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होलकर रियासत की दिवाली: राजवाड़े के सामने मैदान में शक्ति प्रदर्शन करती थी सेना, राजा करते थे इत्रपान का आयोजन

Kamlesh Sen कमलेश सेन
Updated Mon, 20 Oct 2025 06:01 AM IST
सार

होलकर राज्य के समापन के बाद इंदौर में सबसे भव्य दीपावली पूजा सर सेठ हुकमचंद द्वारा की जाती थी। सीतलामाता बाजार में मशहूर उद्योगपति और कारोबारी सेठ हुकमचंद जी के कामकाज का मुख्यालय था। वहां बड़े ही भव्य तरीके से पूजा का आयोजन होता था। इस आयोजन में आतिशबाजी को देखने काफी लोग आया करते थे।

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Diwali of Holkar State: The army used to display its power in the field in front of the palace
होलकरकालीन दिवाली पर राजवाड़े पर एकत्र होते थे लोग - फोटो : अमर उजाला
1818 में इंदौर के राजधानी बनने के पूर्व होलकर नरेशों का इंदौर प्रमुख सैन्य केंद्र था। नगर में होलकर सेना की सैनिक छावनी थी। तब राज्य की राजधानी महेश्वर हुआ करती थी। राज्य की स्थापना के बाद से ही होलकर राजा प्रत्येक पर्व को बड़े उत्साह से मनाते थे। होलकर राज्य में राजपरिवार द्वारा नौ दिनी नवरात्र उत्सव, पांच दिनी गणेशोत्सव, तीन दिनी दशहरा और दीपोत्सव धनतेरस से भाईदूज तक पांच दिन मनाया जाता था। राजबाड़ा के दरबार में नगर के सेठ साहूकार, होलकर राज्य मंत्रिमंडल के सदस्य, प्रमुख ओहदेदार और दरबारी एकत्र होते थे। तब राजवाड़े के सामने मैदान में था और उसमें हाथी, घुड़सवार से सज्जित होकर होलकर सेना शक्ति प्रदर्शन करती थी।


होलकर राजपरिवार की भव्य दीपावली राजवाड़ा पर ही आयोजित होती थी। यह उस समय नगर का केंद्र बिंदु होने के साथ ही राज्य का मुख्यालय भी था। आज भी राजवाड़ा नगर के मध्य है और अपनी भव्यता और इतिहास को याद करता है।

भव्यता के साथ मनाया जाता था दीपोत्सव
देश की आजादी के बाद प्रत्येक बड़े पर्व पर राजवाड़ा  रोशनी से जगमगाता है। नगर में बिजली आने के बाद यह भ्रांति फैला दी गई थी कि बिजली की रोशनी से आंखें खराब हो जाएगी, इसलिए लोग बिजली के बल्वों के प्रकाश से दूर रहते थे। जब राजवाड़ा बिजली के प्रकाश से जगमगाया तो नगर में आश्चर्य हुआ था। जनमानस बिजली के बल्बों और उसके प्रकाश से भयभीत हो गया था। बिजली आने के पहले शिवविलास पैलेस और राजवाड़ा पर तेल के लालटेन और मशालों से दिवाली पर प्रकाश किया जाता था। यह रोशनी पांच दिन तक जारी रहती थी। इस कार्य को उस वक्त करने के लिए 200 से अधिक व्यक्ति और दो अधिकारी नियुक्त किए जाते थे।

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इंदौर में दिवाली के समय सेना शक्ति प्रदर्शन करती थी। - फोटो : फाइल फोटो
धनतेरस पर खजाने की पूजा होती थी 
धनतेरस के दिन राजा होलकर राज्य के कोषालय और खजाने की पूजा करते थे। महाराजा राजवाड़ा के गणेश हॉल में प्रवेश से पूर्व मल्हारी मार्तंड मंदिर में पूजन कर खजाने की पूजा करते थे। राज्य के खजाने में हीरे-जवाहरात, सोने और चांदी के जेवर और सिक्के बड़े थालों में सजाए जाते थे। 

किला मैदान से दी जाती थी तोपों की सलामी
राजवाड़ा में राजा के आगमन के पूर्व किला मैदान में तोप से पांच सलामी दी जाती थी। किला मैदान तक तोप सलामी की सूचना भेजने का तंत्र बहुत ही तीव्र होता था। वर्तमान में जहां देवी अहिल्या बाई की प्रतिमा है, वहां लकड़ी की सुंदर नक्काशी से श्री मल्हारी मार्तंड प्रसन्न-श्री महालक्ष्मी प्रसन्न लिखकर उसे दीयों से जगमग किया जाता था।

राजा बांटते थे इनाम
दीपावली के अवसर पर तत्कालीन होलकर महाराजा अपने राज्य के प्रमुख कर्मचारियों का सम्मान करते थे और उन्हें इनाम देकर पुरस्कृत करते थे। दिवाली मिलन समारोह पर नगर के प्रमुख लोग एकत्र होते और इत्र-पान होता था।  राजवाड़े के साथ होलकर रियासत के प्रमुख भवन माणिकबाग, लाल, पीली, काली, सफेद कोठी के साथ राजवंश की छत्रियों पर भी रोशनी की जाती थी। राजवाड़े के मैदान में रोमांचक खेलों का प्रदर्शन होता था। गोवर्धन पूजा का भव्य आयोजन हुआ करता था। महाराजा लाव लश्कर के साथ सराफा, कपड़ा बाजार तक घूमने जाया करते थे।?

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होलकरकालीन दिवाली पर राजवाड़े पर एकत्र होते थे लोग - फोटो : फाइल फोटो
रानी सराय पर लगता था मीना बाजार
दीपावली पर रानी सराय वाले स्थान अब रीगल तिराहे के समीप भव्य मीना बाजार का आयोजन होता था। इसमें महाराजा खरीदी करने जाते थे। द में इसका आयोजन विस्को पार्क (अब नेहरू पार्क) में होने लगा था। 

पटाखों से हुई राजकुमारी स्नेहलता राजे का निधन
रियासत के दौर में पटाखों का चलन भी था। अक्टूबर 1925 में पटाखे फोड़ने के दौरान महाराजा यशवंतराव की बेटी स्नेहलता राजे का हादसे में निधन हो गया था। उन्हीं के नाम पर स्नेहलता गंज बसा है, इस हादसे के बाद मीना बाजार का आयोजन नहीं हुआ।

भव्य होती थी हुकमचंद सेठ की दिवाली पूजा 
होलकर राज्य के समापन के बाद इंदौर में सबसे भव्य दीपावली पूजा सर सेठ हुकमचंद द्वारा की जाती थी। सीतलामाता बाजार में मशहूर उद्योगपति और कारोबारी सेठ हुकमचंद जी के कामकाज का मुख्यालय था। वहां बड़े ही भव्य तरीके से पूजा का आयोजन होता था। इस आयोजन में आतिशबाजी को देखने काफी लोग आया करते थे। हुकमचंद जी के कारोबार की राशि का स्ट्रांग रूम सीतलामाता बाजार के कार्यालय में था। कपडा मार्केट में नगर की कपड़ा मिलों की दुकानें थी। वहां भव्य पूजा समारोह आयोजित किया जाता था और दूसरे दिन मुहूर्त के सौदे होते थे।
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