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Matra Navami: कब है मातृ नवमी? जानें पितृपक्ष की इस महत्वपूर्ण तिथि और महत्व के बारे में

धर्म डेस्क, अमर उजाला Published by: श्वेता सिंह Updated Sat, 13 Sep 2025 12:42 PM IST
सार

Matra Navami Shradh Vidhi: मातृ नवमी पितृपक्ष की एक अत्यंत पावन तिथि है, जो हमारे दिवंगत मातृ पितरों के प्रति श्रद्धा और सम्मान व्यक्त करने का अवसर देती है। इस दिन किए गए श्राद्ध से न केवल उनकी आत्मा को शांति मिलती है, बल्कि हमारे परिवार और वंश की समृद्धि भी होती है।

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Matra Navami Date Pitru Paksha inmportance and shradh vidhi in hindi
मातृ नवमी 2025 - फोटो : अमर उजाला

Matra Navami Ka Mahatv: पितृपक्ष आरंभ हो चुका है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार इस दौरान  अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए किए जाने वाले विशेष अनुष्ठानों का समय होता है। इस पावन काल में नवमी तिथि को विशेष महत्व प्राप्त है, जिसे मातृ नवमी कहा जाता है। मातृ नवमी का दिन उन माताओं, बहनों और बेटियों को समर्पित होता है जिनकी मृत्यु पति के जीवित रहते ही हो गई हो या जिनकी तिथि ज्ञात नहीं है।

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यह तिथि पितृपक्ष के दौरान उनके श्राद्ध और स्मरण के लिए बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है, जिससे दिवंगत आत्माओं को शांति मिलती है और परिवार में सुख-समृद्धि का प्रवाह होता है। इसी क्रम में आइए जानते हैं मातृ नवमी का महत्व और श्राद्ध विधि के बारे में। 
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। इस दिन खास तौर पर उन माताओं, बहनों और बेटियों के श्राद्ध का विधान होता है - फोटो : अमर उजाला

मातृ नवमी का महत्व
पितृपक्ष के दौरान आने वाली नवमी तिथि को विशेष महत्व दिया जाता है, जिसे मातृ नवमी के नाम से भी जाना जाता है। वर्ष 2025 में यह तिथि 15 सितंबर को है। इस दिन खास तौर पर उन माताओं, बहनों और बेटियों के श्राद्ध का विधान होता है, जिनकी मृत्यु पति के जीवित रहते ही हो गई हो या जिनकी मृत्यु तिथि ज्ञात न हो।

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सा माना जाता है कि इस दिन किया गया श्राद्ध वंश और कुल की उन्नति का कारण बनता है।

मातृ नवमी क्यों है खास?
मातृ नवमी के दिन किए गए श्राद्ध से दिवंगत मातृ पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और वे प्रसन्न होते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किया गया श्राद्ध वंश और कुल की उन्नति का कारण बनता है। साथ ही, यह श्राद्ध करने वाले के जीवन में मातृत्व, स्नेह और खुशहाली बनी रहती है।

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पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाएं और मातृ शक्ति को स्मरण करें। - फोटो : adobe stock

मातृ नवमी के दिन क्या करें?

  • दिवंगत मातृ पितरों के लिए श्राद्ध और तर्पण अवश्य करें।
  • ब्राह्मणों को भोजन कराएं, विशेष रूप से ब्राह्मण पत्नी को दान करें।
  • वृद्ध महिलाओं को उपहार देना भी पुण्यकारी माना जाता है।
  • पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाएं और मातृ शक्ति को स्मरण करें।
  • गाय, कुत्ता, मछली, चींटी, और कौवे को भोजन और जल दें, क्योंकि माना जाता है कि इससे पितरों को भोजन मिलता है और उनकी आत्मा शांति पाती है।

 

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यदि सम्भव हो तो मातृ नवमी के दिन  जरूरतमंद सुहागन महिलाओं को सुहाग का सामान जैसे लाल साड़ी, चूड़ियां, सिंदूर आदि चीजों का दान करें। - फोटो : adobe stock

मातृ नवमी के दिन अवश्य करें यह काम
मातृ नवमी के दिन कुछ ऐसे हैं काम है जो करने अनिवार्य माने जाते हैं। आइए जानते हैं क्या हैं वो काम। 

  • किसी भी श्राद्ध पूजन में तुलसी का विशेष महत्त्व है। इसीलिए मातृ नवमी के दिन तुलसी पूजन अवश्य करना चाहिए।  
  • इसके साथ ही पितरों से जुड़े किसी भी कार्य में तांबे के बर्तन का प्रयोग करें। 
  • किसी महिला का अपमान न करें। ऐसा मातृ नवमी के दिन ही नहीं बल्कि अपने दैनिक जीवन में भी करें। ऐसा करने से आपको शुभ फल की प्राप्ति होगी। 
  • यदि सम्भव हो तो मातृ नवमी के दिन  जरूरतमंद सुहागन महिलाओं को सुहाग का सामान जैसे लाल साड़ी, चूड़ियां, सिंदूर आदि चीजों का दान करें। 
  •  घर पर आए किसी भी व्यक्ति को खाली हाथ न भेजें और उन्हें भोजन अवश्य कराएं 



 

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों आदि पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है।

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