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ममलेश्वर लोक का विरोध तेज: जनप्रतिनिधियों और संत समाज ने दी आंदोलन की चेतावनी, सीएम से मिलेंगे विधायक

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, ओंकारेश्वर Published by: दिनेश शर्मा Updated Sun, 09 Nov 2025 09:53 PM IST
सार

ओंकारेश्वर में 136 करोड़ की ममलेश्वर महालोक योजना को लेकर विरोध तेज है। स्थानीय नागरिक, संत समाज और जनप्रतिनिधि ब्रह्मपुरी क्षेत्र में निर्माण के विरोध में हैं, क्योंकि इससे मकान और आश्रम उजड़ेंगे। सभी ने चेतावनी दी है कि स्थल परिवर्तन न हुआ तो सामूहिक इस्तीफा और आंदोलन होगा।

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Mamleshwar Lok's protest intensifies, Public representatives and saint community warn of agitation
संत मंडल के अध्यक्ष मंगलदास त्यागी जी महाराज के नेतृत्व में मांधाता विधायक से मिला प्रतिनिधि मंडल - फोटो : अमर उजाला
ज्योतिर्लिंग नगरी ओंकारेश्वर में प्रस्तावित ममलेश्वर महालोक योजना को लेकर प्रशासनिक तैयारियां अंतिम चरण में पहुंच गई हैं। खंडवा कलेक्टर ऋषव गुप्ता ने संकेत दिए हैं कि टेंडर प्रक्रिया पूरी होते ही कार्य प्रारंभ किया जाएगा, लेकिन महालोक निर्माण के तय स्थान को लेकर स्थानीय नागरिकों, संत समाज और जनप्रतिनिधियों में गहरा असंतोष उभर आया है। विरोध के स्वर तीव्र होते जा रहे हैं और अब यह मामला मुख्यमंत्री तक पहुंचने वाला है। 


राज्य सरकार द्वारा 136 करोड़ की लागत से ममलेश्वर लोक निर्माण किया जाएगा। इसमें करीबन 300 मकान, होटल, दुकान, मठ, मंदिर, आश्रमों को तोड़ा जाएगा। पूरी ब्रह्मपुरी को खाली करवाने की सरकार की पूरी योजना है। लोगों ने कहा कि हम कई वर्षों से यहां रह रहे हैं। रोजी-रोटी व्यापार व्यवसाय सब यहीं से चलता है। सरकार द्वारा यहां पर जो ममलेश्वर लोक का निर्माण किया जाएगा, वह लोगों के घर बार परिवारों को उजाड़ के बनाया जाएगा, क्या यह सब न्यायोचित है?

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जनप्रतिनिधियों की आपात बैठक, इस्तीफे की चेतावनी
ममलेश्वर लोक की प्रस्तावित स्थल चयन को लेकर ओंकारेश्वर में कांग्रेस एवं भाजपा दोनों दलों के पार्षदों, संतजनों और समाजसेवियों की एक संयुक्त बैठक आयोजित की गई। बैठक में सर्वसम्मति से आक्रोश प्रकट करते हुए कहा गया कि यदि ममलेश्वर लोक का स्थान परिवर्तित नहीं किया गया तो नगर के समस्त जनप्रतिनिधि अपने पदों से सामूहिक इस्तीफा देंगे और आंदोलन शुरू करेंगे।

बैठक में पूर्व नगर परिषद अध्यक्ष अंतरसिंह बारे, नेता प्रतिपक्ष राजेश यादव, पार्षद रोमी चौकसे, चंपाबाई, गंगाराम पंचोली, पार्षद पति सुनिल सोने, गोपाल खंडेलवाल, प्रेमलाल गवले, पूर्व पार्षद दिनेश पेंटर, नगर भाजपा अध्यक्ष संतोष वर्मा तथा महंत मंगलदास त्यागी, अध्यक्ष षट् दर्शन संत मंडल, सहित अनेक जनप्रतिनिधियों ने भाग लिया। सभी ने एक स्वर में कहा कि ममलेश्वर लोक का निर्माण धार्मिक परंपरा और स्थानीय भावनाओं के अनुरूप होना चाहिए, न कि केवल प्रशासनिक सुविधा के आधार पर।

 
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Mamleshwar Lok's protest intensifies, Public representatives and saint community warn of agitation
कुबेर भंडारी मंदिर में ओंकारेश्वर के लोगों और प्रशासन के बीच ममलेश्वर लोक के स्थान चयन को लेकर बैठक - फोटो : अमर उजाला
स्थानीय विरोध के चलते सर्वेक्षण रुका
इधर, प्रशासन द्वारा प्रस्तावित स्थल पर सर्वेक्षण प्रारंभ कर दिया गया था, किंतु नागरिकों के विरोध के कारण टीम को वापस लौटना पड़ा। पूर्व में अपर कलेक्टर सृष्टि देशमुख की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में भी नागरिकों ने खुलकर विरोध दर्ज कराया था।

शांति और परंपरा के विपरीत
स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन द्वारा चुना गया स्थल ब्रह्मपुरी क्षेत्र नर्मदा तट के अत्यंत समीप है, जहां वर्षों से साधु-संतों के आश्रम और परंपरागत पूजा स्थल हैं। इस पवित्र भूमि पर भारी निर्माण कार्य धार्मिक शांति और परंपरा के विपरीत होगा।

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विधायक से मुलाकात
शनिवार को ब्रह्मपुरी क्षेत्र के सैकड़ों निवासी सुलगांव स्थित हथिया बाबा मंदिर पर मांधाता विधायक नारायण पटेल से मिलने पहुंचे। नागरिकों ने विधायक से आग्रह किया कि वे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से चर्चा कर सर्वेक्षण कार्य तत्काल रोकें। विधायक पटेल ने कलेक्टर ऋषव गुप्ता से मोबाइल पर बात की और मुख्यमंत्री से मुलाकात तक सर्वे कार्य रोकने के निर्देश देने का आग्रह किया। उन्होंने सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल से भी फोन पर चर्चा की और प्रतिनिधि मंडल के साथ मंगलवार को मुख्यमंत्री से मिलने की बात कही।

संत समाज ने जताई चिंता
ओंकारेश्वर के प्रमुख संत महंत मंगलदास त्यागी ने कहा कि हम विकास के विरोधी नहीं हैं, परंतु ममलेश्वर लोक का स्वरूप और स्थान नर्मदा की परंपरा और धार्मिक भावनाओं के अनुरूप होना चाहिए। यहां के संत समाज को विश्वास में लिए बिना यह योजना आगे नहीं बढ़ाई जानी चाहिए।

सीएम ओंकारेश्वर आकर संतों के साथ बैठक करें
ओंकारेश्वर विश्वप्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग और मां नर्मदा की आराधना भूमि है। यहां प्रस्तावित ममलेश्वर महालोक निश्चित ही धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने वाला प्रोजेक्ट हो सकता है, किंतु यदि यह स्थानीय परंपरा, संत समाज और निवासियों की भावनाओं के विपरीत हुआ तो यह परियोजना जनविरोध का कारण बन सकती है। जनता की मांग है कि मुख्यमंत्री स्वयं ओंकारेश्वर आकर संत समाज, नागरिकों और प्रशासन के साथ बैठकर स्थान का पुनः विचार करें, ताकि धार्मिक गरिमा के साथ विकास की दिशा भी सुरक्षित रह सके।
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