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Shradh 2025: सर्वपितृ अमावस्या पर क्यों बनती है दान की टोकरी, जानें क्या-क्या रखें

धर्म डेस्क, अमर उजाला Published by: श्वेता सिंह Updated Sun, 14 Sep 2025 12:32 PM IST
सार

Pitru Tarpan Ritual:  मान्यता है कि पितृपक्ष की समाप्ति पर पितरों की आत्माएं अपने परिजनों को आशीर्वाद देकर पुनः अपने लोक को लौटती हैं। ऐसे में यदि इस दिन श्रद्धा और नियमों के अनुसार तर्पण, पिंडदान व दान किया जाए, तो पूर्वज अत्यंत प्रसन्न होते हैं। 

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Shradh 2025 Why a Donation Basket is Made on Sarvapitri Amavasya What to Keep Inside
सर्वपितृ अमावस्या, पितृपक्ष का अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। - फोटो : अमर उजाला

Sarvapitri Amavasya Donation: सर्वपितृ अमावस्या, पितृपक्ष का अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। यह तिथि उन सभी ज्ञात-अज्ञात पितरों को समर्पित होती है जिनकी मृत्यु तिथि का पता नहीं होता या जिनका श्राद्ध किसी कारणवश न किया जा सका हो। ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष की समाप्ति पर पितरों की आत्माएं अपने परिजनों को आशीर्वाद देकर पुनः अपने लोक को लौटती हैं। ऐसे में यदि इस दिन श्रद्धा और नियमों के अनुसार तर्पण, पिंडदान व दान किया जाए, तो पूर्वज अत्यंत प्रसन्न होते हैं और अपने वंशजों को सुख, शांति और समृद्धि का वरदान देते हैं।

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इस शुभ अवसर पर एक विशेष परंपरा का भी महत्व है , दान की टोकरी तैयार करना। इस टोकरी में जीवनोपयोगी वस्तुएं जैसे अनाज, वस्त्र, तिल, गुड़, पंचमेवा, दक्षिणा, और श्राद्ध सामग्री रखकर किसी ब्राह्मण, मंदिर या ज़रूरतमंद व्यक्ति को दान दिया जाता है। यह न केवल पूर्वजों की आत्मा की तृप्ति का साधन बनता है, बल्कि दान करने वाले व्यक्ति के जीवन में भी धन, आरोग्य और सौभाग्य बना रहता है।
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इस टोकरी में रोजमर्रा की जरूरी वस्तुएं जैसे अनाज, तिल, गुड़, वस्त्र, दक्षिणा, आदि रखी जाती हैं। - फोटो : adobe stock

दान की टोकरी क्यों बनाई जाती है?
सर्वपितृ अमावस्या के दिन दान का विशेष महत्व होता है, क्योंकि यह दिन पितरों को विदाई देने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का अंतिम अवसर होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितरों को प्रसन्न करने का सबसे सरल और प्रभावी माध्यम दान है। यही कारण है कि इस दिन विशेष रूप से दान की टोकरी तैयार करने की परंपरा है।
इस टोकरी में रोजमर्रा की जरूरी वस्तुएं जैसे अनाज, तिल, गुड़, वस्त्र, दक्षिणा, आदि रखी जाती हैं और श्रद्धा भाव से इसे किसी ब्राह्मण, मंदिर या ज़रूरतमंद को अर्पित किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह दान पितरों तक पहुंचता है और उनकी आत्मा को तृप्त करता है। बदले में वे अपने वंशजों को सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और शांति का आशीर्वाद देते हैं। इस परंपरा से न सिर्फ पितृ कृपा मिलती है, बल्कि यह परिवार की उन्नति और कल्याण का मार्ग भी प्रशस्त करती है।

 

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सर्वपितृ अमावस्या पर एक विशेष दान की टोकरी तैयार करने की परंपरा बहुत शुभ मानी जाती है।

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पिंड दान - फोटो : Adobe

दान की टोकरी में क्या रखें और कैसे करें दान?
सर्वपितृ अमावस्या पर जब हम अपने पितरों को विदा देने के भाव से तर्पण और दान करते हैं, तो एक विशेष दान की टोकरी तैयार करने की परंपरा बहुत शुभ मानी जाती है। यह टोकरी पितरों की तृप्ति और कृपा पाने का श्रेष्ठ माध्यम मानी जाती है। आइए जानें इसमें क्या-क्या रखना चाहिए और इसे कैसे दान करना चाहिए।
 

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चावल, गेहूं और काले तिल टोकरी में अवश्य रखें। - फोटो : Adobe stock

दान की टोकरी में क्या रखें?

  • चावल, गेहूं और काले तिल टोकरी में अवश्य रखें। यह पितरों की आत्मा की तृप्ति के लिए अति आवश्यक माने गए हैं।
  • सफेद या पीले रंग का कपड़ा (धोती, साड़ी या सुथनी) रखें। इससे पितरों को शांति और संतोष प्राप्त होता है।
  • हरी सब्जियां जैसे लौकी, कद्दू का दान करने से पितृदोष का शमन होता है और जीवन में रुकावटें दूर होती हैं।
  • तांबे या पीतल के बर्तन शुद्ध धातु के पात्र जैसे लोटा या थाली टोकरी में रखें। यह मां लक्ष्मी की कृपा पाने का मार्ग खोलते हैं।
  • थोड़ी सी दक्षिणा रुपए या सिक्के, गुड़, खील या कोई मिठाई ज़रूर रखें। यह पूर्ण श्रद्धा का प्रतीक होता है।
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दक्षिण दिशा की ओर मुख करके तर्पण करें, यानी जल अर्पित करें। - फोटो : freepik

दान की विधि कैसे करें?

  • सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें और शांत मन से पितरों का ध्यान करें।
  • दक्षिण दिशा की ओर मुख करके तर्पण करें, यानी जल अर्पित करें।
  • फिर, श्रद्धा और प्रेमपूर्वक यह टोकरी किसी ब्राह्मण, गौशाला या ज़रूरतमंद व्यक्ति को भेंट करें।
  • दान सदा प्रसन्न मन से करें, तभी उसका पूर्ण फल प्राप्त होता है।

 

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