Lord Jagannath Snan on Jyeshtha Purnima: देव स्नान पूर्णिमा को 'स्नान यात्रा' या सहस्त्रधारा स्नान के रूप में जाना जाता है। जगन्नाथ रथ यात्रा से पूर्व ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा तिथि को भगवान् जगन्नाथ की स्नान यात्रा निकली जाती है। पुरी में जगन्नाथ रथ यात्रा से पूर्व देव स्नान पूर्णिमा एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। इस अनुष्ठान के दौरान भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और भगवान बलभद्र की पूरी भक्ति और समर्पण के साथ पूजा की जाती है। यह समारोह पूरी भव्यता के साथ पारंपरिक तरीके से मनाया जाता है और यह भगवान जगन्नाथ मंदिर के सबसे प्रत्याशित अनुष्ठानों में से एक है। कुछ लोग इस त्योहार को भगवान जगन्नाथ के जन्मदिन के रूप में भी मनाते हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों से श्रद्धालु यहां आते हैं और इस अनोखे आयोजन के साक्षी बनते हैं। इस वर्ष देवस्नान पूर्णिमा 4 जून रविवार को है। इस दिन भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ सहस्त्रधारा स्नान करेंगे। इसके बाद पूरे 14 दिन तक भगवान के दर्शन नहीं किये जा सकेंगे । इस दौरान जगन्नाथ मंदिर के कपाट भी बंद रहेंगे। 15वें दिन मंदिर के कपाट खोले जाएंगे और फिर जगन्नाथ रथ यात्रा का प्रारंभ होगा। आइए जानते हैं सहस्त्रधारा स्नान क्या है और 14 दिन तक भगवान जगन्नाथ दर्शन क्यों नहीं देंगे?
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Jagannath Rath Yatra 2023:सहस्त्रधारा स्नान के बाद 14 दिन नहीं होंगे भगवान जगन्नाथ के दर्शन,जानें कारण
धर्म डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: श्वेता सिंह Updated Sun, 04 Jun 2023 02:36 AM IST
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Jagannath Sahastradhara Snan
- फोटो : amar ujala

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Jagannath Sahastradhara Snan
- फोटो : पीटीआई
सहस्त्रधारा स्नान क्या है?
ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा तिथि पर भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और बड़े भाई बलभद्र को गर्भगृह से स्नान मंडप तक लाया जाता है। देवताओं को स्नान कराने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला जल जगन्नाथ मंदिर के अंदर मौजूद कुएं से लिया जाता है। स्नान समारोह से पहले, पुजारियों द्वारा कुछ पूजा और अनुष्ठान किए जाते हैं। जगन्नाथ मंदिर के तीन मुख्य देवताओं को स्नान कराने के लिए सुगंधित जल के कुल 108 घड़ों का उपयोग किया जाता है। सुंगधित फूल, चंदन, केसर,कस्तूरी को स्नान जल में मिलाया जाता है। स्नान की रस्म पूरी होने के बाद भगवान को'सादा बेश' पहनाया जाता है। दोपहर में,भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और भगवान बलभद्र की मूर्तियों को फिर से 'हाथी बेश' यानी भगवान गणेश के रूप में तैयार किया जाता है।
ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा तिथि पर भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और बड़े भाई बलभद्र को गर्भगृह से स्नान मंडप तक लाया जाता है। देवताओं को स्नान कराने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला जल जगन्नाथ मंदिर के अंदर मौजूद कुएं से लिया जाता है। स्नान समारोह से पहले, पुजारियों द्वारा कुछ पूजा और अनुष्ठान किए जाते हैं। जगन्नाथ मंदिर के तीन मुख्य देवताओं को स्नान कराने के लिए सुगंधित जल के कुल 108 घड़ों का उपयोग किया जाता है। सुंगधित फूल, चंदन, केसर,कस्तूरी को स्नान जल में मिलाया जाता है। स्नान की रस्म पूरी होने के बाद भगवान को'सादा बेश' पहनाया जाता है। दोपहर में,भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और भगवान बलभद्र की मूर्तियों को फिर से 'हाथी बेश' यानी भगवान गणेश के रूप में तैयार किया जाता है।
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Jagannath Sahastradhara Snan
- फोटो : jagannath
क्यों नहीं होते 14 दिन तक दर्शन?
