Sankashti Chaturthi November 2025: हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि भगवान श्री गणेश को समर्पित होती है। इस दिन को संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। जब मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि आती है, तब इसे गणाधिप संकष्टी चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। यह तिथि भगवान गणेश की विशेष पूजा-अर्चना और व्रत के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है। इस दिन श्रद्धालु पूरे भक्तिभाव से गणपति बाप्पा की आराधना करते हैं और अपने जीवन से सभी विघ्न-बाधाओं को दूर करने की प्रार्थना करते हैं।
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Sankashti Chaturthi: 8 नवंबर को है गणाधिप संकष्टी, जानिए तिथि, पूजा का शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्व
ज्योतिष डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: ज्योति मेहरा
Updated Thu, 06 Nov 2025 03:05 PM IST
सार
हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि भगवान श्री गणेश को समर्पित होती है। यह तिथि भगवान गणेश की विशेष पूजा-अर्चना और व्रत के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है। इस दिन श्रद्धालु पूरे भक्तिभाव से गणपति बाप्पा की आराधना करते हैं।
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संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त और शुभ योग
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कब है गणाधिप संकष्टी ?
- फोटो : freepik
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो व्यक्ति इस दिन विधिवत गणेश पूजा करता है, उसके जीवन से सभी प्रकार के संकट, दुख और बाधाएं समाप्त हो जाती हैं। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और मंगलकर्ता कहा गया है, इसलिए उनकी उपासना से जीवन में सुख, सौभाग्य और समृद्धि का आगमन होता है। ऐसा भी माना जाता है कि इस दिन का व्रत रखने और चंद्र दर्शन करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और धन-लाभ के योग बनते हैं।
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गणाधिप संकष्टी चतुर्थी की तिथि
- फोटो : freepik
गणाधिप संकष्टी चतुर्थी की तिथि
वैदिक पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि इस वर्ष 8 नवंबर की सुबह 7:32 मिनट से आरंभ होकर 9 नवंबर की सुबह 4:25 मिनट तक रहेगी। चतुर्थी तिथि का उदय 8 नवंबर को हो रहा है, इसलिए गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का व्रत 8 नवंबर को ही रखा जाएगा। इस दिन चंद्र दर्शन का समय रात 07:59 बजे रहेगा। व्रत पूर्ण करने के बाद इसी समय चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित किया जाता है।
वैदिक पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि इस वर्ष 8 नवंबर की सुबह 7:32 मिनट से आरंभ होकर 9 नवंबर की सुबह 4:25 मिनट तक रहेगी। चतुर्थी तिथि का उदय 8 नवंबर को हो रहा है, इसलिए गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का व्रत 8 नवंबर को ही रखा जाएगा। इस दिन चंद्र दर्शन का समय रात 07:59 बजे रहेगा। व्रत पूर्ण करने के बाद इसी समय चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित किया जाता है।
Ganesh Chaturthi
- फोटो : freepik
शुभ योग और महत्व
ज्योतिषीय दृष्टि से यह तिथि अत्यंत शुभ मानी जा रही है क्योंकि इस दिन शिव योग और सिद्ध योग का संयोग बन रहा है। इसके साथ ही भद्रावास और शिववास योग का भी निर्माण होगा। इन योगों में भगवान गणेश की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। ऐसा कहा जाता है कि इन शुभ संयोगों में गणपति की आराधना करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं, जीवन में समृद्धि बढ़ती है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
ज्योतिषीय दृष्टि से यह तिथि अत्यंत शुभ मानी जा रही है क्योंकि इस दिन शिव योग और सिद्ध योग का संयोग बन रहा है। इसके साथ ही भद्रावास और शिववास योग का भी निर्माण होगा। इन योगों में भगवान गणेश की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। ऐसा कहा जाता है कि इन शुभ संयोगों में गणपति की आराधना करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं, जीवन में समृद्धि बढ़ती है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
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शुभ योग और महत्व
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जो लोग भगवान गणेश की विशेष कृपा पाना चाहते हैं, वे इस दिन “एकदन्त” स्वरूप की पूजा करें। इस रूप की आराधना से बुद्धि, धन और सफलता में वृद्धि होती है। इस दिन व्रतधारी को लाल या पीले वस्त्र पहनकर, दूर्वा, मोदक और लाल फूलों से गणेश जी की पूजा करनी चाहिए। आखिर में चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का समापन करना शुभ माना जाता है।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों आदि पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों आदि पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है।

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