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MP CM Mohan Yadav: प्रहलाद पटेल क्यों नहीं बने मप्र के मुख्यमंत्री, पढ़ें क्या थी वजह

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, इंदौर Published by: अर्जुन रिछारिया Updated Mon, 11 Dec 2023 05:04 PM IST
सार

मप्र के नए मुख्यमंत्री मोहन यादव बने। BJP विधायक, MP कोर ग्रुप की सहमति से Mohan Yadav का नाम तय हुआ। Madhya Pradesh को नया Chief Minister मिला। नए सीएम से एमपी भाजपा में खुशी की लहर है। मध्यप्रदेश के नए CM जल्द पदभार ग्रहण करेंगे।

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MP madhya pradesh CM chief minister Mohan yadav Prahlad Singh Patel rejected
Mohan Yadav Prahlad Singh Patel - फोटो : अमर उजाला, इंदौर
आखिरकार मप्र के मुख्यमंत्री CM के लिए इंतजार खत्म हो ही गया और मोहन यादव Mohan Yadav को भारत के दिल की कमान सौंप दी गई। वहीं सीएम के लिए चल रहे नामों में से प्रमुख नाम प्रहलात सिंह पटेल को सीएम की कुर्सी मिलते मिलते रह गई। भारत का दिल कहा जाने वाला MP अब मोहन यादव के नेतृत्व में आगे बढ़ेगा। मोहन यादव ने Madhya Pradesh विधानसभा चुनाव में BJP के लिए उज्जैन से चुनाव जीता। उन्हें हिंदूवादी नेता के रूप में जाना जाता है। Mohan Yadav के Chief Minister बनने से भाजपा संगठन में खुशी की लहर है। CM जल्द पदभार ग्रहण करेंगे। मोहन यादव मध्यप्रदेश की सियासत के एक मंझे हुए और माहिर खिलाड़ी हैं। वे तीसरी बार के विधायक हैं। संघ से जुड़े रहे हैं। 58 साल उनकी उम्र है। अनुशासित माने जाते रहे हैं और जमीन से उठे हैं। ओबीसी वर्ग से आते हैं। 


प्रहलाद सिंह पटेल मप्र के मुख्यमंत्री बनते बनते रह गए। मप्र का भाजपा संगठन हो या फिर दिल्ली का शीर्ष नेतृत्व हर जगह प्रहलाद सिंह पटेल अपनी ताकत साबित कर चुके हैं। इसके बावजूद कई कारणों से उन्हें यह पद नहीं मिल पाया। भाजपा सूत्रों के मुताबिक भाजपा संगठन ने प्रहलाद सिंह पटेल को कई बड़ी जिम्मेदारियां दी हैं। इनमें सबसे प्रमुख काम है डैमेज कंट्रोल। माना जाता है कि मप्र हो या देश का कोई भी कोना प्रहलाद सिंह पटेल ही एकमात्र एेसे नेता हैं जो डैमेज कंट्रोल करने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मप्र के चुनाव में भी इस बार उन्होंने अपनी इस प्रतिभा का परिचय दिया और भाजपा के सभी बागी नेताओं को समझाने की जिम्मेदारी बखूबी निभाई। इसके साथ मप्र में चल रहे केंद्र सरकार के बड़े प्रोजेक्ट्स में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। वह उन चुनिंदा नेताओं में से एक हैं जिन पर दिल्ली के नेता मप्र के काम के लिए पूरा भरोसा करते हैं। संगठन का मानना है कि भाजपा को प्रहलाद सिंह पटेल की इन योग्यताओं की जरूरत है और उनके पास अभी कई मौके हैं। 

क्यों आ रहा था प्रहलाद पटेल का नाम
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prahlad singh patel प्रहलाद सिंह पटेल - फोटो : prahlad singh patel प्रहलाद सिंह पटेल
सबकी सहमति के बाद बने मुख्यमंत्री
भोपाल में सोमवार को कोर ग्रुप और विधायक दल की बैठक के बाद मोहन यादव के लिए यह निर्णय लिया गया। पर्यवेक्षकों ने विधायकों से बात की और राज्य के अगले सीएम के नाम पर सर्वसम्मति बनाई गई। प्रदेश के भाजपा विधायकों के साथ दिल्ली के नेतृत्व की भी इस पर सहमति ली गई। इसके बाद मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा की गई। 
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prahlad singh patel प्रहलाद सिंह पटेल - फोटो : अमर उजाला, इंदौर
बेहतर शिक्षा
नरसिंहपुर जिले के गोटेगांव में प्रहलाद पटेल का जन्म 28 जनवरी 1960 को हुआ था। पटेल की उम्र 63 साल है। पटेल गवर्नमेंट साइंस कॉलेज, जबलपुर से स्नातक हैं। उन्होंने बीएससी, एलएलबी, एमए दर्शनशास्त्र, आदर्श विज्ञान महाविद्यालय और यूटीडी रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर मध्य प्रदेश से शिक्षा प्राप्त की। परिवार खेती किसानी का काम करता था। प्रहलाद पटेल पेशे से वकील हैं। 

पत्नी की संपत्ति अधिक
पटेल ने अपने चुनावी घोषणापत्र में बताया है कि उनके पास 2 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति है। वहीं घर में उनके पास 1 लाख रुपए कैश है। इसके साथ ही बैंक में 6 लाख 3 हजार रुपए जमा है। पहलाद के पीएफ खाता में 16लाख रुपए है तो वहीं 15 लाख की एलआईसी है। इसके साथ वह एक जर्मन मेड रिवॉल्वर तो 12 बोर की एक रायफल भी है। वहीं 1 करोड़ 41 लाख रुपए का पहलाद पटेल कर्जदार भी हैं। केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल से ज्यादा उनकी पत्नी पुष्पलता पटेल धनवान हैं। पहलाद के पास 2 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति और पत्नी के पास 4.20 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति है। जिसमें सेविंग अकाउंट में 6 लाख 42 हजार रुपए है। इसके अलावा 7 लाख की अलग रकम है। साथ ही वह एक किलो तक सोना और 12 किलो चांदी भी है। इतना ही नहीं उनके पास में 28 लाख के शेयर भी है।
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prahlad singh patel - फोटो : अमर उजाला, इंदौर
अनुभव कई नेताओं से ज्यादा
मुख्यमंत्री की रेस में चल रहे नामों के लिहाज से देखा जाए तो पहलाद सिंह पटेल सबसे वरिष्ठ नेता हैं। वे पहली बार 1989 में सिवनी से सांसद बने थे। वे अब तक चार अलग-अलग लोकसभा सीटों सिवनी, बालाघाट, छिंदवाड़ा और दमोह से चुनाव लड़ चुके हैं। पटेल ने कुल सात लोकसभा के चुनाव लड़े और पांच में जीत हासिल की। 1998 और 2004 के चुनाव में पटेल को क्रमश: सिवनी और छिंदवाड़ा से हार का सामना करना पड़ा। इस बार वो पहली बार विधानसभा चुनाव में नरसिंहपुर से मैदान में थे और जीत हासिल की। पटेल के लिए नेगेटिव फैक्टर यही है कि साल 2005 में जब उमा भारती ने भारतीय जनता पार्टी छोड़कर 'भारतीय जनशक्ति पार्टी' बनाई थी तब वो भी उनके साथ चले गए थे। हालांकि, 3 साल बाद मार्च 2009 में उन्होंने भाजपा में वापसी की थी।
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