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बासनपीर छतरी विवाद: जैसलमेर का बासनपीर बना छाबनी, माहौल बिगड़ने का डर, जानें क्या है मामला ?

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जैसलमेर Published by: अर्पित याज्ञनिक Updated Sat, 19 Jul 2025 12:59 PM IST
सार

 बासनपीर गांव में पुराने रियासती योद्धाओं की स्मृति में बनी टूटी छतरियों को बनाने का काम जब शुरू हुआ तो विशेष समुदाय के लोगों ने इसका विरोध किया। विरोध धीरे-धीरे हिंसक होता चला गया। अब यहां का माहौल तनाव पूर्ण हैं। इस पर राजनीति भी शुरू हो गई है। नेताओं के साथ भीड़ जमा ना हो इसके लिए प्रशासन ने धारा-163 भी लगा दी है। 

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Rajasthan News: Basanpir dispute takes a political turn, administration troubled by visits of leaders
बासनपीर गांव धारा-163 लागू। - फोटो : अमर उजाला

राजस्थान के जैसलमेर जिले के सदर थाना क्षेत्र में अंतर्गत स्थित बासनपीर गांव इन दिनों एक विवाद के चलते सुर्खियों में है। 10 जुलाई को ऐतिहासिक छतरियों के पुनर्निर्माण कार्य के दौरान उत्पन्न हुआ मामूली विवाद धीरे-धीरे हिंसक रूप ले बैठा और अब यह मुद्दा सामाजिक, धार्मिक और  राजनीतिक भी हो गया है। क्षेत्र में धारा-163 लागू  है लेकिन नेता वहां जबरन जा रहे हैं।  जैसलमेर प्रशासन अलर्ट मोड पर आ चुका है। अब यहां पर जैसलमेर-बाड़मेर के सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल और बायतु विधायक हरीश चौधरी पहुंच रहे हैं। बासनपीर से बहुत पहले फतेहगढ़ में सांसद के काफिले को रोकने की तैयारी की गई है। ये जगह बासनपीर से करीब 90 किलोमीटर पहले है। इलाके को छावनी में तब्दील कर दिया गया है। पुलिस ने बैरिकेडिंग लगा दी है। पुलिस और प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद है। ये पूरा विवाद क्या है, आइए जानते हैं। 

मामला क्या है और अब तक की स्थिति क्या है ?
10 जुलाई की सुबह बासनपीर गांव में पुराने रियासती योद्धाओं की स्मृति में बनी छतरियों के पुनर्निर्माण कार्य शुरू हुआ। तब पास के गांव से  बड़ी संख्या में धर्म विशेष के पुरुष, महिलाएं और बच्चे मौके पर पहुंचे। उन्होंने  निर्माण को रोकने की कोशिश की। देखते ही देखते भीड़ उग्र हो गई और पत्थरबाजी शुरू हो गई। इस पथराव में कई वाहन क्षतिग्रस्त हो गए, जबकि एक कांस्टेबल सहित चार लोग घायल हो गए। हालात बेकाबू होते देख पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा।

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पत्थरबाजी में गिरफ्तार किए गए ग्रामीण। - फोटो : अमर उजाला
गिरफ्तारी और कानूनी कार्रवाई
घटना के बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए घटनास्थल से प्राप्त वीडियो फुटेज, चश्मदीदों के बयान और अन्य सबूतों के आधार पर जांच शुरू की। 11 जुलाई तक कुल 23 लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें 15 से अधिक महिलाएं शामिल थीं। इन सभी को न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया गया। पुलिस ने इन पर राजकार्य में बाधा, जानलेवा हमला और धारा 307 सहित कई गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया है।

शांति स्थापना के प्रयास, लेकिन विवाद नहीं थमा
घटना के तुरंत बाद क्षेत्र में भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने गांव में शांति बहाल करने का प्रयास किया और स्थिति पर नियंत्रण पा लिया। लेकिन मामला यहीं शांत नहीं हुआ। गांव में हुई हिंसा को लेकर राजनीतिक प्रतिक्रिया आने लगी।भाजपा और कांग्रेस के कई बड़े नेताओं ने गांव आने और घटनास्थल पर पहुंचने की घोषणाएं करनी शुरू कर दीं।

