पंजाब में धर्मेंद्र का पुश्तैनी घर: पिता केवल कृष्ण देओल ने 5000 में बेचा, आज भी उनके नाम पर है बिजली मीटर
बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र का सोमवार 24 नवंबर को निधन हो गया। मुंबई के विले पार्ले स्थित पवन हंस श्मशान भूमि में अभिनेता का अंतिम संस्कार किया गया। उनके निधन के बाद इंडस्ट्री में मातम पसरा है।
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पंजाब दा पुत्तर सदाबहार हीरो धर्म सिंह देओल उर्फ धर्मेंद्र अब इस दुनिया में नहीं रहे। पंजाब का कोई ऐसा शहर नहीं, जहां उनके परिवार का कोई न कोई नाता न रहा हो। धर्मेंद्र के पिता केवल कृष्ण देओल एक अध्यापक थे और नौकरी के दौरान उनका तबादला पंजाब में जहां भी हुआ, उन सब शहरों, कस्बों और गांवों में धर्मेंद्र की यादें बसी हैं और उनकी धरोहरों को लोगों ने संजोय रखा है। ऐसा ही एक शहर है रायकोट जो जिला लुधियाना के एक कोने में बठिंडा रोड पर बसा है। रायकोट में भी केवल कृष्ण देओल कुछ वर्ष रहे और छोटे धर्म की यादें आज भी बजुर्गों के दिलो दिमाग में बसी हैं।
रायकोट में केवल कृष्ण देओल का मकान था, जिसे उन्होंने 1959 में पांच हजार रुपये में रायकोट के प्रसिद्ध व्यापारी को बेच दिया था। अग्रवाल परिवार ने धर्म भाजी की इस ऐतिहासिक धरोहर (घर) को आज तक संजो कर रखा है और अलग बंगला बना लेने के बावजूद इस घर से अग्रवाल परिवार का दिल से जुड़ाव बना है और घर को सजा-संवार कर रखते हैं। हालांकि उनका रायकोट में अब बड़ा बंगला है, लेकिन वे धर्मेंद्र के पुश्तैनी घर को कभी खुद से दूर नहीं कर पाए। उनके अनुसार, यह घर उनके परिवार के गर्व और भावनाओं का प्रतीक है।
उर्दू भाषा में हुई थी घर की रजिस्ट्री
केवल कुमार अग्रवाल ने बताया कि उनके पिता ने धर्मेंद्र के पिता केवल कृष्ण देओल से 22 जुलाई 1959 को यह मकान खरीदा था। उस समय इसकी कीमत सिर्फ 5000 थी और घर की रजिस्ट्री रायकोट तहसील में 150 रुपये के स्टांप पेपर पर उर्दू में हुई थी। यह घर रायकोट के कुतुबा गेट के पास पाश मोहल्ला सदावर्तीय में स्थित है, जहां धर्म पाजी ने अपने बचपन के कई वर्ष बिताए थे। इसी घर में रहकर धर्मेंद्र कुछ समय पढ़े-लिखे।
धर्मेंद्र के पिता के नाम पर बिजली मीटर
केवल अग्रवाल ने कहा कि धर्मेंद्र के इस पुराने घर को देखकर उन्हें बहुत खुशी मिलती है। उन्होंने इस घर को आज भी उसी रूप में सहेज कर रखा हुआ है, जैसा दशकों पहले था। धर्मेंद्र के पुश्तैनी मकान की ऐतिहासिक महत्त्व को देखते हुए इसे धरोहर के रूप में सुरक्षित रखा गया है। मकान आज भी मजबूती से खड़ा है। मकान का मीटर धर्मेंद्र के पिता केवल कृष्ण देओल के नाम पर ही है। उन्होंने कभी इस मीटर को अपने नाम पर बदलवाने की नहीं सोची।
चाचा-ताया से मिलने आते थे धर्मेंद्र
पक्खोवाल से सटे गांव डांगो में धर्मेंद्र का जन्म हुआ था और उनके कुनबे के बहुत परिवार आज भी वहीं रहते हैं, लेकिन पिता केवल कृष्ण देओल साहनेवाल में बस गए थे इसी वजह से धर्मेंद्र का बचपन भी साहनेवाल में ज्यादा बीता। जन्म स्थान होने के कारण धर्मेंद्र का डांगो से गहरा लगाव था और वो हमेशा साहनेवाल के साथ-साथ अपने चाचा-ताया आदि परिवारों से यहां भी मिलने आया करते थे।
गांव के गुरुद्वारे में धर्मेंद्र के लिए की थी अरदास
डांगो के पूर्व सरपंच अमृत पाल सिंह ने बताया की धर्मेंद्र का अटूट प्रेम उनके गांव से रहा है। इस लगाव के कारण वह गांव वालों से हमेशा जुड़े रहे। कुछ वर्ष पहले धर्मेंद्र उनके गांव में भी आए थे और सबसे मिलकर उन्हें बड़ी प्रसन्नता हुई थी। अमृतपाल सिंह ने बताया कि धर्मेंद्र के बीमार होने पर गांव के गुरुद्वारे साहिब में सब ने उनके अच्छे स्वास्थ्य के लिए अरदास की थी।