरी होने के बाद ही हम किसी नतीजे पर पहुँच पाएंगे। उससे पहले, हम वरिष्ठ स्तर पर निवारक उपायों पर चर्चा कर रहे हैं ताकि यह तय किया जा सके कि क्या फ़ैसले लेने की ज़रूरत है। रिपोर्ट एक-दो दिन में आ जाएगी। सप्लाई सोर्स की जांच की तैयारी शुरू कर दी है, वहां स्टॉक है या नहीं, इसकी जाँच कर रहे हैं।
दवाओं के कारण मौतें हुईं कहना मुश्किल,रिपोर्ट का इंतजार
छिंदवाड़ा कफ सिरप कांड में मध्य प्रदेश के उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने कहा है कि लगभग 12 प्रकार की दवाओं के नमूने परीक्षण के लिए भेजे गए हैं। अभी तीन नमूनों के परिणाम प्राप्त हुए हैं। रिपोर्ट में ऐसा कोई पदार्थ नहीं मिला है जिससे यह पता चले कि इन दवाओं के कारण मौतें हुई हैं। हालाँकि, शेष दवाओं की रिपोर्ट आज शाम तक आने की उम्मीद है। फिलहाल, नीरी और भारत सरकार अपनी प्रयोगशालाओं में भेजे गए नमूनों की रिपोर्ट प्राप्त करने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि शाम तक अंतिम रिपोर्ट उपलब्ध हो जाएगी।
HOD डॉ. पवन नंदूरकर ने बताया कि अब तक नौ बच्चों की मौत हो चुकी है। दो और बच्चों की मौत पिछले तीन दिनों में हुई है। सवा साल की संध्या भोसोम 17 सितंबर को बीमार हुई थी। उसे 18 सितंबर को परासिया के निजी चिकित्सालय लाया गया था। फिर उसका इलाज सरकारी अस्पताल में चला। इसके बाद फिर परासिया के निजी चिकित्सालय में वापस 26 सितंबर को भर्ती किया गया। बाद में उसे सीएचसी परासिया से छिंदवाड़ा रेफर किया गया। छिंदवाड़ा जिला चिकित्सालय से संध्या को 28 सितंबर को नागपुर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया। नागपुर में एक अक्तूबर को उसकी मौत हो गई। संध्या के अलावा गायगोहान के चंचलेश यदुवंशी की भी नागपुर में उपचार के दौरान मौत हुई है।
कफ सिरप ने ली इन बच्चों की जान
- नाम उम्र पता
- दिव्यांश चंद्रवंशी 7 वर्ष डुड्डी
- अदनान खान 5 वर्ष न्यूटन चिखली
- हेतांश सोनी 5 वर्ष उमरेठ
- उसैद 4 वर्ष परासिया
- श्रेया यादव 18 माह परासिया
- विकास यदुवंशी 4 वर्ष दीघावानी
- योगिता विश्वकर्मा 5 वर्ष बोरिया
- संध्या भोसोम सवा साल परासिया
- चंचलेश यदुवंशी -- गायगोहान
एसडीएम शुभम यादव ने बताया कि पूरे इलाके में 1420 बच्चों को मैपिंग की गई है। इन बच्चों को वायरल हुआ था। सभी पर नजर रखी जा रही है। परासिया में गाइडलाइन भी जारी कर दी गई है। निजी अस्पतालों को कहा गया है कि वे वायरल केस आने पर उसे ट्रीट न करें। सीधे सरकारी अस्पताल को सूचित करें। जो व्यवस्था सरकार की तरफ से बनाई गई है। उसमें बच्चे का इलाज होगा। उन्होंने बताया कि पानी की जांच की गई हैं। वे सभी सामान्य हैं।
4658 बच्चों की हुई स्क्रीनिंग, 4411 के हुए टेस्ट
एसडीएम शुभम यादव यादव ने बताया कि बच्चों को बुखार होने के साथ ही उल्टी-दस्त और खांसी भी है। ये पैटर्न 2022 में गांबिया में भी देखने को मिला था। वहां पर भारत से वैक्सीन गईं थी। इस आधार पर वहां जांच हुई तो पता चला कि कफ सिरप में एक केमिकल था, जो घटना के लिए जिम्मेदार था, जिसकी वजह से बच्चों की किडनी पर असर पड़ा था। इसी आधार पर परासिया में भी जांच हो रही है। उनका कहना है कि ब्लॉक में दो लाख से ज्यादा की आबादी है, इसमें 25 हाजर बच्चे हैं, जो पांच साल के या फिर इससे छोटे हैं। आशा वर्कर की मदद से सर्वे करके अब तक करीब 4658 बच्चों की स्क्रीनिंग की गई है। इसमें से 4411 के टेस्ट किए जा चुके हैं इनकी रिपोर्ट सामान्य आई है। अभी अस्पताल में भर्ती बच्चों में से तीन की हालात गंभीर है, उनको डायलिसिस दिया जा रहा है। वे वेंटीलेटर पर हैं।

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