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Jagannath Rath Yatra 2025: जगन्नाथ मंदिर की पताका क्यों लहराती है हवा की उल्टी दिशा में? जानें पौराणिक रहस्य
धर्म डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: श्वेता सिंह
Updated Tue, 17 Jun 2025 10:14 AM IST
सार
Jagannath Temple Flag Mystery: पुरी के जगन्नाथ मंदिर में 27 जून को भव्य रथ यात्रा मनाई जाएगी। यह मंदिर कई रहस्यों से घिरा हुआ है, जिनमें सबसे खास है शिखर पर लगी पताका का हमेशा हवा की दिशा के विपरीत लहराना। खास बात यह है कि इस ध्वज को रोजाना बदलना अनिवार्य है, यदि ऐसा नहीं किया गया तो मंदिर 18 वर्षों के लिए बंद हो सकता है।
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जगन्नाथ मंदिर की पताका क्यों लहराती है हवा की विपरीत दिशा में
- फोटो : ANI
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Why Jagannath Temple Flag Always Waves Opposite to Wind Direction: उड़ीसा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर अपनी अनोखी परंपराओं और रहस्यों के लिए जाना जाता है। हर साल आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि, यानी 27 जून को यहां भव्य रथ यात्रा निकाली जाती है, जो हजारों भक्तों को आकर्षित करती है। इस मंदिर से जुड़ा एक प्रमुख रहस्य है मंदिर के शिखर पर लगी पताका का हमेशा हवा के विपरीत दिशा में लहराना।
हनुमान जी की प्रार्थना
जगन्नाथ मंदिर की पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान विष्णु समुद्र की तेज लहरों की आवाज़ से बहुत व्याकुल हो रहे थे। यह आवाज उनकी ध्यान और विश्राम में बाधा डाल रही थी। इस समस्या के कारण भगवान विष्णु को मनचाही शांति नहीं मिल पा रही थी। जब यह बात हनुमान जी को पता चली, तो उन्होंने तुरंत समुद्र देव के पास जाकर निवेदन किया कि वे अपनी आवाज कम करें ताकि भगवान विष्णु को चैन मिले।
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समुद्र देव की असमर्थता
- फोटो : Freepik
समुद्र देव की असमर्थता
समुद्र देव ने बताया कि हवा की दिशा के कारण उनकी लहरों की आवाज फैलती है और इसे रोकना उनके बस की बात नहीं है। वह असमर्थ थे कि वे आवाज को पूरी तरह बंद कर सकें। उन्होंने हनुमान जी को सुझाव दिया कि वे अपने पिता पवन देव से मदद लें। पवन देव से कहें कि वे मंदिर की दिशा में हवा का प्रवाह रोकें ताकि आवाज मंदिर के अंदर न पहुंचे। यह सलाह एक समाधान की दिशा में पहला कदम थी।
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hanuman ji
- फोटो : adobe stock
हनुमान जी का वायु चक्र बनाना
हनुमान जी ने पवन देव को यह समस्या बताई। पवन देव ने कहा कि हवा को पूरी तरह से रोकना संभव नहीं, लेकिन एक उपाय है। उन्होंने हनुमान जी को निर्देश दिया कि वे मंदिर के चारों ओर तेजी से चक्कर लगाएं। इस गति से हवा का एक चक्र बनेगा, जो सामान्य हवा को मंदिर के अंदर जाने से रोक देगा। इस वायु चक्र की वजह से मंदिर के अंदर समुद्र की लहरों की आवाज नहीं पहुंच पाती, जिससे भगवान विष्णु को शांति मिलती है।
इस प्रसंग के बाद श्री भगवान जगन्नाथ आराम से विश्राम करने लगे। मान्यता है कि इसके बाद से मंदिर के शिखर पर लगा ध्वज हमेशा हवा की सामान्य दिशा के विपरीत लहराता है। ऐसा कहा जाता है कि यह चमत्कार हनुमान जी द्वारा मंदिर की विपरीत दिशा में परिक्रमा करने के कारण हुआ।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों आदि पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है।
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