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Rajasthan: झील किनारे मिली हड्डी जैसी संरचना, जैसलमेर में फिर गूंजा सवाल, क्या यहीं थे डायनासोर के ठिकाने?

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जैसलमेर Published by: आशुतोष प्रताप सिंह Updated Fri, 22 Aug 2025 01:29 PM IST
सार

जैसलमेर जिले के फतेहगढ़ उपखंड के मेघा गांव में झील के किनारे खुदाई के दौरान ग्रामीणों को हड्डी जैसी आकृति और जीवाश्म जैसे अवशेष मिले। सूचना पर एसडीएम और तहसीलदार मौके पर पहुंचे।
 

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Jaisalmer Mysterious remains found banks lake Megha village related to the dinosaur era
(प्रतीकात्मक फोटो) - फोटो : अमर उजाला
जैसलमेर के मेघा गांव के पास तालाब किनारे खुदाई के दौरान रहस्यमयी जीवाश्म मिले हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह जुरासिक काल के उड़ने वाले डायनासोर का हिस्सा हो सकता है। प्राथमिक जांच में यह संरचना रीढ़ की हड्डी जैसी प्रतीत हो रही है, जबकि इसका बड़ा हिस्सा 15 से 20 फीट जमीन के अंदर दबा हुआ है।
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Jaisalmer Mysterious remains found banks lake Megha village related to the dinosaur era
मेघा गांव में झील किनारे मिले रहस्यमयी अवशेष - फोटो : अमर उजाला
भूजल वैज्ञानिक नारायण दास इणखिया ने दावा किया कि यह जैसलमेर के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा कंकाल है। उनका कहना है कि जियोलॉजिकल सर्वे की टीम इसकी जांच करेगी, जिससे यह स्पष्ट हो सकेगा कि जीवाश्म किस प्रजाति का है और कितने वर्ष पुराना है।
 
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जैसलमेर में मिले करोड़ों साल पुराने अवशेष - फोटो : अमर उजाला
डॉ. इणखिया के अनुसार, यह अवशेष लाखों-करोड़ों साल पुराने हो सकते हैं। अगर यह अन्य जानवर की हड्डियां होतीं तो समय के साथ नष्ट हो जातीं। लेकिन इनके सुरक्षित रहने से यह माना जा रहा है कि यह जीवाश्म बनने की प्रक्रिया में जम चुके हैं। उनका अनुमान है कि यह करीब 20 फीट लंबे किसी उड़ने वाले डायनासोर का कंकाल हो सकता है।
Jaisalmer Mysterious remains found banks lake Megha village related to the dinosaur era
: मेघा गांव की झील किनारे मिले रहस्यमयी अवशेष - फोटो : अमर उजाला

गौरतलब है कि जैसलमेर क्षेत्र प्राचीन भूगर्भीय इतिहास से जुड़ा है। करीब 25 करोड़ वर्ष पहले यह इलाका समुद्र का हिस्सा हुआ करता था, जहां डायनासोर भोजन की तलाश में आते थे। यही कारण है कि यहां समय-समय पर जीवाश्म और प्राचीन अवशेष मिलते रहे हैं। इससे पहले वर्ष 2023 में डॉ. इणखिया को जेठवाई पहाड़ी पर मॉर्निंग वॉक के दौरान डायनासोर के अंडे का जीवाश्म मिला था। वहीं थईयात की पहाड़ियों में भी डायनासोर के पैरों के निशान और हड्डियां खोजी जा चुकी हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि जैसलमेर में मिले ये नए अवशेष भारत की पुरातत्व और भूगर्भीय धरोहर को और समृद्ध करेंगे। वैज्ञानिक जांच के बाद ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि यह सचमुच उड़ने वाले डायनासोर का कंकाल है या किसी अन्य प्राचीन जीव का अवशेष।
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