दुनिया के सबसे बड़े तेल उत्पादक देश और रूढ़िवादी राष्ट्र सऊदी अरब ने बुधवार को घोषणा की कि आर्थिक और सामाजिक सुधारों के व्यापक कार्यक्रमों को देखते हुए वह महिलाओं को सशस्त्र बलों में सेवा करने की अनुमति देगा।
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सऊदी अरब में महिलाओं के अधिकारों को लेकर उठाए गए कदमों में पहला कदम साल 2018 में उठाया गया था। जब वर्ष 2017 में प्रिंस सलमान ने सत्ता में आते ही अपना विजन 2030 के बारे में दुनिया को अवगत कराया। इसके तहत उन्होंने महिलाओं को वाहन चलाने की अनुमति दीं।
रूढ़िवादी देश में उदारता और आधुनिकता लाने की प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की कोशिशों के तहत यह प्रतिबंध समाप्त किया गया। सऊदी अरब में 2018 से पहले तक महिलाओं के वाहन चलाने पर प्रतिबंध था।
गाड़ी चलाने के अधिकार के लिए भी महिलाओं को बहुत संघर्ष करना पड़ा। इसके लिए यहां महिलाओं द्वारा लंबे समय से अभियान चलाया जा रहा था। कई बार तो इस नियम तो तोड़ने के कारण उन्हें सजा तक दी गई। लेकिन सलमान के इस फैसले की दुनिया भर में तारीफ की गई। सलमान के इस फैसले को पहली बार सऊदी अरब द्वारा अपने रूढ़िवादी देश होने की छवि को बदलने के रूप में देखा गया।
सऊदी अरब ने इसके बाद महिलाओं को अधिकार देने की कड़ी में दूसरे कदम के तौर पर महिलाओं को हवाई जहाज उड़ाने की अनुमति दी। देश में सबसे सस्ती सेवाएं देने के लिए विख्यात सऊदी अरब की एयरलाइन कंपनी फ्लाइनस ने साल 2018 में सह-पायलटों और फ्लाइट अटेंडेंट्स के रूप में काम करने के लिए महिलाओं की भर्ती की योजना की घोषणा की थी।
इस योजना बाद 24 घंटे के भीतर ही एक हजार महिलाओं ने सह-पायलट पद के लिए कंपनी के पास आवेदन किया था। कंपनी के एक अधिकारी ने कहा था कि फ्लाइनस सऊदी महिलाओं को साम्राज्य के परिवर्तन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए सशक्त बनाने का इच्छुक है, क्योंकि महिलाएं एयरलाइन की सफलता का एक अनिवार्य हिस्सा हैं।
तीसरे कदम के तौर पर, सऊदी अरब ने इस वर्ष महिलाओं के अधिकारों में बढ़ोतरी करते हुए उन्हें अकेले विदेश यात्रा की अनुमति दी थी। सऊदी के इस फैसले के बाद 21 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं को पासपोर्ट हासिल करने और किसी पुरुष संरक्षक की अनुमति के बिना ही विदेश यात्रा की इजाजत दी गई।
सऊदी अरब की महिलाओं की स्थित को लेकर दुनिया भर में उसकी आलोचना की गई थी। मानवाधिकार आयोगों का कहना था कि सऊदी महिलाओं को दोयम दर्जे का नागिरक मानता है। महिलाओं को हर प्रकार के महत्वपूर्ण निर्णयों के लिए पुरुष संरक्षकों पर निर्भर रहना पड़ता है।
इस ऐतिहासिक सुधार के बाद वह पुरानी संरक्षण प्रणाली समाप्त हो गई जिसके तहत कानून महिलाओं को स्थायी रूप से नाबालिग समझता था और उनके ‘संरक्षकों’ यानी पति, पिता और अन्य पुरुष संबंधियों को उन पर मनमाना अधिकार प्रदान करता था।
सऊदी ने इसके साथ ही चौथे कदम के रूप में यह भी घोषणा की थी कि अब सऊदी महिलाएं बच्चे के जन्म, शादी या तलाक को आधिकारिक रूप से पंजीकृत करा सकती हैं। उन्हें पुरुषों की ही तरह नाबालिग बच्चों के संरक्षक के तौर पर मान्यता दी गई।
इस सुधारों की देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापक प्रशंसा हुई है, लेकिन कट्टर रूढिवादियों ने इन्हें ‘गैर इस्लामी’ बताकर इनकी निंदा की थी।