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Bhai Dooj 2025: भाई दूज क्यों मनाते हैं? पढ़ें यम और यमुना से जुड़ी पौराणिक कथा

धर्म डेस्क, अमर उजाला Published by: श्वेता सिंह Updated Thu, 23 Oct 2025 06:01 AM IST
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सार

Bhai Dooj Katha In Hindi: भाई दूज भाई-बहन के स्नेह का पर्व है, जिसमें बहनें भाइयों की लंबी उम्र की कामना करती हैं। यह पर्व यमराज और यमुना की पौराणिक कथा पर आधारित है, जिससे इसकी परंपरा की शुरुआत मानी जाती है।

 

Bhai Dooj 2025 The Legend Behind the Festival of Brothers and Sisters
भाई दूज की कथा - फोटो : amar ujala
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विस्तार
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Bhai Dooj Katha: दिवाली के तीसरे दिन मनाया जाने वाला भाई दूज, भाई-बहन के प्रेम और विश्वास का प्रतीक है। इस पर्व को भारत के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे भैया दूज, भाऊ बीज, भात्र द्वितीया और यम द्वितीया। इस दिन बहनें व्रत रखती हैं, अपने भाइयों को तिलक कर उनकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। साथ ही उन्हें मिठाई खिलाकर उपहारों का आदान-प्रदान होता है, जिससे आपसी स्नेह और भी गहरा होता है।

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भाई दूज का यह त्योहार सिर्फ एक पारिवारिक परंपरा नहीं, बल्कि एक पौराणिक कथा से भी जुड़ा है। मृत्यु के देवता यमराज और उनकी बहन यमुना के प्रेम से जुड़ी इस कथा में बताया गया है कि कैसे यमराज अपनी बहन के आग्रह पर उसके घर भोजन करने गए और प्रसन्न होकर उसे यह वरदान दिया कि जो भाई इस दिन अपनी बहन के हाथों तिलक करवाएगा, उसे यमलोक का भय नहीं रहेगा। तभी से यह परंपरा शुरू हुई और आज भी पूरे श्रद्धा भाव से निभाई जाती है।

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Bhai Dooj 2025 The Legend Behind the Festival of Brothers and Sisters
भाई दूज 2025 का शुभ मुहूर्त

भाई दूज 2025 का शुभ मुहूर्त 
भाई दूज की तिथि की शुरुआत 22 अक्तूबर  2025 को रात 8:16 बजे से होगी और यह तिथि 23 अक्तूबर  2025 को रात 10:46 बजे तक रहेगी। पूजा के लिए सबसे शुभ समय 23 अक्तूबर  को दोपहर 1:13 बजे से 3:28 बजे तक रहेगा। इस अवधि में बहनें अपने भाइयों को तिलक कर सकती हैं और विधिपूर्वक पूजा कर सकती हैं। यही समय भाई-बहन के प्रेम को समर्पित इस पावन पर्व की पूजा के लिए सबसे उत्तम माना गया है। 

Bhai Dooj 2025 The Legend Behind the Festival of Brothers and Sisters
भाई दूज की कथा

भाई दूज की कथा 
पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान सूर्य देव और उनकी पत्नी छाया के दो संतानें थीं यमराज और यमुना। यमराज मृत्यु के देवता बने, जबकि यमुना एक पवित्र और प्रिय नदी के रूप में पूजी जाती हैं। बचपन से ही यमुना अपने भाई यमराज से अत्यंत स्नेह करती थीं और हमेशा यह इच्छा रखती थीं कि उनका भाई एक बार उनके घर आए और उनके हाथों से भोजन ग्रहण करे। वे बार-बार यमराज को निमंत्रण देती थीं, लेकिन यमराज अपने कार्यों में इतने व्यस्त रहते कि वे हर बार टाल देते थे।

फिर एक दिन, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को यमराज बिना बताए अचानक यमुना के घर आ पहुँचे। भाई को अपने घर देखकर यमुना अत्यंत हर्षित हुईं। उन्होंने बड़े प्रेम और श्रद्धा से उनका स्वागत किया, तिलक किया, आरती उतारी, और स्वादिष्ट भोजन परोसा। यमुना के स्नेह, सेवा और प्रेम से यमराज अत्यंत प्रसन्न हुए।

यमराज ने यमुना से वरदान मांगने को कहा। तब यमुना ने यह वर मांगा कि हर साल कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दिन आप मेरे घर पधारें, और इस दिन जो बहन अपने भाई को तिलक करके प्रेमपूर्वक भोजन कराएगी, उसका भाई लंबी उम्र पाएगा और उसे यमलोक का भय नहीं होगा।

यमराज ने यह वरदान स्वीकार किया और तभी से यह परंपरा शुरू हुई कि भाई दूज के दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक कर उनके कल्याण और दीर्घायु की कामना करती हैं। इस कथा के पीछे भाई-बहन के स्नेह, सेवा और प्रेम का गहरा भाव छिपा है, जिसे हर वर्ष भाई दूज के रूप में श्रद्धा से मनाया जाता है।



डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों आदि पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है।

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