Indore:भदौरिया ने की तनख्वाह से 12 गुना ज्यादा अवैध कमाई, शराब कारोबारियों से साझेदारी निभाई
अवैध शराब माफ़िया से साँठ-गाँठ, गुजरात तक अवैध शराब पहुँचाना और शराब ठेकेदारों को फ़ायदा पहुँचाकर भदौरिया ने अंधा पैसा कमाया और उसे रियल एस्टेट, सोने-चाँदी में निवेश किया। सेवानिवृत्त होने के बाद अब वे शानो-शौकत में भी खूब पैसा उड़ा रहे थे।

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आबकारी विभाग के सेवानिवृत्त अधिकारी धर्मेंद्र भदौरिया की अवैध कमाई 25 करोड़ रुपये तक पहुँच चुकी है। भदौरिया जब नौकरी में थे, तो अपनी महँगी जीवन शैली, शानो-शौकत के मामले में चर्चा में रहते थे। महँगे परफ़्यूम, महँगी कारों के शौकीन भदौरिया ने सेवाकाल में अपनी कमाई से 12 गुना ज़्यादा कमाया।

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अवैध शराब माफ़िया से साँठ-गाँठ, गुजरात तक अवैध शराब पहुँचाना और शराब ठेकेदारों को फ़ायदा पहुँचाकर भदौरिया ने अंधा पैसा कमाया और उसे रियल एस्टेट, सोने-चाँदी में निवेश किया। सेवानिवृत्त होने के बाद अब वे शानो-शौकत में भी खूब पैसा उड़ा रहे थे। बायपास की एक टाउनशिप में उन्होंने अपने आलीशान बंगले पर ही दस करोड़ रुपये से ज़्यादा के खर्च की योजना बना रखी थी। उसके लिए चीन से डेढ़ करोड़ रुपये का सजावट का सामान मँगाया गया था। भदौरिया के बेटे और बेटी ने भी अपने पिता की काली कमाई से ही अपना व्यापार शुरू किया था और अलग-अलग फ़र्मों में निवेश किया।

बेटा नहीं बता पाया आय के स्रोत
भदौरिया का बेटा सूर्यांश रेस्तराँ, फ़िल्म निर्माण व अन्य कंपनियों में अपने पिता की काली कमाई लगाता था। लोकायुक्त पुलिस को पता चला कि भदौरिया व उनके परिवार के नाम पर चार लॉकर हैं। परिवार ने जेसी वेंचर्स में भी निवेश किया है। इसके दस्तावेज़ भी अफसरों को मिले। सूर्यांश के लॉकर में भी सोने के आभूषण व नक़द मिले, लेकिन वे अफसरों को आय के स्रोत नहीं बता सके।
परिवार के खातों में कुल 1 करोड़ 26 लाख रुपये जमा हैं। 20 से ज़्यादा बीमा और अन्य पॉलिसियाँ भी जाँच में मिलीं। पत्नी के नाम बैंक ऑफ़ बड़ौदा में एक लॉकर पाया गया है। अफ़सरों ने उन लॉकरों को फ़्रीज कराया है और उन्हें भदौरिया तथा उनके परिवार की मौजूदगी में खोला। पुत्र सूर्यांश भदौरिया की एक रेस्टोरेंट में भी साझेदारी मिली है, जिसमें सूर्यांश ने निवेश किया है। भदौरिया के ग्वालियर स्थित आवास पर 22 लाख रुपये कीमत का सामान मिला।
नौकरी के साथ धंधा भी जमाया
धर्मेंद्र भदौरिया ने आबकारी विभाग में रहते हुए अवैध पैसा भी कमाया और ठेकेदारों से व्यापारिक संबंध भी बनाए और उसका फ़ायदा भी उठाया। अघोषित रूप से वे पेटी कांट्रेक्टर बनकर कारोबार सँभालते थे। इसके अलावा गुजरात तक अवैध शराब पहुँचाने वाले सिंडिकेट की वे भरपूर मदद करते थे। इसके एवज़ में उन्हें काफी पैसा मिलता था। आलीराजपुर से जंगल के कई रास्ते हैं, जो गुजरात तक जाते हैं। इन रास्तों से ही अवैध शराब गुजरात तक पहुँचाई जाती है। आला अफसरों के साथ भी भदौरिया ने पैसे के दम पर इतनी जमावट कर ली थी कि उनका तबादला भी धार-झाबुआ और आस-पास के ज़िलों में ही होता था। वे अपनी मनचाही पोस्टिंग कराते थे।