मान्यता है कि पूर्णिमा स्नान में ज्यादा नहाने के कारण भगवान बीमार हो जाते हैं, इसलिए उनका उपचार किया जाता है। इस दौरान उन्हें कई औषधियां दी जाती है। इतना ही नहीं बीमारी में भगवान को सादे भोजन का ही भोग लगाया जाता है। मान्यता है कि भगवान का स्वास्थ्य खराब होने की वजह से ही 15 दिन भक्तों के लिए दर्शन बंद कर दिए जाते हैं। इतने दिन वे अनासरा घर में रहते हैं। आषाढ़ कृष्ण दशमी तिथि को मंदिर में चका बीजे नीति रस्म होती है जो भगवान जगन्नाथ के सेहत में सुधार का प्रतीक है। इस साल चका बीजे नीति रस्म 13 जून को होगी।
मान्यता है कि पूर्णिमा स्नान में ज्यादा नहाने के कारण भगवान बीमार हो जाते हैं, इसलिए उनका उपचार किया जाता है। इस दौरान उन्हें कई औषधियां दी जाती है। इतना ही नहीं बीमारी में भगवान को सादे भोजन का ही भोग लगाया जाता है। मान्यता है कि भगवान का स्वास्थ्य खराब होने की वजह से ही 15 दिन भक्तों के लिए दर्शन बंद कर दिए जाते हैं। इतने दिन वे अनासरा घर में रहते हैं। आषाढ़ कृष्ण दशमी तिथि को मंदिर में चका बीजे नीति रस्म होती है जो भगवान जगन्नाथ के सेहत में सुधार का प्रतीक है। इस साल चका बीजे नीति रस्म 13 जून को होगी।

Jagannath Sahastradhara Snan
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15वें दिन दर्शन देंगे भगवान जगन्नाथ
आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा तिथि को भगवान जगन्नाथ,बलभद्र और सुभद्रा पूर्ण रूप से स्वस्थ हो जाते हैं और उस दिन मन्दिर के कपाट खोले जाते हैं और भगवान दर्शन देते हैं । उस दिन मंदिर में नेत्र उत्सव होता है। नेत्र उत्सव को नबाजौबन दर्शन भी कहा जाता है। इस साल नेत्र उत्सव 19 जून सोमवार को होगा।
आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा तिथि को भगवान जगन्नाथ,बलभद्र और सुभद्रा पूर्ण रूप से स्वस्थ हो जाते हैं और उस दिन मन्दिर के कपाट खोले जाते हैं और भगवान दर्शन देते हैं । उस दिन मंदिर में नेत्र उत्सव होता है। नेत्र उत्सव को नबाजौबन दर्शन भी कहा जाता है। इस साल नेत्र उत्सव 19 जून सोमवार को होगा।
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Jagannath Sahastradhara Snan
- फोटो : पीटीआई
20 जून से निकलेगी जगन्नाथ रथ यात्रा
आषाढ़ शुक्ल द्वितीया तिथि को जगन्नाथ रथ यात्रा शुरू होती है। इस साल 20 जून को जगन्नाथ रथ यात्रा शुरू होगी। भगवान जगन्नाथ,भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा अपने रथों पर सवार होकर अपनी मौसी के घर गुंडीचा मंदिर जाते हैं।
आषाढ़ शुक्ल द्वितीया तिथि को जगन्नाथ रथ यात्रा शुरू होती है। इस साल 20 जून को जगन्नाथ रथ यात्रा शुरू होगी। भगवान जगन्नाथ,भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा अपने रथों पर सवार होकर अपनी मौसी के घर गुंडीचा मंदिर जाते हैं।