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कैप्टन की वापसी पर घमासान: दो खेमों में बंटी कांग्रेस... माझा एक्सप्रेस स्वागत के मूड में, विरोध में नई पीढ़ी
सुरिंदर पाल, अमर उजाला, जालंधर
Published by: शाहरुख खान
Updated Wed, 31 Dec 2025 01:41 PM IST
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सार
पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की वापसी पर घमासान हो गया है। पंजाब कांग्रेस दो खेमों में बंट गई है। माझा एक्सप्रेस स्वागत के मूड में है, नई पीढ़ी विरोध कर रही है। हाईकमान को बड़ा फैसला लेना है।
Punjab Congress
- फोटो : अमर उजाला ग्राफिक्स
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विस्तार
पंजाब की राजनीति एक बार फिर करवट लेती नजर आ रही है। पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की कांग्रेस में संभावित वापसी की अटकलों ने प्रदेश कांग्रेस में नई हलचल पैदा कर दी है।
पार्टी के भीतर इस मुद्दे पर दो साफ खेमे बन चुके हैं। एक गुट कैप्टन की वापसी को कांग्रेस के लिए संजीवनी मान रहा है, जबकि दूसरा इसे बीते दौर की राजनीति बताकर विरोध में खड़ा है। कैप्टन अमरिंदर सिंह को अब भी एक कद्दावर नेता माने जाते हैं।
2014 में उन्होंने अमृतसर सीट पर नरेंद्र मोदी लहर के बीच अरुण जेतली को हराकर अपनी सियासी ताकत साबित की थी। माझा क्षेत्र के प्रभावशाली नेता सुखजिंदर सिंह रंधावा को इस पूरी कवायद का केंद्र माना जा रहा है।
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पार्टी के भीतर इस मुद्दे पर दो साफ खेमे बन चुके हैं। एक गुट कैप्टन की वापसी को कांग्रेस के लिए संजीवनी मान रहा है, जबकि दूसरा इसे बीते दौर की राजनीति बताकर विरोध में खड़ा है। कैप्टन अमरिंदर सिंह को अब भी एक कद्दावर नेता माने जाते हैं।
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2014 में उन्होंने अमृतसर सीट पर नरेंद्र मोदी लहर के बीच अरुण जेतली को हराकर अपनी सियासी ताकत साबित की थी। माझा क्षेत्र के प्रभावशाली नेता सुखजिंदर सिंह रंधावा को इस पूरी कवायद का केंद्र माना जा रहा है।
माझा एक्सप्रेस कहे जाने वाले इस गुट में तृप्त राजिंदर बाजवा और सुखविंदर सुखसरकारिया जैसे नेता शामिल हैं, जो कैप्टन के पक्षधर माने जाते हैं।
दूसरी ओर, खुद को बदलाव और नई पीढ़ी का प्रतिनिधि बताने वाला गुट कैप्टन की वापसी के खिलाफ हैं। उनका तर्क है कि कैप्टन के नेतृत्व में ही कांग्रेस 2022 में सत्ता से बाहर हुई और उनकी वापसी से नेतृत्व संघर्ष गहराएगा।
गुटबाजी बढ़ी तो नुकसान तय
राजनीतिक जानकारों के अनुसार, कैप्टन की एंट्री से कांग्रेस को 5-7 फीसदी पुराना वोट बैंक वापस मिल सकता है लेकिन गुटबाजी बढ़ी तो नुकसान तय है। ऐसे में कांग्रेस हाईकमान के सामने यह फैसला करो या मरो जैसा बन गया है। पंजाब कांग्रेस आज चौराहे पर खड़ी है, जहां हर रास्ता जोखिम भरा है लेकिन फैसला टालना सबसे बड़ा नुकसान हो सकता है।
राजनीतिक जानकारों के अनुसार, कैप्टन की एंट्री से कांग्रेस को 5-7 फीसदी पुराना वोट बैंक वापस मिल सकता है लेकिन गुटबाजी बढ़ी तो नुकसान तय है। ऐसे में कांग्रेस हाईकमान के सामने यह फैसला करो या मरो जैसा बन गया है। पंजाब कांग्रेस आज चौराहे पर खड़ी है, जहां हर रास्ता जोखिम भरा है लेकिन फैसला टालना सबसे बड़ा नुकसान हो सकता है।