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Mohali News: लालड़ू में संरक्षित पशु बने जानलेवा, आश्वासन के अलावा नहीं कोई समाधान
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लालड़ू। लालड़ू क्षेत्र में अंबाला–चंडीगढ़ मुख्य मार्ग सहित आसपास के गांवों में घूम रहे संरक्षित पशु लगातार जानलेवा साबित हो रहे हैं। गांव लैहली में 15 दिसंबर को घर के सामने एक सांड के हमले में 92 वर्षीय बुजुर्ग संता सिंह गंभीर रूप से घायल हो गए थे, जिनकी पीजीआई चंडीगढ़ में उपचार के दौरान मौत हो गई। इसके अलावा भी संरक्षित पशुओं के कारण पहले भी कई हादसे हो चुके हैं। समस्या को लेकर नगर परिषद व प्रशासन के अधिकारी बीते करीब 15 वर्षों से समाधान का आश्वासन देते आ रहे हैं, लेकिन हालात आज भी जस के तस बने हुए हैं।
अकाली सरकार के कार्यकाल में गांव मगरा में 25 एकड़ भूमि पर जिला स्तरीय गोशाला का निर्माण किया गया था, जिस पर करोड़ों रुपये खर्च करने का दावा किया गया। इसके बावजूद लालड़ू व आसपास के इलाकों में संरक्षित पशुओं की संख्या कम नहीं हुई। स्थानीय लोगों का आरोप है कि गोशाला बनने के बाद भी नगर परिषद और प्रशासन ने कभी गंभीरता से पशुओं को पकड़कर वहां छोड़ने की व्यवस्था नहीं की।
गोशाला में भी पशुओं को नहीं लेते हैं
किसान प्रेम राणा, लाभ सिंह, कौल सिंह, जनकराज मगरा, चंद्रपाल और हरविंदर सिंह टोनी का कहना है कि जब वे खुद पशुओं को पकड़कर गोशाला में ले जाते हैं तो वहां उन्हें लेने से मना कर दिया जाता है। इससे किसानों में भारी रोष है।
पहले भी हो चुकी हैं कई मौतें
2019 में 27 जुलाई को मोटरसाइकिल सवार 30 वर्षीय बजिंद्र कुमार की संरक्षित पशु से टकराकर मौके पर ही मौत हो गई थी। इसके अलावा मंजीत कौर पत्नी सोहन सिंह लालड़ू मंडी गंभीर रूप से घायल हुईं, जिन्हें अंबाला के निजी अस्पताल में 60–70 टांके लगाने पड़े। हाईवे पर पशु से टकराकर गिरे 28 वर्षीय महिंद्र सिंह (निवासी उत्तराखंड) की ट्रक की चपेट में आने से मौत हो गई थी।
मैं इस समय राज्य से बाहर हूं। लौटने के बाद ही इस विषय में जवाब दे पाऊंगा।- ईओ अशोक पथरियां, नप लालड़ू
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अकाली सरकार के कार्यकाल में गांव मगरा में 25 एकड़ भूमि पर जिला स्तरीय गोशाला का निर्माण किया गया था, जिस पर करोड़ों रुपये खर्च करने का दावा किया गया। इसके बावजूद लालड़ू व आसपास के इलाकों में संरक्षित पशुओं की संख्या कम नहीं हुई। स्थानीय लोगों का आरोप है कि गोशाला बनने के बाद भी नगर परिषद और प्रशासन ने कभी गंभीरता से पशुओं को पकड़कर वहां छोड़ने की व्यवस्था नहीं की।
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गोशाला में भी पशुओं को नहीं लेते हैं
किसान प्रेम राणा, लाभ सिंह, कौल सिंह, जनकराज मगरा, चंद्रपाल और हरविंदर सिंह टोनी का कहना है कि जब वे खुद पशुओं को पकड़कर गोशाला में ले जाते हैं तो वहां उन्हें लेने से मना कर दिया जाता है। इससे किसानों में भारी रोष है।
पहले भी हो चुकी हैं कई मौतें
2019 में 27 जुलाई को मोटरसाइकिल सवार 30 वर्षीय बजिंद्र कुमार की संरक्षित पशु से टकराकर मौके पर ही मौत हो गई थी। इसके अलावा मंजीत कौर पत्नी सोहन सिंह लालड़ू मंडी गंभीर रूप से घायल हुईं, जिन्हें अंबाला के निजी अस्पताल में 60–70 टांके लगाने पड़े। हाईवे पर पशु से टकराकर गिरे 28 वर्षीय महिंद्र सिंह (निवासी उत्तराखंड) की ट्रक की चपेट में आने से मौत हो गई थी।
मैं इस समय राज्य से बाहर हूं। लौटने के बाद ही इस विषय में जवाब दे पाऊंगा।- ईओ अशोक पथरियां, नप लालड़ू