अलविदा ही-मैन: मुंबई जाने से पहले धर्मेंद्र ने परिवार को मनाया, पिता की थी ये शर्तें, दोस्त ने बताए किस्से
बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र का सोमवार 24 नवंबर को निधन हो गया। मुंबई के विले पार्ले स्थित पवन हंस श्मशान भूमि में अभिनेता का अंतिम संस्कार किया गया। उनके निधन के बाद इंडस्ट्री में मातम पसरा है।
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बॉलीवुड अभिनेता धर्मेंद्र (89) के निधन से उनके बचपन के दोस्त गहरे सदमे में चले गए हैं। वे उनके किस्से साझा कर उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं। उनके बचपन के साथी ईएसआई अस्पताल से रिटायर्ड सुपरिंटेंडेंट खन्ना निवासी रविंदर पाल जोशी बताते हैं कि उनका और धर्मेंद्र का बचपन साहनेवाल की उन्हीं गलियों में बीता जहां आज भी लोगों की जुबान पर उनके किस्से तैरते हैं। उनकी दोस्ती इतनी गहरी थी कि मोहल्ले के लोग अकसर उन्हें एक-दूसरे का साया कहा करते थे। धर्मेंद्र के पिता केवल कृष्ण सरकारी स्कूल में टीचर थे। जोशी याद करते हुए बताते हैं कि उनका तबादला साहनेवाल हो गया और मेरे पिता राम स्वरूप जोशी अस्पताल में नौकरी करते थे। दोनों आपस में जिगरी दोस्त थे। इसी रिश्ते ने दोनों परिवारों को जोड़ दिया।
धर्मेंद्र का मकान साहनेवाल स्कूल के पीछे ही था जहां उनके पिता बच्चों को ट्यूशन पढ़ाया करते थे। जोशी भी उन्हीं में शामिल थे। वे याद करते हैं कि केवल कृष्ण जी काफी सख्त मिजाज थे। मैं, धर्मेंद्र और उसका भाई अजीत रोज सुबह कोहाड़ा रोड तक सैर करने जाया करते थे। मेरा रंग थोड़ा दबा हुआ था तो धमेंद्र के पिता मजाक में कहते- तुम टमाटर नहीं खाते, लगता है बैंगन खाते हो। धर्मेंद्र को बचपन से ही सिनेमा का शौक था। एक बार वह स्कूल जाने की बजाय फिल्म देखने पहुंच गए। किसी ने यह बात उनके पिता को बता दी। वह सीधे सिनेमा हॉल पहुंच गए। जोशी बताते हैं कि अगले ही पल धर्मेंद्र बैग लेकर घर पहुंच चुका था। फिर सीधा हमारे घर आया और बोला- मैं बंबई जाना चाहता हूं। पर घर वाले इसके सख्त खिलाफ थे। धर्मेंद्र की यह चाहत कितनी गहरी थी, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्होंने जोशी के पिता से अपने पिता को मनाने में मदद मांगी। काफी समझाइश के बाद केवल कृष्ण ने बेटे को मुंबई जाने की इजाजत तो दे दी, लेकिन कुछ कड़े वचन भी लिए- शराब से दूर रहना, गलत संगत से बचना और काम पर ध्यान देना।
भीड़ में पुरानी फोटो देख रोक दी थी गाड़ी
जोशी बताते हैं कि प्रसिद्धि के शिखर पर पहुंचने के बाद भी धर्मेंद्र अपने पुराने साथ को नहीं भूले। मेरे विवाह में धर्मेंद्र, अजीत और पूरा परिवार आया था। अजीत तो अकसर घर भी आता था। रेल में हम साथ-साथ सफर करते थे। 2011 की एक याद जोशी की आंखें नम कर देती है। धर्मेंद्र अपनी ससुराल आए थे और सुरक्षा के चलते किसी को मिलने नहीं दिया जा रहा था। मैं बाहर ही खड़ा था। तभी उनका काफिला निकला। मैंने अपनी एक पुरानी फोटो हवा में लहराई। उन्होंने देखा और तुरंत गाड़ी रुकवाई। मुझे अंदर बुलाया, गाड़ी में बिठाया और लगभग डेढ़ घंटे हम उसी तरह हंसे, बातें कीं, जैसे कभी बचपन में करते थे, जोशी भावुक होकर कहते हैं। जोशी के शब्दों में धर्मेंद्र सुपरस्टार दुनिया के लिए थे, हमारे लिए तो वे घर का सदस्य थे। उनका जाना सिर्फ फिल्म इंडस्ट्री के लिए नुकसान नहीं, बल्कि साहनेवाल की गलियों का भी एक तुकड़ा आज खो गया है। साहनेवाल में आज भी लोग उन्हीं गलियों को देख रहे हैं जहां बचपन की वह शख्सियत दौड़ा करती थी। धर्मेंद्र भले ही दुनिया से रुख्सत हो गए हों लेकिन बचपन के उन सपनों, उन हंसी-ठिठोली और उन कदमों की आहट आज भी यहां की मिट्टी में सांस ले रही है।
चौड़ा बाजार की खास दुकान में कटवाते थे बाल
धर्मेंद्र के दोस्त भारतीय जीवन बीमा निगम से रिटायर्ड अफसर 85 वर्षीय गिरधारी लाल शर्मा कहते हैं कि एलआईसी में भर्ती होने पर उनकी ट्रेनिंग मुंबई में हुई। तब वे विशेष तौर पर जाकर धर्मेंद्र से मिले थे। इसके बाद भी कई बार उनके साथ बात हुई। लुधियाना के चौड़ा बाजार में राज हेयर ड्रेसर की दुकान थी। वहां धर्मेंद्र कटिंग के लिए जाते थे। वे बचपन से ही काफी शौकीन थे और वे बार बार अपने बालों को हाथ फेर कर संवारते रहते थे। इसी दौरान हिंदी सिनेमा में नए चेहरों की आवश्यकता थी। धर्मेंद्र ने इंटरव्यू दिया और वे सिलेक्ट हो गए। बाॅलीवुड निर्माता बिमल राय ने उनको सिलेक्ट किया था। उसके बाद धमेंद्र ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा। अजीत छोटा भाई था और वह रेलवे में नौकरी करता था। उसकी तैनाती बटाला में थी। बाॅलीवुड में पहुंचाने के लिए दोस्तों ने धर्मेंद्र की काफी मदद की थी। गिरधारी लाल कहते हैं कि उन्होंने धर्मेंद्र की काफी फिल्में देखी, लेकिन शोले कई बार देखी। उनकी अदाकारी में एक खिंचाव था।
14 दिसंबर, 2015 को आए थे लुधियाना
14 दिसंबर, 2015 को धर्मेंद्र लुधियाना आए थे। तब उनकी एक झलक पाने के लिए प्रसंशक बेताब दिखे। धर्मेंद्र ने हंबड़ा रोड स्थित सब-रजिस्ट्रार कार्यालय में अपनी संपत्ति से जुड़े महत्वपूर्ण दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए। दोपहर करीब 1 बजे अभिनेता जैसे ही कार्यालय पहुंचे लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी और प्रशंसकों ने उनसे सेल्फी लेने की होड़ लगा दी। कार्यालय कर्मचारियों ने भी बॉलीवुड आइकन का गर्मजोशी से स्वागत किया। यहां वह अपने प्रशंसकों से भी रूबरू हुए थे।