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नर्मदा तट पर निमाड़ उत्सव का धमाल: गोटीपुआ नृत्य ने मोह लिया मन, छोटे बालकों ने जगन्नाथ स्तुति से जीता दिल
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, महेश्वर
Published by: शबाहत हुसैन
Updated Sun, 23 Nov 2025 08:17 PM IST
सार
MP: निमाड़ उत्सव के दौरान उत्कर्ष विद्यालय परिसर में बालक-बालिकाओं की कुश्ती प्रतियोगिता आयोजित की गई, जिसमें बच्चों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। इसी प्रकार, देवी अहिल्या बाई परिसर में मेंहदी प्रतियोगिता का सफल आयोजन हुआ।
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उत्सव
- फोटो : अमर उजाला
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निमाड़ उत्सव के अंतर्गत 23 नवंबर को विविध लोक-सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भव्य आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न राज्यों की परंपराओं और निमाड़ की सांस्कृतिक धरोहर ने रंग बिखेरा। कार्यक्रम में पुरी (ओडिशा) के चन्द्रमणि प्रधान एवं साथियों द्वारा प्रसिद्ध गोटीपुआ नृत्य, तथा बड़ौदा के विजयभाई राठवा एवं दल द्वारा राठ नृत्य की अद्भुत प्रस्तुति ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
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गोटीपुआ नृत्य की विशेषता बताते हुए विद्वानों ने कहा कि ओड़िया भाषा में ‘गोटी’ का अर्थ ‘एक’ और ‘पुआ’ का अर्थ ‘लड़का’ होता है। परंपरा के अनुसार, छोटे बालक स्त्री के रूप में श्रृंगारित होकर भगवान जगन्नाथ की स्तुति में नृत्य प्रस्तुत करते हैं। इस अनोखी परंपरा ने दर्शकों को ओडिशा की सांस्कृतिक समृद्धि से परिचित कराया।
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निमाड़ी कवियों ने बढ़ाया बोली का मान
सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के साथ आयोजित निमाड़ी कवि सम्मेलन भी उत्सव का मुख्य आकर्षण रहा। कार्यक्रम की अध्यक्षता पद्मश्री जगदीश जोशीला की गरिमामयी उपस्थिति में हुई। सम्मेलन में मोहन परमार (खरगोन), दिलीप काले (महेश्वर), राम शर्मा परिंदा (मनावर), जितेंद्र यादव (कसरावद), धनसिंह सेन (जलकोटा) एवं बिहारी पाटीदार गांववाला (उमियाधाम करोंदिया) ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को आनंदित किया। कवियों ने “निमाडी म्हारी बोली अमाडी संग घोली”, “संत सियाराम बाबा”, “नरबदा मैया को किणाऽरों” जैसी रचनाओं के माध्यम से निमाड़ की बोली, संस्कृति और जनजीवन का भावपूर्ण चित्र प्रस्तुत किया। निमाड़ी परंपरा कवि सम्मेलन हंसी, आनंद और सांस्कृतिक जुड़ाव के साथ सम्पन्न हुआ।
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विद्यालयों में भी दिखा उत्सव का उत्साह
निमाड़ उत्सव के दौरान उत्कर्ष विद्यालय परिसर में बालक–बालिकाओं की कुश्ती प्रतियोगिता आयोजित की गई, जिसमें बच्चों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। इसी प्रकार, देवी अहिल्या बाई परिसर में मेंहदी प्रतियोगिता का सफल आयोजन हुआ, जिसमें बालिकाओं की कलात्मक प्रतिभा देखने को मिली। विविधताओं से भरे इन कार्यक्रमों ने निमाड़ उत्सव को सांस्कृतिक सौंदर्य, परंपरा और लोककलाओं का अद्भुत संगम बना दिया।
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