आजादी के 74 साल बाद भी भारत में एक गांव ऐसा है जहां देश का नहीं बल्कि देवता का कानून चलता है। यहां देवता ही न्यायाधीश हैं। देवता के लिए दिए फैसले पर कोई आपत्ति नहीं करता। सदियों से गांव की व्यवस्था देव परंपरा और गांव की अपनी लोकतांत्रिक प्रणाली से चलती है। मलाणा गांव में चुनी जाने वाली 14 सदस्यीय संसद गांव के कायदे कानून लागू करती है। गांव के तमाम विवादों का निपटारा गांव की संसद ही करती है।
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले के गांव मलाणा में यह परंपरा सदियों से चल रही है। हिमाचल प्रदेश की कुल्लू घाटी के उत्तर पूर्व में स्थित चंद्रघाटी के बीच 8000 फीट की ऊंचाई पर बसे मलाणा गांव में यह व्यवस्था अधिष्ठाता देवता जमलू के अनुसार लागू होती है। देवता के कारदार रिडकू राम का कहना है कि मलाणा में संसद के सदस्यों का आदेश सबके लिए सर्वोपरि है। नियमों की अवहेलना करने वाले को देवता के आदेश अनुसार संसद ही दंड का प्रावधान करती है।
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले के गांव मलाणा में यह परंपरा सदियों से चल रही है। हिमाचल प्रदेश की कुल्लू घाटी के उत्तर पूर्व में स्थित चंद्रघाटी के बीच 8000 फीट की ऊंचाई पर बसे मलाणा गांव में यह व्यवस्था अधिष्ठाता देवता जमलू के अनुसार लागू होती है। देवता के कारदार रिडकू राम का कहना है कि मलाणा में संसद के सदस्यों का आदेश सबके लिए सर्वोपरि है। नियमों की अवहेलना करने वाले को देवता के आदेश अनुसार संसद ही दंड का प्रावधान करती है।