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Pitru Paksha 2025: गयाजी में पिंड दान होने पर पितरों को मिलती है मुक्ति, जानें इससे जुड़ी कथा

धर्म डेस्क, अमर उजाला Published by: श्वेता सिंह Updated Sat, 13 Sep 2025 12:54 PM IST
सार

Significance of Pind Daan: हिन्दू धर्म में ऐसा विश्वास है कि गया जी में पिंडदान करने से पूर्वजों की आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है और उन्हें शांति मिलती है। यही कारण है कि हर वर्ष पितृ पक्ष (श्राद्ध पक्ष) के दौरान लाखों श्रद्धालु देश-विदेश से यहां आकर अपने पितरों का पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध कर्म करते हैं। 

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Pitru Paksha 2025 Significance of Pind Daan in Gaya Ji Know Story Behind Ancestors Liberation
गया जी में श्राद्ध - फोटो : अमर उजाला

Significance of Pind Daan in Gaya Ji: पितृ पक्ष की शुरुआत हो चुकी है। इन दिनों  सभी लोग अपने पितरों का तर्पण या श्राद्ध किसी न किसी तीर्थ स्थल पर करते हैं। गया जी भारत का एक ऐसा ही अत्यंत पवित्र तीर्थ स्थल है, जो बिहार राज्य में स्थित है। हिन्दू धर्म में ऐसा विश्वास है कि गया जी में पिंडदान करने से पूर्वजों की आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है और उन्हें शांति मिलती है। यही कारण है कि हर वर्ष पितृ पक्ष (श्राद्ध पक्ष) के दौरान लाखों श्रद्धालु देश-विदेश से यहां आकर अपने पितरों का पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध कर्म करते हैं। 

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गया जी का उल्लेख अनेक पुराणों और धर्मग्रंथों में भी मिलता है, जहाँ इसे पितृ तीर्थ कहा गया है। यहां पिंडदान करने से न केवल पितरों का उद्धार होता है, बल्कि जीवित परिजनों को भी उनके आशीर्वाद से सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है। इस धार्मिक मान्यता और विश्वास के कारण गया जी में पिंडदान का विशेष महत्व है। आइए, गया जी में पिंडदान से जुड़ी प्रमुख बातों को विस्तार से जानते हैं।
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Pitru Paksha 2025 Significance of Pind Daan in Gaya Ji Know Story Behind Ancestors Liberation
गया जी में आपके पितरों का तर्पण कर देते हैं तो उन्हें मोक्ष मिल जाता है। आइए जानते हैं कि गया पिंडदान क्यों जरुरी है। - फोटो : Adobe

गयाजी में पिंडदान क्यों है जरूरी?
गया जी पिंड दान का विशेष महत्त्व माना जाता है। कहते हैं यदि गया जी में आपके पितरों का तर्पण कर देते हैं तो उन्हें मोक्ष मिल जाता है। आइए जानते हैं कि गया पिंडदान क्यों जरुरी है। 
धार्मिक मान्यता के अनुसार गयाजी में पिंडदान करने से पितरों को सीधे मोक्ष मिलता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान विष्णु ने गया में  गयासुर नाम के एक असुर को वरदान दिया था कि जो भी व्यक्ति वहां श्राद्ध कर्म करेगा, उसके पितरों को मोक्ष मिलेगा।
फल्गु नदी गया में बहने वाली एक ऐसी नदी है जिसका धार्मिक महत्व है। गया में पिंडदान करते समय नदी में स्नान और तर्पण जरूर करना चाहिए। मान्यता है कि फल्गु नदी में पिंडदान करने से पितरों को सीधे स्वर्ग का मार्ग मिलता है।
 

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Pitru Paksha 2025 Significance of Pind Daan in Gaya Ji Know Story Behind Ancestors Liberation
भगवान विष्णु ने भी यह देखर गयासुर को वरदान दिया कि यह स्थान गयाजी के नाम से जाना जाएगा और जो भी व्यक्ति यहां पिंडदान करेगा, उसके पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होगी। - फोटो : adobe stock

पौराणिक कथा
गया जी में पिंडदान करने के पीछे एक कथा है जिसके अनुसार ब्रह्माजी ने गयासुर नाम के असुर को वरदान दिया था कि वह इतना पवित्र हो जाएगा कि उसके दर्शन मात्र से ही लोग पाप से मुक्त हो जाएंगे। वरदान मिलने के बाद गयासुर ने लोगों को मोक्ष देना शुरू कर दिया। यमराज उनके ऐसा करने से परेशान हो गए। यमराज देवताओं के पास पहुंचे और उनसे मदद मांगी। 
यमराज की बात सुनने के बाद देवताओं ने एक युक्ति निकाली। वे सभी मिलकर गयासुर के पास गए और यज्ञ करने की अनुमति मांगी। गयासुरने  देवताओं को अपने पीठ पर यज्ञ करने की अनुमति दे दी। जब देवताओं ने यज्ञ आरंभ किया तो गयासुर को अपमी पीठ पर भार महसूस होने लगा। लेकिन ब्रह्मा जी ने गयासुर को यज्ञ के दौरान हिलने से मना कर दिया। 
जब गयासुर से भार सहा न गया तो उसने हिलने का प्रयास किया और ब्रह्मा जी ने उसके शरीर पर एक शिला रख दी जिसके नीचे गयासुर दब गया।  इस शिला को अब धर्मशिला के नाम से जाना जाता है। भगवान विष्णु ने भी यह देखर गयासुर को वरदान दिया कि यह स्थान गयाजी के नाम से जाना जाएगा और जो भी व्यक्ति यहां पिंडदान करेगा, उसके पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होगी। इसी वजह सेगयाजी में मिलेगा। इसी वजह से गयाजी में पिंडदान को इतना महत्वपूर्ण माना जाता है।



डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों आदि पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है।

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