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Stubble Burning: पंजाब में पिछले साल से अब तक 70 फीसदी कम जली पराली, औसत एक्यूआई में भी सुधार; सख्ती का असर

राजिंद्र शर्मा/रिंपी गुप्ता, चंडीगढ़/पटियाला Published by: निवेदिता वर्मा Updated Fri, 24 Oct 2025 03:33 PM IST
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सार

पंजाब के 23 जिलों में पराली जलाने की घटनाओं पर नजर रखने के लिए 10 हजार अधिकारियों की फौज तैनात की गई है जिसमें चार हजार अधिकारी तो केवल हॉटस्पॉट गांवों में ही तैनात हैं।

Stubble Burning 70% less since last year average AQI also improved in Punjab
Stubble Burning - फोटो : Istock
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विस्तार
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पंजाब में पराली जलाने के मामलों में पिछले साल के मुकाबले करीब 70 फीसदी की कमी आई है। 15 सितंबर से लेकर 22 अक्तूबर तक वर्ष 2024 में पराली जलाने के 1581 मामले सामने आए थे, जबकि इस साल इस अवधि में मात्र 484 मामले दर्ज किए गए हैं।

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इसके पीछे पराली प्रबंधन को लेकर सरकार की सख्ती व हॉटस्पॉट जिलों पर विशेष नजर रखने के लिए गठित चार हजार अधिकारियों की टीम है जिसने लगातार किसानों के बीच जाकर उन्हें पराली से होने वाले नुकसान के प्रति जागरूक किया। 
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पराली कम जलने का असर राज्य के औसत एक्यूआई पर भी पड़ा है। अक्तूबर 2024 में अमृतसर का औसतन एक्यूआई 133, लुधियाना का 121, मंडी गोबिंदगढ़ का 154, पटियाला का 125, जालंधर का 118, खन्ना का 116 दर्ज किया गया था। अक्तूबर 2025 में अमृतसर का औसतन एक्यूआई 96, लुधियाना का 111, मंडी गोबिंदगढ़ का 130, पटियाला का 92, जालंधर का 110, खन्ना का 105 दर्ज किया गया है। 

अब तक जिन जिलों में सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं उनमें अमृतसर, तरनतारन, रोपड़, मोहाली और गुरदासपुर शामिल हैं। हालांकि वायु प्रबंधन आयोग ने प्रदेश को पराली जलाने को पूर्ण कंट्रोल करके जीरो टारगेट दिया था लेकिन जिस तरह से अब भी पराली जलाने के घटनाएं हो रही हैं, यह टारगेट पूरा होता दिखाई नहीं दे रहा है। हालांकि पिछले वर्षों के मुकाबले पराली के केसों को कम करने में सरकार सफल जरूर रही है। वर्ष 2023 में पराली जलाने के कुल 36,663 मामले रिपोर्ट किए गए थे, जो वर्ष 2024 में कम होकर 10,909 हो गए हैं। विशेषज्ञों की मानें तो वर्ष 2025 के पूरे सीजन के दौरान यह मामले पांच हजार तक सिमट सकते हैं।

30.79 लाख हेक्टेयर में धान की खेती

पंजाब में करीब 31 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान की खेती की जाती है। इस बार 30.79 लाख हेक्टेयर एरिया में धान की खेती हुई है जिसमें से 23.79 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में गैर बासमती और 7 लाख हेक्टेयर में बासमती धान की रोपाई हुई है। इससे लगभग 200 लाख टन धान की पराली उत्पन्न होती है जिसका निपटारा करना सरकार के सामने प्रमुख चुनौती है।

हॉट स्पॉट जिलों में बढ़ाई निगरानी

पंजाब रिमोट सेंसिंग सेंटर लुधियाना की रिपोर्ट के अनुसार आठ जिले हॉटस्पॉट की सूची में शामिल है। इन जिलों बात करें तो पिछली बार फिरोजपुर में 1342, तरनतारन 876, संगरूर 1725, बठिंडा 750, मोगा 691, बरनाला 262, मानसा 618 और फरीदकोट में पराली जलाने के 551 मामले सामने आए थे।

सात शहरों की हवा अब भी खराब

पंजाब के सात शहरों की हवा अब भी खराब है। प्रदेश के तीन शहरों का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) खराब श्रेणी में बना हुआ है जो सांस के मरीजों के लिए खतरनाक है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार मंडी गोबिंदगढ़ का एक्यूआई पिछले 24 घंटे में सबसे अधिक 266 दर्ज किया गया है जबकि लुधियाना का 235 और जालंधर का एक्यूआई 225 दर्ज किया गया है। इसी तरह रोपड़ का 190, अमृतसर 186, खन्ना 138 का पटियाला का एक्यूआई 119 दर्ज किया गया है। सिर्फ बठिंडा का एक्यूआई ही 73 दर्ज किया गया है जिसे संतोषजनक माना जाता है।
 
किसानों में पहले से जागरूकता बढ़ी है और अब सिर्फ जमीनी स्तर पर जाकर उनको पराली न जलाने के लिए प्रोत्साहित करने की जरूरत है। इसके अलावा सख्ती के साथ उनकी समस्याएं जानकर उन्हें दूर किया जाना चाहिए जिससे बेहतर नतीजे मिलेंगे। -डॉ. हर्ष नायर, प्रोफेसर, पंजाब विश्वविद्यालय। 

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