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Devshayani Ekadashi 2025: देवशयनी एकादशी पर कैसे भगवान विष्णु को सुलाएं योगनिद्रा में? जानें शयन मंत्र और विधि

धर्म डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: श्वेता सिंह Updated Sun, 06 Jul 2025 09:21 AM IST
सार

Devshayani Ekadashi Mantra: देवशयनी एकादशी पर भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं और इस दिन व्रत व शयन मंत्रों के जाप से सुख-समृद्धि और पुण्य की प्राप्ति होती है। यह तिथि चातुर्मास की शुरुआत का प्रतीक मानी जाती है, जिसमें मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं।
 

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Devshayani Ekadashi 2025 Vishnu Shayan Mantra, Puja Vidhi & Spiritual Significance
देवशयनी एकादशी 2025 - फोटो : adobe stock

Devshayani Ekadashi Shayan Mantra: आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाने वाली देवशयनी एकादशी, भगवान विष्णु को समर्पित एक अत्यंत पुण्यदायी और शुभ तिथि मानी जाती है। इस दिन व्रत करने से न केवल जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है, बल्कि व्यक्ति को ईश्वर की विशेष कृपा भी प्राप्त होती है। शास्त्रों के अनुसार, इसी दिन से भगवान विष्णु चार महीने के लिए योगनिद्रा में चले जाते हैं, जिसे चातुर्मास की शुरुआत भी माना जाता है। इस अवधि में विवाह, मुहूर्त और अन्य शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं।


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देवशयनी एकादशी पर व्रत रखने के साथ-साथ भगवान विष्णु को सुलाने की एक विशेष पूजा विधि होती है, जिसमें शयन मंत्रों का जाप अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। यह मंत्र न केवल प्रभु को योगनिद्रा में भेजने की आध्यात्मिक प्रक्रिया है, बल्कि इससे साधक को पुण्य, मानसिक शांति और ईश्वरीय आशीर्वाद भी मिलता है। आइए  जानते हैं कि इस विशेष तिथि पर भगवान विष्णु को कैसे शयन कराया जाता है, और कौन-से मंत्रों का उच्चारण करना श्रेष्ठ होता है।
Devshayani Ekadashi 2025: देवशयनी एकादशी आज, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और मंत्र

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Devshayani Ekadashi 2025 Vishnu Shayan Mantra, Puja Vidhi & Spiritual Significance
देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु क्षीर सागर में योगनिद्रा में चले जाते हैं। - फोटो : adobe stock

विष्णु शयन की आध्यात्मिक महत्ता
पुराणों के अनुसार, देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु क्षीर सागर में योगनिद्रा में चले जाते हैं। यह विश्राम काल लगभग चार महीनों तक चलता है, जिसे चातुर्मास कहा जाता है। इस अवधि को हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना गया है और इसी कारण विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन जैसे मांगलिक कार्य इस समय वर्जित माने जाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जब भगवान विष्णु विश्राम में होते हैं, तब सृष्टि का संचालन भगवान शिव के रुद्र रूप के द्वारा किया जाता है। देवशयनी एकादशी के दिन व्रत करना, पूजा-अर्चना करना और दान-पुण्य करना विशेष फलदायी माना गया है। इस दिन श्रद्धा से किए गए कर्मों से व्यक्ति पापों से मुक्त हो सकता है और जीवन के दुखों से राहत प्राप्त कर सकता है।

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Devshayani Ekadashi 2025 Vishnu Shayan Mantra, Puja Vidhi & Spiritual Significance
देवशयनी एकादशी की शाम को, विशेष रूप से प्रदोष काल में भगवान विष्णु को शयन कराया जाता है। - फोटो : adobe stock

देवशयनी एकादशी पर भगवान विष्णु को शयन कराने की  विधि 
देवशयनी एकादशी की शाम को, विशेष रूप से प्रदोष काल में भगवान विष्णु को शयन कराया जाता है। इस दिन श्रद्धा अनुसार भगवान विष्णु की मूर्ति चाहे सोने, चांदी, तांबे या फिर कागज से बनी हो, घर के पूजा स्थान पर स्थापित करें। फिर भजनों और मंत्रों के साथ उनका पूजन करें। पूजा के बाद एक सुंदर, सजी हुई शय्या (बिस्तर) तैयार करें और उसी पर भगवान को विराजमान करें। इसके साथ ही विशेष शयन मंत्रों का जाप करें, जिससे भगवान योगनिद्रा में प्रवेश करें। शयन के समय भगवान के समीप फल, मिष्ठान और सूखे मेवे अर्पित करना भी शुभ माना गया है। इस रात्रि जागरण करना अत्यंत पुण्यकारी होता है, जिसमें भजन-कीर्तन, भगवान की लीलाओं का स्मरण और सत्संग किया जाता है।

Devshayani Ekadashi 2025 Vishnu Shayan Mantra, Puja Vidhi & Spiritual Significance
शयन मंत्र - फोटो : adobe

शयन मंत्र 
सुप्ते त्वयि जगन्नाथ जगत् सुप्तं भवेदिदम्।
विबुद्दे च विबुध्येत प्रसन्नो मे भवाव्यय।।
मैत्राघपादे स्वपितीह विष्णु: श्रुतेश्च मध्ये परिवर्तमेति।
जागार्ति पौष्णस्य तथावसाने नो पारणं तत्र बुध: प्रकुर्यात्।।
भक्तस्तुतो भक्तपर: कीर्तिद: कीर्तिवर्धन:।
कीर्तिर्दीप्ति: क्षमाकान्तिर्भक्तश्चैव दया परा।।

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Devshayani Ekadashi 2025 Vishnu Shayan Mantra, Puja Vidhi & Spiritual Significance
इस व्रत को श्रद्धा और नियम से करने पर व्यक्ति अपने पापों से मुक्त हो सकता है - फोटो : adobe

देवशयनी एकादशी का महत्व
देवशयनी एकादशी का व्रत न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह आत्मिक शुद्धि और मानसिक शांति का भी प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को श्रद्धा और नियम से करने पर व्यक्ति अपने पापों से मुक्त हो सकता है और उसका मन सात्त्विकता की ओर अग्रसर होता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने से जीवन में सुख, सौभाग्य और समृद्धि का वास होता है। देवशयनी एकादशी के पुण्य प्रभाव से व्यक्ति को बैकुंठधाम की प्राप्ति का मार्ग भी प्रशस्त होता है। साथ ही, आर्थिक समस्याओं से मुक्ति, धन-वैभव की प्राप्ति और जीवन में स्थिरता आने की संभावना बढ़ती है। इस विशेष एकादशी के बाद शुरू होने वाले चातुर्मास में अगर कोई ब्रज यात्रा करता है या भक्ति-मार्ग पर चलता है, तो उसका फल और भी उत्तम माना गया है।



डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों आदि पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है।

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