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MP News: जब अकाल में भगवान शिव ने दिया जल का वरदान, तब बना भूतेश्वर धाम, जहां हर पत्थर बोलता है इतिहास

न्यूज डेस्क, अमर उजाला,टीकमगढ़ Published by: आशुतोष प्रताप सिंह Updated Tue, 22 Jul 2025 08:33 AM IST
सार

मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित शिव धाम सरसेड सावन के पवित्र महीने में श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र बन जाता है। नाग वंश के शासक शांति देव द्वारा 6वीं शताब्दी में निर्मित यह भूतेश्वर महादेव मंदिर न केवल ऐतिहासिक धरोहर है, बल्कि चमत्कारिक शिवलिंग और रहस्यमयी गुफाओं के कारण आस्था का केंद्र भी है। 
 

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Lord Shiva gave boon of water during drought Bhuteshwar Dham was built know this history
सरसेड में बसा नाग वंश का प्राचीन शिव धाम - फोटो : अमर उजाला
बुंदेलखंड की धरती पर स्थित शिव धाम सरसेड सावन के पावन महीने में हजारों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बन जाता है। छतरपुर जिले के सीमावर्ती क्षेत्र में स्थित यह प्राचीन मंदिर नाग वंश के शासकों की शिव भक्ति का जीवंत प्रमाण है। 6वीं शताब्दी में नागराज शांति देव द्वारा निर्मित भूतेश्वर महादेव मंदिर, जहां शिवलिंग के ऊपर की विशाल चट्टान हर 5 वर्ष में एक इंच ऊपर उठती है — यह मान्यता इस स्थान को चमत्कारी और रहस्यमयी बनाती है।
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इतिहास की जड़ों से जुड़ा शिव धाम ऐतिहासिक सर्वेक्षणों के अनुसार, सरसेड क्षेत्र कभी नाग राजाओं की रिय - फोटो : अमर उजाला
इतिहास की जड़ों से जुड़ा शिव धाम
ऐतिहासिक सर्वेक्षणों के अनुसार, सरसेड क्षेत्र कभी नाग राजाओं की रियासत थी, जहां शिव भक्ति को राज्यधर्म का दर्जा प्राप्त था। नागराज शांति देव के शासनकाल में जब भयंकर अकाल पड़ा, तो उन्होंने भगवान शिव की उपासना की। मान्यता है कि शिव ने स्वप्न में दर्शन देकर पहाड़ी पर प्रकट होने की आकाशवाणी की और वहीं जल स्रोत फूटे। आज भी मंदिर के पास मौजूद कुंड भीषण गर्मी में भी जल से लबालब रहते हैं, जबकि आसपास के क्षेत्रों में जल संकट बना रहता है।

शिव धाम सरसेड केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि प्रकृति की गोद में बसा हुआ रमणीय स्थल भी है। पहाड़ियों से घिरे इस स्थान पर कल-कल बहते झरने, चहचहाती पक्षियां और हरियाली श्रद्धालुओं को आत्मिक शांति का अनुभव कराती है। मंदिर परिसर में मौजूद कई प्राचीन जलकुंड, स्नान स्थल और गणेश मंदिर आज भी ऐतिहासिक गौरव की गवाही देते हैं, हालांकि इनमें से कई अब जर्जर हो चुके हैं।
 
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प्राकृतिक सौंदर्य और ऐतिहासिक वैभव से भरपूर है शिव धाम सरसेड - फोटो : अमर उजाला
गुफा, खजाना और रहस्य
स्थानीय किंवदंतियों के अनुसार, मंदिर से एक गुफा महल की ओर जाती थी, जिससे नागराजा सीधे मंदिर तक पहुंचते थे। यह गुफा अब बंद है, लेकिन माना जाता है कि इसमें बहुमूल्य धातुएं और आभूषणों का खजाना छिपा हुआ है। इतिहासकार डॉ. के.पी. त्रिपाठी के अनुसार, नाग वंशीय शासक शिव उपासक होते थे और पत्थरों से निर्मित उनके स्थापत्य में कोई रासायनिक मिश्रण नहीं होता था। जहां एक ओर श्रद्धालुओं की भीड़ हर सावन में मंदिर परिसर को गुंजायमान कर देती है, वहीं दूसरी ओर प्रशासनिक उपेक्षा ने इस ऐतिहासिक धरोहर को पीछे धकेल दिया है। स्थानीय निवासी बताते हैं कि 1947 से पहले सरसेड तहसील हुआ करता था, लेकिन स्वतंत्रता के बाद यह दर्जा भी छीन लिया गया। न ही पुरातत्व विभाग ने संरक्षण की दिशा में कदम उठाए और न ही पर्यटन विभाग ने इसे अपने नक्शे में शामिल किया। डॉ. नरेंद्र अरजरिया, जिन्होंने शिव धाम सरसेड पर पुस्तक लिखी है, कहते हैं कि यह स्थान अपने प्राकृतिक और धार्मिक महत्व के बावजूद अभी तक पर्यटन के नक्शे पर जगह नहीं बना सका है, जिसकी मुख्य वजह प्रशासनिक अनदेखी और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उदासीनता है।
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नाग शासकों की आस्था का प्रतीक है शिव धाम सरसेड - फोटो : अमर उजाला
श्रद्धालुओं की आस्था और मान्यता
श्रद्धालुओं का मानना है कि शिव धाम सरसेड में सच्चे मन से प्रार्थना करने पर भोलेनाथ सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। मंदिर परिसर में लगे झूमर और शून्यधर बोर्ड इस बात की गवाही देते हैं। श्रद्धालु रामकिशोर बताते हैं कि यह स्थान शिवभक्तों के लिए चमत्कारी धाम है। यह मंदिर छतरपुर जिले के सरसेड गांव में स्थित है, जो जिला मुख्यालय से 60 किलोमीटर दूर है। यहां हरपालपुर से 3 किलोमीटर पश्चिम में पक्की सड़क द्वारा पहुंचा जा सकता है। हरपालपुर रेलवे स्टेशन झांसी-मानिकपुर रेल मार्ग पर स्थित है, जहां से टैक्सी की सुविधा उपलब्ध है। हरपालपुर नगर में रुकने के लिए होटल और लॉज भी मौजूद हैं।
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