दीपावली के पांच दिवसीय पर्व के दूसरे दिन बुधवार को बाड़मेर में गोवर्धन पूजा का आयोजन पारंपरिक श्रद्धा और उत्साह के साथ किया गया। सुबह से ही शहर में धार्मिक वातावरण देखने को मिला। महिलाओं और युवतियों ने अपने घरों के बाहर गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर विधिवत पूजा अर्चना की, दीप जलाए और मंगल गीतों से पूरे माहौल को भक्तिमय बना दिया।
महिलाओं में दिखा उत्साह, बच्चों ने धूमधाम से मनाया पर्व
सुबह से ही महिलाओं ने स्नान कर पारंपरिक वस्त्र धारण किए और पूजा की तैयारियों में जुट गईं। घरों के बाहर बने गोवर्धन पर्वतों को फूलों, रंगोली और दीपों से सजाया गया। पूजा के बाद आरती उतारी गई और महिलाएं समूह में मंगल गीत गाते हुए भगवान कृष्ण की स्तुति करती रहीं। बच्चों ने भी दीपावली के इस अवसर पर पटाखे फोड़कर और मिठाइयां बांटकर खुशी का इजहार किया।
समर गौशाला के पास समूहों ने की सामूहिक पूजा
शहर के समर गौशाला क्षेत्र में महिलाओं के समूहों ने सामूहिक रूप से गोवर्धन पूजा की। सुनीता चंडक, जसोदा बिड़ला, सीमा चंडक, अनिता बिड़ला, रुचिका, दिव्या और विद्या डागा सहित कई महिलाओं ने मिलकर गोवर्धन पर्वत का निर्माण कर सामूहिक पूजा अर्चना की और पारंपरिक मंगल गीत गाए।
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प्रकृति के प्रति आभार और भगवान कृष्ण की लीलाओं का स्मरण
दिव्या महेश्वरी ने बताया कि गोवर्धन पूजा भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित पर्व है। इस दिन महिलाएं गाय के गोबर से पर्वत बनाकर पूजा करती हैं और घरों में अन्नकूट का भोग लगाया जाता है। उन्होंने कहा कि यह पर्व प्रकृति और अन्न के प्रति आभार व्यक्त करने का प्रतीक है, जो भगवान कृष्ण की उस लीला की याद दिलाता है जब उन्होंने इंद्र के प्रकोप से ब्रजवासियों की रक्षा हेतु गोवर्धन पर्वत उठाया था।
पारंपरिक भक्ति और सामूहिक एकता का प्रतीक
बाड़मेर में महिलाओं ने इस पर्व को समूहों में मिलकर पारंपरिक तरीके से मनाया। दीपों की रोशनी और मंगल गीतों की गूंज से पूरा वातावरण भक्तिभाव से भर उठा। यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक रहा, बल्कि समुदाय में एकता और पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी देता दिखाई दिया।
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