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Mahashivratri: श्रवण और धनिष्ठा नक्षत्र के संयोग में मनाई जाएगी महाशिवरात्रि, जानें पूजा विधि और मंत्र
ज्योतिषाचार्य पं.मनोज कुमार द्विवेदी
Published by: ज्योति मेहरा
Updated Sat, 22 Feb 2025 12:30 PM IST
सार
महाशिवरात्रि का पर्व 26 फरवरी को मनाया जाएगा। इस दिन श्रवण और धनिष्ठा नक्षत्र के युग्म संयोग बन रहा है। नक्षत्रों के इस संयोग में महाशिवरात्रि विशेष रूप से फलदायी रहेगी। आइए जानते हैं पूजा विधि और चमत्कारी मंत्र।
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Mahashivratri 2025
- फोटो : Amar Ujala
Mahashivratri 2025: इस वर्ष महाशिवरात्रि 26 फरवरी को है। चतुर्दशी तिथि 26 फरवरी को सुबह 11:08 पर शुरू होगी और 27 फरवरी को सुबह 8:54 पर समाप्त होगी। महाशिवरात्रि का पर्व श्रवण और धनिष्ठा नक्षत्र के युग्म संयोग में मनाई जाएगी। नक्षत्रों के संयोग में महाशिवरात्रि विशेष रूप से फलदायी रहेगी। वैदिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शंकर यानि की स्वयं शिव ही चतुर्दशी तिथि के स्वामी हैं। यही वजह है कि प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। ज्योतिष शास्त्रों में चतुर्दशी तिथि को अत्यंत शुभ कहा गया है।
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महा शिवरात्रि 2025
- फोटो : Amar Ujala
गणित ज्योतिष की गणना के मुताबिक महाशिवरात्रि के समय सूर्य उत्तरायण में होते हैं, साथ ही ऋतु-परिवर्तन भी हो रहा होता है। ज्योतिष के अनुसार ऐसी भी मान्यता है कि चतुर्दशी तिथि को चंद्रमा अत्यंत कमजोर होते हैं। भगवान शिव ने चन्द्रमा को अपने मस्तक पर धारण किया हुआ है। इसलिए शिव की पूजा एवं उपासना से व्यक्ति का चंद्रमा मजबूत होता है। चंद्रमा मन का प्रतिनिधित्व करता है। लिंग पुराण में महाशिवरात्रि के महत्व का वर्णन किया गया है। ऐसी मान्यता है कि इस रात को महादेव ने तांडव नृत्य किया था।
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Mahashivratri 2025: भद्रा का प्रभाव
- फोटो : अमर उजाला
भद्रा का प्रभाव
एक अन्य पौराणिक मान्यता के अनुसार ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह हुआ था। हालांकि शिवरात्रि के दिन भद्रा काल भी रहेगा, लेकिन पाताल भद्रा की वजह से इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। शास्त्रों के अनुसार महाशिवरात्रि यानी की महाकाल का पूजन भद्रा के प्रभाव से रहित होता है।
एक अन्य पौराणिक मान्यता के अनुसार ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह हुआ था। हालांकि शिवरात्रि के दिन भद्रा काल भी रहेगा, लेकिन पाताल भद्रा की वजह से इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। शास्त्रों के अनुसार महाशिवरात्रि यानी की महाकाल का पूजन भद्रा के प्रभाव से रहित होता है।
Mahashivratri 2025 :महाशिवरात्रि 2025 शुभ मुहूर्त
- फोटो : अमर उजाला
महाशिवरात्रि 2025 शुभ मुहूर्त
महाशिवरात्रि व्रत में रात्रि के चारों प्रहरों में भगवान शिव की पूजा करने का विशेष महत्व है। इन चार प्रहरों में शिवलिंग का अभिषेक दूध, दही, शहद, घी और गंगाजल से किया जाता है। इसके साथ ही बेलपत्र, धतूरा, भांग और अक्षत अर्पित करने से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं।
पहला प्रहर: शाम 06:07 से रात 09:14 बजे
दूसरा प्रहर: रात 09:14 से 12:21 बजे
तीसरा प्रहर: रात 12:21 से 03:28 बजे
चौथा प्रहर: रात 03:28 से 06:35 बजे
महाशिवरात्रि व्रत में रात्रि के चारों प्रहरों में भगवान शिव की पूजा करने का विशेष महत्व है। इन चार प्रहरों में शिवलिंग का अभिषेक दूध, दही, शहद, घी और गंगाजल से किया जाता है। इसके साथ ही बेलपत्र, धतूरा, भांग और अक्षत अर्पित करने से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं।
पहला प्रहर: शाम 06:07 से रात 09:14 बजे
दूसरा प्रहर: रात 09:14 से 12:21 बजे
तीसरा प्रहर: रात 12:21 से 03:28 बजे
चौथा प्रहर: रात 03:28 से 06:35 बजे
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mahashivratri 2025
- फोटो : adobe stock
महाशिवरात्रि पर शिव मंदिर में जाकर रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय जाप और शिव चालीसा का पाठ कर सकते हैं। महाशिवरात्रि पर ‘ॐ नमः शिवाय‘ मंत्र का जाप करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। भगवान शिव के इस पावन पर्व पर श्रद्धा और भक्ति भाव से आराधना करने से सभी भक्तों को शिव कृपा का वरदान प्राप्त होगा।

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