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हिमाचल: शिलाई पहुंचे चालदा महासू महाराज; फूल-मालाओं से हुआ स्वागत, एक साल पशमी में रुकेंगे, देखें तस्वीरें

सुरेश तोमर, संवाद न्यूज एजेंसी, पांवटा साहिब/शिलाई (सिरमौर)। Published by: Krishan Singh Updated Mon, 15 Dec 2025 11:01 AM IST
सार

पहली बार गिरिपार के शिलाई पहुंचे चालदा महासू महाराज का द्राबिल के बाद शिलाई में स्वागत भव्य और उत्साह के साथ हुआ।

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Himachal: Chalda Mahasu Maharaj arrives in Shilahi; welcomed with flowers and garlands, will stay in Pashmi
शिलाई पहुंचे चालदा महासू महाराज - फोटो : संवाद

हिमाचल प्रदेश में पहली बार गिरिपार के शिलाई पहुंचे चालदा महासू महाराज का द्राबिल के बाद शिलाई में स्वागत भव्य और उत्साह के साथ हुआ। हजारों श्रद्धालुओं का सैलाब फूल-मालाओं और पारंपरिक नृत्यों के साथ स्वागत करने पहुंचा। महाराज का आगमन क्षेत्र में नई ऊर्जा और आध्यात्मिक महत्व के प्रति गहरी भावनात्मक जुड़ाव को भी दर्शाता है। शनिवार और फिर रविवार को स्वागत में उमड़ा श्रद्धालुओं का जन सैलाब पूरी कहानी बयां कर रहा है। वैसे तो वर्ष 2020 में जब मुल्क मालिक का प्रतीक चिन्ह घानंडुआ बकरा बिना किसी की सहायता से स्वयं उत्तराखंड के दस्ऊ गांव से टौंस नदी को पार कर जब पशमी गांव पहुंचा था। ऐसे में महाराज के हिमाचल आगमन की उद्घोषणा उसी समय हो गई थी। सिरमौर के लोग चालदा महासू के आगमन को एक ऐतिहासिक और चमत्कारी घटना मानते हैं। जिले भर के लोगों को पहली बार महाराज के स्वागत का सौभाग्य मिल पाया है। सोमवार सुबह 4:00 बजे महाराज पशमी में भव्य मंदिर में विराजमान हुए। 


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शिलाई पहुंचे चालदा महासू महाराज - फोटो : संवाद

अनूठी देव परंपरा
यह एक अनूठी देव परंपरा है। यह देव परंपरा देवभूमि उत्तराखंड और हिमाचल को आपस में जोड़ रही है। खासकर जब महाराज के उत्तराखंड से प्रदेश के सिरमौर क्षेत्र की ऐतिहासिक प्रथम यात्रा पर हैं। जहां लोग आस्था के प्रतीक देवता के आगमन से रोमांचित हैं। बता दें कि उत्तराखंड के दसऊ गांव में महासू महाराज को विदा करते हुए भक्तों को रोते हुए देखा गया था। वही, उत्तराखंड सीमा के मीनस पुल से हिमाचल में प्रवेश करते ही स्वागत के समय सबकी खुशी और उत्साह चरम पर रहा। 

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चालदा महासू महाराज। - फोटो : संवाद

आस्था का प्रतीक हैं चालदा महासू महाराज
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने हिमाचल के सिरमौर में छत्रधारी चालदा महासू महाराज का स्वागत करते हुए कहा कि महाराज के पावन आगमन से पूरे क्षेत्र में आस्था, श्रद्धा और उल्लास का वातावरण है। प्रभु का एक वर्ष तक पश्मी गांव में विराजमान रहना प्रदेश के लिए सौभाग्य और दिव्य आशीर्वाद का प्रतीक है। जयराम ठाकुर ने कहा कि महासू महाराज हिमाचल की लोक संस्कृति और देव आस्था के रक्षक हैं। 

Himachal: Chalda Mahasu Maharaj arrives in Shilahi; welcomed with flowers and garlands, will stay in Pashmi
चालदा महासू महाराज के दरबार में पहुंचे मंत्री हर्षवर्धन। - फोटो : संवाद

दो वर्ष पूर्व आलोचना झेलने वाले पशमी में हो रहा महासू महाराज का आगमन
शिलाई उपमंडल का पशमी गांव प्रशासनिक रूप से भले ही शिलाई खत के अंतर्गत आता हो, लेकिन सामाजिक-परंपरागत संरचना में इसकी स्थिति हमेशा विशिष्ट रही है। शिलाई खत के 52 गांव जहां परंपरागत रूप से मुखिया, जेलदार और नंबरदार की व्यवस्था को स्वीकार करते रहे हैं, वहीं पशमी गांव ने ऐतिहासिक रूप से इस व्यवस्था को पूरी तरह मान्यता नहीं दी।  करीब दो वर्ष पूर्व पशमी गांव के लोगों ने अपने गांव की चालदा महासू महाराज की पालकी के साथ शिलाई खत के 52 गांवों की परिक्रमा की। यह परिक्रमा धार्मिक आस्था का प्रतीक थी, लेकिन खत स्तर पर इसे परंपरागत मर्यादाओं के उल्लंघन के रूप में देखा गया। परिणाम स्वरूप पूरे खत में इसका विरोध हुआ और पशमी गांव को सामाजिक-राजनीतिक आलोचना का सामना करना पड़ा।

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चालदा महासू महाराज - फोटो : संवाद

इसके बावजूद पशमी गांव पीछे नहीं हटा। गांव में महासू महाराज के मंदिर का निर्माण किया गया, जो न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र बना, बल्कि पशमी की स्वायत्त पहचान का भी प्रतीक बन गया। अब स्थिति एक नए मोड़ पर है। शिलाई के नंबरदार द्वारा अगवानी करने से मना करने पर पुनदराऊ नंबरदार शिलाई क्षेत्र के विधायक एवं वर्तमान उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान की अगुवाई में उत्तराखंड से चालदा महासू महाराज का पशमी गांव में आगमन हुआ। यह केवल एक धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि सामाजिक स्वीकृति और राजनीतिक संरक्षण का संकेत भी है।

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