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MP Samwad 2025: अमर उजाला संवाद में अमोघ लीला दास ने बताया आध्यात्मिक जीवन का महत्व, छात्रों को दी खास सलाह

धर्म डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: ज्योति मेहरा Updated Thu, 26 Jun 2025 05:32 PM IST
सार

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में आयोजित 'अमर उजाला संवाद' में अलग-अलग क्षेत्रों की हस्तियां ने शिरकत की। इस दौरान जाने-माने मोटिवेशनल स्पीकर अमोघ लीला दास ने अध्यात्म से जुड़े कई विषयों पर बात की।

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Amar Ujala Samwad Madhya Pradesh 2025 Motivational speaker Amogha Leela Das
'अमर उजाला संवाद' में अमोघ लीला दास - फोटो : Amar Ujala
Amar Ujala Samwad: 'अमर उजाला संवाद' इस बार मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में आयोजित किया गया है। इस कार्यक्रम में अलग-अलग क्षेत्रों की हस्तियां ने शिरकत की। इस कार्यक्रम में जाने-माने मोटिवेशनल स्पीकर अमोघ लीला दास भी आए। इस दौरान उन्होंने अध्यात्म से जुड़े कई विषयों पर बात की। अमोघ लीला दास ने सार्थक जीवन की राह प्रशस्त करने वाले विषयों पर अपनी बात बहुत ही अच्छी तरह से रखी।



 
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Amar Ujala Samwad Madhya Pradesh 2025 Motivational speaker Amogha Leela Das
अमर उजाला संवाद भोपाल में अमोघ लीला दास - फोटो : Amar Ujala
खुशी की परिभाषा
संवाद के दौरान अमोघ लीला दास ने सफलता, खुशी और अनुभव के बारे में बेहद गंभीरता से अपने विचार रखे और लोगों को इसके असली मतलब बताया। उन्होंने लोगों से सफलता की परिभाषा पूछी, जिस पर लोगों के अलग-अलग विचार रखे। अमोघ लीला दास ने अनुभव को एक महंगा टीचर बताया। उन्होंने कहा कि समझदार लोग सुनकर सीख जाते हैं, जो एक सस्ता टीचर होता है। लेकिन कुछ लोग अनुभव से सीखते हैं, जो काफी महंगा पड़ता है। 

इंसान के जीवन में खुशी के मायने को लेकर अमोघ लीला दास ने पूछा, सब लोग खुश रहना चाहते हैं। इसका मतलब केवल यही है कि असली सफलता का मतलब है- आप अपने जीवन में खुश हैं या नहीं। उन्होंने एक और सवाल पूछा- क्या शारीरिक या भौतिक सुख को खुशी कहा जा सकता है? क्या वाकई फिजिकल कंफर्ट से खुशी होती है? इस पर अमोघ लीला दास ने कहा, एक अर्थ में देखने पर ऐसा लग सकता है, लेकिन वास्तविकता इससे अलग है। खुशी का भौतिक चीजों के साथ कोई रिश्ता नहीं होता।


 
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Amar Ujala Samwad Madhya Pradesh 2025 Motivational speaker Amogha Leela Das
अमर उजाला संवाद भोपाल में अमोघ लीला दास - फोटो : Amar Ujala
आध्यात्मिक जीवन है जरूरी
आमतौर पर देखा जाता है कि लोग अपने बुढ़ापे में आध्यात्म की ओर अपना रुख करते हैं, लेकिन यह सही नहीं है। अमोघ लीला दास के अनुसार हमें हर उम्र में अध्यात्म को प्राथमिकता देनी चाहिए। जीवन की तमाम जिम्मेदारियों की तरह ही अध्यात्म भी हमारी जिम्मेदारी है। हम किसी भी तरीके से मौत को चकमा नहीं दे सकते हैं, इसलिए जरूरी है कि हम भगवान की शरण में अपना जीवन व्यतीत करें और पूजा-पाठ के लिए बुढ़ापे का इंतजार न करें।
 
Amar Ujala Samwad Madhya Pradesh 2025 Motivational speaker Amogha Leela Das
अमर उजाला संवाद भोपाल में अमोघ लीला दास - फोटो : Amar Ujala
लोग हमेशा खुशी की तलाश या खुशी का पीछा क्यों करते हैं? इस सलाव पर अमोघ लीला दास ने कहा कि यह एक मृगतृष्णा जैसा है। लोग इसके पीछे तो रहते हैं, लेकिन इसे पाकर भी वह संतुष्ट नहीं होते हैं। खुशी असल में एक मृगतृष्णा जैसी है, जो निरंतर हमें अपने पीछे भगाने का काम करती है।

सोशल मीडिया का त्याग
इसके साथ ही संवाद के अंत में उन्होंने हमारे देश के युवाओं को खास संदेश दिया, जिसमें उन्होंने छात्रों को सोशल मीडिया और मोबाइल फोन से दूरी बनाने के लिए कहा। उन्होंने बताया कि पढ़ाई की उम्र में बच्चों को केवल पढ़ाई पर ही अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए। आज के युवा मनोरंजन के आदी हो चुके हैं, जो उनकी शिक्षा में बाधा उत्पन्न कर रहा है। ऐसे में जरूरी है कि वे शिक्षा और कौशल को मजबूत करने पर ध्यान दें।  
 
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Amar Ujala Samwad Madhya Pradesh 2025 Motivational speaker Amogha Leela Das
अमर उजाला संवाद भोपाल में अमोघ लीला दास - फोटो : Amar Ujala
कौन हैं अमोघ लीला दास?
अमोघ लीला दास एक प्रेरणादायक आध्यात्मिक वक्ता हैं, जो अपने ओजस्वी भाषणों और सरल भाषा में दिए गए जीवन-दर्शन से युवाओं के दिलों में विशेष स्थान बना चुके हैं। वे न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक विषयों पर प्रकाश डालते हैं, बल्कि करियर, संबंधों, मानसिक शांति और जीवन के उद्देश्य जैसे विषयों पर भी गहराई से मार्गदर्शन करते हैं। उनकी लोकप्रियता हर उम्र के लोगों के बीच है।

अमोघ लीला दास की प्रेरणादायक आध्यात्मिक यात्रा
अमोघ लीला दास का मूल नाम आशीष अरोड़ा है, जिनका जन्म एक धार्मिक परिवार में लखनऊ में हुआ था। उन्होंने किशोरावस्था में ही आध्यात्मिक मार्ग की ओर रुझान दिखाना शुरू कर दिया था। वर्ष 2000 में, जब वे 12वीं कक्षा में थे, उन्होंने ईश्वर की खोज में घर छोड़ने का निर्णय लिया। हालांकि बाद में वे लौटे और सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। 2004 में स्नातक की पढ़ाई के बाद उन्होंने अमेरिका की एक प्रतिष्ठित बहुराष्ट्रीय कंपनी में कार्य करना शुरू किया और कुछ ही वर्षों में प्रोजेक्ट मैनेजर की जिम्मेदारी भी संभाली। लेकिन 2010 में उन्होंने कॉर्पोरेट करियर को अलविदा कह दिया और 29 वर्ष की आयु में इस्कॉन से जुड़कर ब्रह्मचारी जीवन को अपनाया। उनकी जीवन यात्रा आज कई युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुकी है।

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