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चंडीगढ़ में किसानों की महापंचायत: किसान आंदोलन के पांच साल पूरे; पंजाब यूनिवर्सिटी को लेकर बुलंद करेंगे आवाज
संवाद न्यूज एजेंसी, लुधियाना/तरनतारन (पंजाब)
Published by: अंकेश ठाकुर
Updated Tue, 25 Nov 2025 05:53 PM IST
सार
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के आह्वान पर 26 नवंबर को चंडीगढ़ के सेक्टर-43बी में होने वाली महापंचायत में पंजाब समेत देशभर से हजारों किसान शामिल होंगे।
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महापंचायत में मौजूद किसानों की भीड़।
- फोटो : अमर उजाला (फाइल)
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विस्तार
पंजाब-हरियाणा की राजधानी चंडीगढ़ में बुधवार को किसानों की महापंचायत होने जा रही है। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के आह्वान पर 26 नवंबर को चंडीगढ़ के सेक्टर-43बी में होने वाली महापंचायत में पंजाब समेत देशभर से हजारों किसान शामिल होंगे। यह महापंचायत किसानों के ऐतिहासिक आंदोलन की जीत की खुशी और उसकी पांचवीं वर्षगांठ को समर्पित होगी।
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भाकियू (लक्खोवाल) के सूबा प्रधान हरिंदर सिंह लक्खोवाल ने बताया कि इस मौके पर एसकेएम केंद्र सरकार और पंजाब सरकार दोनों को मांगपत्र सौंपेगा। लक्खोवाल ने कहा कि किसान संगठन अब भी अपनी अधूरी मांगों पर डटे हैं। इनमें एमएसपी की कानूनी गारंटी, पंजाब को चंडीगढ़ पर पूरा अधिकार देने, पंजाब यूनिवर्सिटी को पंजाब का दर्जा बहाल कराने और राज्य के जल संसाधनों पर हक सुनिश्चित करने जैसी मांगें प्रमुख हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र को भेजे जा रहे मांगपत्र के साथ ही पंजाब के मुख्यमंत्री के नाम भी राज्य से संबंधित मुद्दों का विस्तृत ज्ञापन सौंपा जाएगा।
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उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि दिल्ली आंदोलन के दौरान सरकार द्वारा मान ली गई मांगों को लागू नहीं किया गया तो किसान आगे बड़ा संघर्ष छेड़ने के लिए मजबूर होंगे।
कौन-कौन से हैं मुद्दे
लक्खोवाल ने बकाया मुद्दों की सूची गिनाते हुए कहा कि बिजली संशोधन विधेयक 2025 को रद्द किया जाए, बाढ़ प्रभावित किसानों की मांगें तत्काल मानी जाएं और पंजाब में बाढ़-रोधक स्थायी प्रबंध किए जाएं। इसके साथ ही गन्ना उत्पादक किसानों के भुगतान और सहूलियतों का समाधान भी जल्द दिया जाए। किसान नेता ने केंद्र के नए श्रम कानूनों (चार लेबर कोड) का विरोध भी दोहराया। उन्होंने कहा कि ये कोड मजदूर विरोधी हैं और आजादी के बाद पीछे धकेलने वाले सबसे खराब सुधार साबित होंगे। इनसे न तो न्यूनतम वेतन की गारंटी सुनिश्चित होती है और न ही सामाजिक सुरक्षा का दावा सही ठहरता है।
तेज किया जाएगा आंदोलन
उन्होंने बताया कि 26 नवंबर को एसकेएम केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और अन्य मजदूर-जत्थेबंदियों के साथ मिलकर इन कानूनों के खिलाफ व्यापक रोष प्रदर्शन करेगा। लक्खोवाल ने कहा कि सरकार यदि किसानों और मजदूरों के हितों को नजरंदाज करती रही तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा। महापंचायत में पूरे पंजाब से बीकेयू लक्खोवाल के बड़े जत्थे पहुंचेंगे और यह कार्यक्रम किसान संगठनों की एकजुटता का मजबूत संदेश देगा।
तरनतारन से पूरे जोश के साथ पहुंचेंगे किसान- लुहार
किसान आंदोलन की पांचवीं सालगिरह पर संयुक्त किसान मोर्चा पूरे देश में बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन करेगा। इसी के तहत 26 नवंबर को चंडीगढ़ में किसान रैली होगी। रैली की तैयारी को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा जिला तरनतारन की मीटिंग संयुक्त किसान मोर्चा जिला तरनतारन के कन्वीनर नछत्तर सिंह मुगल चक की अध्यक्षता में हुई।
मीटिंग के दौरान तरसेम सिंह लुहार और मनजीत सिंह ने कहा कि संगठन द्वारा तय कोटा के अनुसार तरनतारन जिले से किसान पूरे जोश के साथ रैली में पहुंचेंगे। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने किसान आंदोलन के दौरान तीन कृषि कानून वापस लेने का वादा किया था। कहा था कि सभी फसलों का दाम स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार दिया जाएगा, लेकिन समस्या जस की तस है। अब केंद्र सरकार पंजाब यूनिवर्सिटी पर कब्जा करने और चंडीगढ़ को पंजाब को सौंपने के बजाय उस पर पूरी तरह से कब्जा कर रही है। पंजाब के पानी को लूटा जा रहा है। पंजाब के खेती के सामान का व्यापार वाघा बॉर्डर और हुसैनीवाला बॉर्डर के बजाय गुजरात के रास्ते पाकिस्तान के साथ हो रहा है जिससे पंजाब के किसानों, मजदूरों और व्यापारियों को भारी नुकसान हो रहा है। मौके पर दलजीत सिंह दयालपुरा, बलबीर सिंह झामका, दलविंदर सिंह पन्नू, गुरसाहिब सिंह दल, दिलबाग सिंह लखोवाल, गुरचरण सिंह सबरा, पूरन सिंह मरीमेघा, गुरबचन सिंह घरका, हरजीत सिंह रवि, तरसेम सिंह कलसी, सतपाल सिंह नथोके, दया सिंह अलादीनपुर, सुखदेव सिंह तूर, भूपिंदर सिंह पंडोरी तख्तमल, अमृतपाल सिंह जोड़ा, मनिंदर सिंह लाली, इंदरजीत सिंह मरहाना व दविंदर सोहल भी मौजूद रहे।