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Anant Chaturdashi 2025: अनंत चतुर्दशी पर क्यों बांधा जाता है अनंत रक्षासूत्र ? जानिए महत्व और पूजा विधि

शैली प्रकाश, अमर उजाला Published by: मेघा कुमारी Updated Sun, 31 Aug 2025 11:28 AM IST
सार

Anant Chaturdashi 2025: गणेश चतुर्थी के बाद डोल ग्यारस और उसके बाद अनंत चतुर्दशी आती है। अनंत चतुर्दशी का व्रत भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन रखा जाता है। 

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Anant Chaturdashi 2025 - फोटो : Adobe Stock

Anant Chaturdashi 2025: गणेश चतुर्थी के बाद डोल ग्यारस और उसके बाद अनंत चतुर्दशी आती है। अनंत चतुर्दशी का व्रत भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन रखा जाता है। अनंत चतुर्दशी के दिन एक ओर जहां गणेश मूर्ति का विसर्जन करते हैं, वहीं दूसरी ओर भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा का विधान होता है। भगवान विष्णु के सेवक भगवान शेषनाग का नाम अनंत है। अग्नि पुराण में अनंत चतुर्दशी व्रत के महत्व का वर्णन मिलता है। भगवान श्रीकृष्ण ने भी पांडवों को अनंत चतुर्दशी का महत्व बताया था।

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चतुर्मास में भगवान विष्णु शेषनाग की शैय्या पर अनंत शयन में रहते हैं। - फोटो : Adobe Stock

कौन है भगवान अनंत ?
चतुर्मास में भगवान विष्णु शेषनाग की शैय्या पर अनंत शयन में रहते हैं। अनंत भगवान ने ही वामन अवतार में दो पग में ही तीनों लोकों को नाप लिया था। इनके न तो आदि का पता है न अंत का इसलिए भी यह अनंत कहलाते हैं। अत: इनके पूजन से आपके सभी कष्ट समाप्त हो जाएंगे। भगवान विष्णु के सेवक भगवान शेषनाग का नाम अनंत है।

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भाद्रपद शुक्ल की अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान अनंत की पूजा का विधान होता है। - फोटो : Adobe Stock

अनंत चतुर्दशी क्यों मनाते हैं ?
छह चतुर्थियों का खास महत्व है- भाद्रपद शुक्ल की अनंत चतुर्दशी, कार्तिक कृष्ण की कृष्ण, रूप या नरक चतुर्दशी, कार्तिक शुक्ल की वैकुण्ठ चतुर्दशी, वैशाख शुक्ल माह की विनायक चतुर्दशी, फाल्गुन मास की चतुर्दशी (महाशिवरात्रि) और श्रावण मास की चतुर्दशी (शिवरात्रि) का खासा महत्व है।
 

भाद्रपद शुक्ल की अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान अनंत की पूजा का विधान होता है। यदि आपने अपने जीवन में सब कुछ पाकर सब कुछ खो दिया है और संकटों से घिरे होकर कष्ट झेल रहे हैं तो अनंत चतुर्दशी का विधिवत व्रत रखें और पूजा करेंगे तो फिर से सभी कुछ प्राप्त कर लेंगे। इसलिए मनाते हैं अनंत चतुर्दशी का त्योहार।

 


अनंत संसार महासुमद्रे मग्रं समभ्युद्धर वासुदेव।

अनंतरूपे विनियोजयस्व ह्रानंतसूत्राय नमो नमस्ते।।

मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने के साथ-साथ यदि कोई व्यक्ति श्री विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करता है, तो उसकी समस्त मनोकामना पूर्ण होती है। धन-धान्य, सुख-संपदा और संतान आदि की कामना से यह व्रत किया जाता है।

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कैसे करें भगवान अनंत की पूजा ? - फोटो : Adobe Stock

कैसे करें भगवान अनंत की पूजा ?

  • प्रातःकाल स्नान आदि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लेकर पूजा स्थल पर कलश स्थापित करें।
  • कलश की विधिवत पूजा करें और भगवान विष्णु की तस्वीर को एक पाट पर स्थापित करें।
  • कलश पर अष्टदल कमल की तरह बने बर्तन में कुश से निर्मित अनंत की स्थापना करने के पश्चात एक धागे को कुमकुम, केसर और हल्दी से रंगकर अनंत सूत्र तैयार करें, इसमें चौदह गांठें लगी होनी चाहिए।
  • अनंत सूत्र को भगवान विष्णु की तस्वीर के सामने रखकर दोनों की षोडशोपचार विधि से पूजा शुरू करें और उपरोक्त मंत्र का जाप करें।
  • इसके बाद विधिवत पूजन के बाद अनंत सूत्र को बाजू में बांध लें। पुरुष बाएं हाथ में और महिलाएं बाएं हाथ में बांधें।
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इस व्रत में भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा के बाद बाजू पर अनंत सूत्र बांधा जाता है जिसका विशेष महत्व होता है। - फोटो : Adobe Stock

अनंत चतुर्दशी पर क्यों बांधते हैं अनंत सूत्र ?
इस व्रत में भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा के बाद बाजू पर अनंत सूत्र बांधा जाता है जिसका विशेष महत्व होता है। इस दिन कच्चे धागे से बने 14 गांठ वाले धागे को बाजू में बांधने से भगवान विष्णु की अनंत कृपा प्राप्त होती है। इस धागे को बांधने की विधि और नियम का पुराणों में उल्लेख मिलता है।

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