Bhai Dooj Yama Worship: भाई दूज, जो दिवाली के पर्व का अंतिम दिन होता है, भाई-बहन के प्यार और अपनत्व का एक खास उत्सव है। इस दिन बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाती हैं और उनके सुख, स्वास्थ्य और लंबी उम्र की कामना करती हैं। यह पर्व भाई-बहन के रिश्ते की गहराई और मजबूती को दर्शाता है, ठीक वैसे ही जैसे रक्षाबंधन का त्योहार।
Bhai Dooj 2025: भईया दूज पर यमराज की पूजा क्यों होती है? जानें चंद्रमा की क्या है खास भूमिका?
Bhai Dooj Moon Significance: भाई दूज दिवाली का आखिरी दिन होता है, जब बहनें भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर उनकी लंबी उम्र और खुशहाली की कामना करती हैं। यह त्योहार भाई-बहन के प्यार और मजबूत रिश्ते का प्रतीक है।


भाई दूज का ज्योतिषीय महत्व
भाई दूज अमावस्या के बाद आने वाली द्वितीया तिथि को मनाया जाता है, जब चंद्रमा शुक्ल पक्ष में प्रवेश करता है। यह समय भावनाओं और रिश्तों में नई ऊर्जा भरने का प्रतीक माना जाता है। चंद्रमा को मन और भावनाओं का कारक ग्रह माना गया है, इसलिए इस दिन बहन द्वारा भाई के माथे पर तिलक करना केवल एक संस्कार नहीं, बल्कि भाई के मन और आत्मबल को मजबूत करने का उपाय भी है। इस तिलक से भाई के जीवन में स्थिरता, संतुलन और सकारात्मकता आती है।

चंद्रमा कमजोर हो तो तिलक का विशेष महत्व
अगर किसी भाई की कुंडली में चंद्रमा कमजोर या अशुभ स्थिति में हो, तो भाई दूज के दिन बहन द्वारा तिलक करवाना विशेष रूप से शुभ माना जाता है। यह क्रिया भाई को मानसिक संतुलन और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती है। बहन का तिलक चंद्र शक्ति का प्रतीक होता है, जो भाई के जीवन में शांति, समृद्धि और सौभाग्य लेकर आता है। इसलिए इस दिन का समय और तिलक लगाना ज्योतिषीय दृष्टि से भी बहुत लाभकारी माना जाता है।

भाई दूज भाई-बहन के रिश्ते का प्रतीक
भाई दूज का त्योहार भाई-बहन के अटूट प्रेम, विश्वास और सुरक्षा की भावना को दर्शाता है। इस दिन बहन का तिलक भाई के जीवन में नयी ऊर्जा, आत्मबल और खुशहाली लेकर आता है। यह रिश्ता केवल जन्मजात नहीं, बल्कि एक गहरे आत्मिक बंधन का रूप भी ले लेता है। इस पर्व के माध्यम से भाई-बहन का प्यार और भी मजबूत होता है, जो जीवनभर बना रहता है।

भाई दूज 2025 शुभ मुहूर्त
भाई दूज 2025 का शुभ मुहूर्त 23 अक्टूबर की रात 11:56 बजे से शुरू होकर 24 अक्टूबर की रात 10:48 बजे तक रहेगा। इस खास दिन बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर उन्हें आशीर्वाद देती हैं। यह समय भाई-बहन के रिश्ते में प्यार और स्नेह को बढ़ाने के लिए सबसे शुभ माना जाता है।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों आदि पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है।
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