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मोगा की एडीसी चारूमिता निलंबित: 3.7 करोड़ रुपये के भूमि अधिग्रहण घोटाले में गवर्नर के आदेश पर कार्रवाई

संवाद न्यूज एजेंसी, मोगा (पंजाब) Published by: निवेदिता वर्मा Updated Fri, 07 Nov 2025 12:34 PM IST
सार

निलंबन अवधि के दौरानचारूमिता (पीसीएस) का मुख्यालय चंडीगढ़ रहेगा और उन्हें सेवा नियमों के अनुसार भत्ता दिया जाएगा। यह कार्रवाई तब हुई जब लोक निर्माण विभाग ने चारूमिता के खिलाफ चार्जशीट जारी की और विजिलेंस ब्यूरो से इस पूरे मामले की जांच करने को कहा।

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Moga ADC Charumita suspended Acting on Governor orders in Rs 3.7 crore land acquisition scam
मोगा की अतिरिक्त उपायुक्त चारूमिता - फोटो : संवाद
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विस्तार
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पंजाब सरकार ने मोगा की अतिरिक्त उपायुक्त चारूमिता (पीसीएस) को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। यह कार्रवाई राष्ट्रीय राजमार्ग-703 परियोजना से जुड़े 3.7 करोड़ रुपये के भूमि अधिग्रहण घोटाले के आरोपों के बाद की गई है।

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पर्सनल विभाग (पीसीएस शाखा) द्वारा राज्यपाल के आदेश पर जारी अधिसूचना के अनुसार, 2014 बैच की पीसीएस अधिकारी चारूमिता को पंजाब सिविल सर्विसेज (सजा और अपील) नियम, 1970 के नियम 4(1)(a) के तहत निलंबित किया गया है। 
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निलंबन अवधि के दौरान उनका मुख्यालय चंडीगढ़ रहेगा और उन्हें सेवा नियमों के अनुसार भत्ता दिया जाएगा। यह कार्रवाई तब हुई जब लोक निर्माण विभाग ने चारूमिता के खिलाफ चार्जशीट जारी की और विजिलेंस ब्यूरो से इस पूरे मामले की जांच करने को कहा।

क्या है विवाद 

विवाद उस भूमि को लेकर है जो 1963 में लोक निर्माण विभाग, फिरोजपुर द्वारा सड़क निर्माण के लिए अधिग्रहित की गई थी और जो पिछले पांच दशकों से लगातार सार्वजनिक उपयोग में थी। इसके बावजूद, 2022 में इस भूमि को व्यावसायिक उपयोग के लिए स्वीकृति दे दी गई, जबकि यह हिस्सा अब भी एक सक्रिय सड़क का भाग था।


2014 में राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम, 1956 के तहत इस सड़क का चौड़ीकरण किया गया और भूमि को दोबारा अधिग्रहित दिखाया गया। बाद में 2019 में 3.7 करोड़ रुपये का मुआवजा नई अधिग्रहित भूमि के रूप में जारी कर दिया गया, जबकि इसकी मूल रिकॉर्ड 1963 से ही सरकारी उपयोग में थी। गड़बड़ी तब सामने आई जब मुआवजा प्राप्तकर्ता ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर मुआवजे की राशि बढ़ाने की मांग की। कोर्ट के नोटिस के जवाब में यह पाया गया कि 1963 के मूल अधिग्रहण रिकॉर्ड गायब हैं, जिससे पूरे अधिग्रहण और स्वीकृति प्रक्रिया पर सवाल उठे।

विरोधाभासी रिपोर्टें और जांच का विस्तार

17 सितंबर को मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव और पीडब्ल्यूडी सचिव रवि भगत ने अपनी टिप्पणियों में लिखा कि 2021 से 2025 के बीच एक ही भूमि के विरोधाभासी सीमांकन रिपोर्ट तैयार की गईं और 29 जुलाई 2021 को बंटवारा म्यूटेशन दर्ज किया गया, जबकि वह भूमि 1963 से सरकारी सड़क का हिस्सा थी।

उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि सिर्फ तीन कनाल भूमि के लिए 3.62 करोड़ रुपये का बढ़ा-चढ़ा सहमति मुआवजा जारी किया गया, जो बाजार मूल्य से कहीं अधिक था।

इन्हीं निष्कर्षों के बाद वित्त आयुक्त (राजस्व) अनुराग वर्मा ने धर्मकोट तहसीलदार मनींदर सिंह और नायब तहसीलदार गुरदीप सिंह के खिलाफ चार्जशीट जारी की है। साथ ही उन्होंने फिरोजपुर की उपायुक्त दीपशिखा शर्मा और लुधियाना के जिला राजस्व अधिकारी की देखरेख में भूमि का पुनः सीमांकन कराने का आदेश दिया है। इस प्रक्रिया में विजिलेंस ब्यूरो, पीडब्ल्यूडी और एनएचएआई के अधिकारियों की उपस्थिति अनिवार्य होगी। विजिलेंस ब्यूरो को निर्देश दिया गया है कि वह इस मामले में शामिल सभी अधिकारियों भूमि पुरस्कार और सीएलयू स्वीकृति से जुड़े अधिकारियों — की भूमिका की जांच करे और यह पता लगाए कि क्या कोई जानबूझकर गड़बड़ी या मिलीभगत हुई है। 

चारूमिता ने दी सफाई

चारूमिता ने किसी भी गलत काम से इनकार किया है। एसडीएम का सीएलयू जारी करने में कोई रोल नहीं होता। यह जीएलएडीए द्वारा स्वीकृत किया गया था। मुआवजे की राशि भी अभी तक जारी नहीं की गई है। उन्होंने दावा किया कि पुरस्कार को सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने कभी मंजूरी नहीं दी, और एनएचएआई द्वारा जमा की गई राशि अभी भी एसडीएम के खाते में अप्रयुक्त पड़ी है। हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि चारूमिता की भूमिका भूमि रिकॉर्ड की सही तरह से जांच न करने और अनुचित रूप से मुआवजा स्वीकृत करने के कारण जांच के दायरे में आई है।
 
चारूमिता के निलंबन और दो तहसीलदारों के खिलाफ चार्जशीट जारी होने के बाद यह मामला और गंभीर हो गया है। सूत्रों के अनुसार, मोगा प्रशासन और पीडब्ल्यूडी के और अधिकारी भी विजिलेंस जांच के घेरे में आ सकते हैं।
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