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Sawan 2022: सावन का महीना शुरू, भूलकर भी शिवलिंग पर न चढ़ाएं ऐसी 7 चीजें, पूजा का नहीं मिलेगा पूर्ण फल
धर्म डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: विनोद शुक्ला
Updated Thu, 14 Jul 2022 12:12 AM IST
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Sawan 2022: शिवपुराण के अनुसार कभी भी भगवान शिव को तुलसी,हल्दी और सिंदूर सहित ये 7 वस्तुएंनहीं चढ़ाना चाहिए।
- फोटो : अमर उजाला
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14 जुलाई से श्रावण माह प्रारंभ हो गया है। यह महीना भगवान शिव को समर्पित है और इस पूरे महीने शिव भक्त भोलेनाथ की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं,बदले में सदाशिव उनकी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं। शास्त्रानुसार इन दिनों शिवलिंग पर बेलपत्र,धतूरा,चंदन,अक्षत,शमीपत्र आदि अनेक शुभ वस्तुएं चढ़ाने से शंकर भगवान जल्दी प्रसन्न होते हैं,वहीं कुछ चीजें शिवजी की पूजा में वर्जित बताई गई हैं जिनका उपयोग शिव आराधना के दौरान बिल्कुल नहीं करना चाहिए। शिवपुराण के अनुसार कभी भी भगवान शिव को तुलसी,हल्दी और सिंदूर सहित ये 7 वस्तुएंनहीं चढ़ाना चाहिए।
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सावन सोमवार पूजा विधि
केतकी के पुष्प
शिवपुराण की कथा के अनुसार केतकी फूल ने ब्रह्मा जी के झूठ में साथ दिया था,जिससे रुष्ट होकर भोलनाथ ने केतकी के फूल को श्राप दिया और कहा कि शिवलिंग पर कभी केतकी के फूल को अर्पित नहीं किया जाएगा। इसी श्राप के बाद से शिव को केतकी के फूल अर्पित किया जाना अशुभ माना जाता है।
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sawan 2022
- फोटो : अमर उजाला
तुलसी दल
भगवान विष्णु की उपासना तुलसी दल के बिना पूर्ण नहीं होती,परन्तु भगवान शिव की पूजा में तुलसी दल का प्रयोग वर्जित माना गया है। पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान शिव ने तुलसी के पति असुर जालंधर का वध किया था। इसलिए उन्होंने स्वयं भगवान शिव को अपने अलौकिक और दैवीय गुणों वाले पत्तों से वंचित कर दिया।
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शिवलिंग पर ना चढ़ाएं हल्दी
शिव जी को कभी भी हल्दी नहीं चढ़ाना चाहिए क्योंकि हल्दी को स्त्री से संबंधित माना गया है और शिवलिंग पुरुषत्व का प्रतीक है ऐसे में शिव जी की पूजा में हल्दी का उपयोग करने से पूजा का फल नहीं मिलता है। इसी वजह से शिवलिंग पर हल्दी नहीं चढ़ाई जाती है। ये भी मान्यता है कि हल्दी की तासीर गर्म होने के कारण इसे शिवलिंग पर चढ़ाना वर्जित माना जाता है इसलिए शिवलिंग पर ठंडी वस्तुएं जैसे बेलपत्र,भांग,गंगाजल,चंदन,कच्चा दूध चढ़ाया जाता है।
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- फोटो : shivling
शंखजल
दैत्य शंखचूड़ के अत्याचारों से देवता परेशान थे। भगवान शंकर ने उसका वध किया था,जिसके बाद उसका शरीर भस्म हो गया,उस भस्म से शंख की उत्पत्ति हुई थी। शिवजी ने शंखचूड़ का वध किया इसलिए कभी भी शंख से शिवजी को जल अर्पित नहीं किया जाता है।
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