{"_id":"68c66494537fc8c97f02fd3b","slug":"shradh-pitru-paksha-matru-navami-2025-importance-and-blessings-for-ancestors-2025-09-14","type":"story","status":"publish","title_hn":"15 सितंबर को श्राद्ध पक्ष की मातृ नवमी, मातृ पितरों को मिलेगी तृप्ति और देंगे सुख-समृद्धि का आशीर्वाद","category":{"title":"Religion","title_hn":"धर्म","slug":"religion"}}
15 सितंबर को श्राद्ध पक्ष की मातृ नवमी, मातृ पितरों को मिलेगी तृप्ति और देंगे सुख-समृद्धि का आशीर्वाद
धर्म डेस्क, अमर उजाला
Published by: विनोद शुक्ला
Updated Sun, 14 Sep 2025 12:16 PM IST
विज्ञापन
सार
पितृपक्ष की नवमी तिथि विशेष रूप से उन महिलाओं के श्राद्ध के लिए मानी गई है जिनका निधन उनके पति के जीवित रहते हुआ हो। शास्त्रों में उल्लेख है कि इस दिन उन माताओं, बहनों और बेटियों का भी श्राद्ध किया जा सकता है जिनकी मृत्यु तिथि ज्ञात न हो।

पितृ पक्ष
- फोटो : adobe stock
विज्ञापन
विस्तार
पितृपक्ष का हर दिन अपने आप में खास महत्व रखता है। यह 16 दिवसीय अवधि पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए समर्पित होती है। शास्त्रों में कहा गया है कि इस काल में किया गया श्राद्ध, तर्पण और दान पितरों को संतुष्ट कर उन्हें मोक्ष की ओर अग्रसर करता है। इन्हीं तिथियों में नवमी का विशेष महत्व है, जिसे मातृ नवमी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन मातृ पक्ष यानी दिवंगत माताओं, बहनों और बेटियों की आत्मा को तृप्त करने के लिए श्राद्ध और दान का विधान है। साल 2025 में पितृपक्ष की नवमी तिथि 15 सितंबर, सोमवार के दिन पड़ रही है। आइए जानते हैं इस दिन का महत्व और इससे जुड़ी धार्मिक मान्यताएं।

Trending Videos
मातृ नवमी क्यों कहलाती है खास
पितृपक्ष की नवमी तिथि विशेष रूप से उन महिलाओं के श्राद्ध के लिए मानी गई है जिनका निधन उनके पति के जीवित रहते हुआ हो। शास्त्रों में उल्लेख है कि इस दिन उन माताओं, बहनों और बेटियों का भी श्राद्ध किया जा सकता है जिनकी मृत्यु तिथि ज्ञात न हो। मान्यता है कि इस दिन किए गए श्राद्ध से न केवल मातृ पितर तृप्त होते हैं बल्कि घर-परिवार और कुल में सुख-समृद्धि का वास होता है।
विज्ञापन
विज्ञापन
Karwa Chauth 2025: कब रखा जाएगा करवाचौथ का व्रत? जानें सही तिथि, पूजा मुहूर्त और विधि
मातृ नवमी श्राद्ध का महत्व
मातृ नवमी को मातृ पक्ष का विशेष दिन माना गया है। इस दिन किए गए श्राद्ध से मातृ पितरों की आत्मा प्रसन्न होकर श्राद्धकर्ता को आशीर्वाद देती है। यह तिथि मातृ पितरों की आत्मा को शांति और मोक्ष प्रदान करने वाली कही गई है। जो लोग इस दिन श्रद्धापूर्वक तर्पण और पिंडदान करते हैं उनके जीवन में मातृत्व, स्नेह और करुणा की कमी नहीं रहती। धर्मग्रंथों में यह भी कहा गया है कि इस दिन किया गया श्राद्ध नारी जाति के प्रति सम्मान और कृतज्ञता प्रकट करने का माध्यम है।
Pitru Paksha 2025: अगर आप पर पितृदोष है, तो पितृ पक्ष में करें ये उपाय
मातृ नवमी पर क्या करें ?
मातृ नवमी के दिन श्राद्ध के साथ-साथ दान-पुण्य करना अत्यंत आवश्यक माना गया है। परंपरा है कि इस दिन सुहागिन स्त्रियों को सुहाग का सामान जैसे चूड़ियाँ, बिंदी, सिंदूर या वस्त्र भेंट करना शुभ फल देता है। वृद्ध महिलाओं को उपहार देना और उनका आशीर्वाद लेना भी कल्याणकारी माना गया है। इसके अतिरिक्त किसी ब्राह्मण पत्नी को आदरपूर्वक भोजन कराना तथा पीपल के वृक्ष के नीचे दीपक जलाना इस दिन विशेष पुण्यदायी होता है।
Shradh Paksha: पितरों को मुक्ति दिलाने के लिए हैं ये 13 मोक्ष स्थल, जानें इनका महत्त्व
इसके अलावा गाय, कुत्ते, चींटी, मछली और कौवे को अन्न-जल देने का भी विधान है। मान्यता है कि इन जीवों को दिया गया अन्न सीधे पितरों तक पहुँचता है और उनकी आत्मा को शांति प्रदान करता है। इस दिन दिवंगत माताओं और बहनों को स्मरण करके उनकी आत्मा की तृप्ति हेतु श्रद्धा और प्रेम से कार्य करना चाहिए। यही सच्ची मातृ श्रद्धा मानी जाती है।
अपनी राशि के दैनिक राशिफल को और अधिक विस्तार से जानने के लिए myjyotish के बेस्ट एस्ट्रोलॉजर से कंसल्ट करें!
कमेंट
कमेंट X