 
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गांव में नेताओं की जनसभा। - फोटो : अमर उजाला
राजनीतिक दौरे और प्रशासन की चिंता
10 जुलाई के बाद जैसलमेर विधायक छोटू सिंह भाटी, पोकरण विधायक महंत प्रताप पुरी, शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी और पूर्व विधायक सांग सिंह भाटी बासनपीर पहुंचे। इसके अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी 16 जुलाई को आने वाले थे लेकिन धारा-163 होने के कारण वे नहीं आ पाए। कांग्रेस नेता हरीश चौधरी ने 19 जुलाई को गांव पहुंचने की घोषणा कर दी। राजनीतिक गतिविधियों के चलते प्रशासन को आशंका हुई कि फिर से माहौल बिगड़ सकता है। इसी को देखते हुए प्रशासन ने 16 जुलाई को धारा-163 लागू कर दी और सभा, जुलूस, रैली और भीड़ इकट्ठा करने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया।

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बासनपीर गांव में नेताओं की इंट्री। - फोटो : अमर उजाला
अब सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल और हरीश चौधरी का बासनपीर दौरा
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के मध्यप्रदेश प्रभारी और बायतु विधायक हरीश चौधरी ने आज (19 जुलाई) बासनपीर गांव का दौरा करने की घोषणा कर दी। इससे क्षेत्र में कानून-व्यवस्था को लेकर प्रशासनिक तंत्र पूरी तरह अलर्ट हो गया है।

हरीश चौधरी बोले- हम मोहब्बत की दुकान खोलने के लिए बासनपीर जाएंगे
विधायक हरीश चौधरी ने मीडिया से बातचीत में स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य क्षेत्र में बढ़ते वैमनस्य के बीच शांति और सद्भावना का संदेश देना है। उन्होंने कहा, "हम थार के लोग हमेशा भाईचारे और अपणायत में विश्वास रखते आए हैं, लेकिन कुछ तत्वों ने यहां जहर घोलने की कोशिश की है। हम मोहब्बत की दुकान खोलने के लिए बासनपीर जाएंगे।" उन्होंने आगे कहा कि वे बासनपीर में गांधी रामधुन संकीर्तन और सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन करना चाहते थे और इसके लिए उन्होंने जैसलमेर जिला प्रशासन से अनुमति मांगी थी, लेकिन उन्हें अभी तक कोई स्वीकृति नहीं मिली। बावजूद इसके, उन्होंने यह भी एलान किया कि उन्हें यदि रास्ते में कहीं भी रोका गया, तो वे वहीं बैठकर प्रार्थना और रामधुन का आयोजन करेंगे।
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घटना के समय पुलिस टीम पर पत्थर फेंकतीं महिलाएं। - फोटो : अमर उजाला
कानून के उल्लंघन की अनुमति किसी को नहीं
बासनपीर में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए धारा 163 पहले ही प्रभावी कर दी गई है। इस धारा के चलते किसी भी बाहरी व्यक्ति का गांव में प्रवेश निषेध है। जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सुधीर चौधरी ने स्पष्ट किया है कि कानून के उल्लंघन की अनुमति किसी को नहीं दी जाएगी और यदि कोई व्यक्ति जबरन प्रवेश करने की कोशिश करता है, तो उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। जैसलमेर-बाड़मेर सीमा पर सुरक्षा के मद्देनज़र अतिरिक्त पुलिस जाब्ता तैनात कर दिया गया है। दोनों जिलों को जोड़ने वाले प्रमुख सड़क मार्गों पर बैरिकेड्स लगा दिए गए हैं और हर आने-जाने वाली गाड़ी की गहन जांच की जा रही है। पुलिस की निगरानी टीम लगातार बॉर्डर गतिविधियों पर नजर रखे हुए है ताकि किसी प्रकार की अप्रिय घटना न हो।
 
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