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Patiala News: गुस्साए पेंशनरों ने घेरा पीआरटीसी हेड ऑफिस, धरना देकर की नारेबाजी
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-स्थायी एमडी के तैनाती और मुफ्त सफर सुविधा बंद करने की मांग की
-कहा, हर महीने देरी से मिल रही पेंशन, लाखों रुपये के बकाया की भी अदायगी नहीं
-जल्द मांगें पूरी न होने पर संघर्ष तेज करने की चेतावनी दी
-- -
अमर उजाला ब्यूरो
पटियाला।
मांगों को लेकर सरकार व मैनेजमेंट के रवैये से गुस्साए पेंशनरों ने बुधवार को पीआरटीसी हेड ऑफिस का घेराव करके जोरदार धरना-प्रदर्शन किया। इस मौके पर पीआरटीसी में स्थायी एमडी के तैनाती और महिलाओं के मुफ्त बस सफर की सुविधा खत्म करने की मांग की। साथ ही हर महीने से समय से पेंशन जारी करने और पेंशनरों के रहते बकाया के अदायगी की मांग भी की गई। इनमें पे कमीशन के 2016 से रहते बकाया, सेवानिवृत्त हुए नए मुलाजिमों के पेंशन लाभ और मेडिकल बिलों की अदायगी पेंडिंग है।
पीआरटीसी पेंशनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष मुकंद सिंह और प्रदेश अध्यक्ष भगवंत सिंह कंगनवाल के नेतृत्व में हुए इस धरना-प्रदर्शन में सभी पेंशनरों ने पंजाब सरकार और पीआरटीसी प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी की। प्रदेश अध्यक्ष कंगनवाल ने कहा कि पंजाब सरकार और पीआरटीसी का कर्मचारियों और पेंशनरों के प्रति नकारात्मक रवैया संस्थान को पतन की ओर ले जा रहा है। उन्होंने कहा कि आराम करने की उम्र में सरकार और प्रबंधन बुजुर्ग रिटायर मुलाजिमों को पेंशन और बकाया जैसे अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करने पर मजबूर कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पेंशनरों के लिए गुजारा करना मुश्किल हो रहा है। पैसों की तंगी में कई बुजुर्ग बीमारी के कारण मौत के कगार पर पहुंच चुके हैं और कई भगवान को प्यारे हो गए हैं लेकिन प्रबंधन और सरकार सुन नहीं रही है। महासचिव हरि सिंह चमक ने कहा कि किलोमीटर स्कीम संस्थान पर अभिशाप है। इससे संस्थान के अंदर लूट मची हुई है और संस्थान निजीकरण की ओर बढ़ रहा है। इसे बंद किया जाना चाहिए।
सालाना 500 करोड़ का नुकसान
उन्होंने आगे कहा कि लाखों रुपये वेतन पाने वाली महिलाओं के लिए मुफ्त यात्रा की सुविधा बंद की जानी चाहिए। इससे संस्थान को रोजाना लगभग 1.50 करोड़ और पीआरटीसी को सालाना लगभग 500 करोड़ और पंजाब रोडवेज को इससे भी ज्यादा का नुकसान हो रहा है। अनुबंध आधार पर काम कर रहे कर्मचारियों को स्थायी किया जाए। उन्हें पेंशन की सुविधा भी दी जाए क्योंकि यही बुढ़ापे का एकमात्र सहारा है। अध्यक्ष मुकंद सिंह ने कहा कि प्रबंधन के झूठ से तंग आकर आज पेंशनरों ने जो कदम उठाया है, वह एक ट्रेलर है। अगर मांगें जल्द न मानी गईं, तो आने वाले समय में सख्त कदम उठाने पर मजबूर होंगे।
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-जल्द मांगें पूरी न होने पर संघर्ष तेज करने की चेतावनी दी
अमर उजाला ब्यूरो
पटियाला।
मांगों को लेकर सरकार व मैनेजमेंट के रवैये से गुस्साए पेंशनरों ने बुधवार को पीआरटीसी हेड ऑफिस का घेराव करके जोरदार धरना-प्रदर्शन किया। इस मौके पर पीआरटीसी में स्थायी एमडी के तैनाती और महिलाओं के मुफ्त बस सफर की सुविधा खत्म करने की मांग की। साथ ही हर महीने से समय से पेंशन जारी करने और पेंशनरों के रहते बकाया के अदायगी की मांग भी की गई। इनमें पे कमीशन के 2016 से रहते बकाया, सेवानिवृत्त हुए नए मुलाजिमों के पेंशन लाभ और मेडिकल बिलों की अदायगी पेंडिंग है।
पीआरटीसी पेंशनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष मुकंद सिंह और प्रदेश अध्यक्ष भगवंत सिंह कंगनवाल के नेतृत्व में हुए इस धरना-प्रदर्शन में सभी पेंशनरों ने पंजाब सरकार और पीआरटीसी प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी की। प्रदेश अध्यक्ष कंगनवाल ने कहा कि पंजाब सरकार और पीआरटीसी का कर्मचारियों और पेंशनरों के प्रति नकारात्मक रवैया संस्थान को पतन की ओर ले जा रहा है। उन्होंने कहा कि आराम करने की उम्र में सरकार और प्रबंधन बुजुर्ग रिटायर मुलाजिमों को पेंशन और बकाया जैसे अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करने पर मजबूर कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पेंशनरों के लिए गुजारा करना मुश्किल हो रहा है। पैसों की तंगी में कई बुजुर्ग बीमारी के कारण मौत के कगार पर पहुंच चुके हैं और कई भगवान को प्यारे हो गए हैं लेकिन प्रबंधन और सरकार सुन नहीं रही है। महासचिव हरि सिंह चमक ने कहा कि किलोमीटर स्कीम संस्थान पर अभिशाप है। इससे संस्थान के अंदर लूट मची हुई है और संस्थान निजीकरण की ओर बढ़ रहा है। इसे बंद किया जाना चाहिए।
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सालाना 500 करोड़ का नुकसान
उन्होंने आगे कहा कि लाखों रुपये वेतन पाने वाली महिलाओं के लिए मुफ्त यात्रा की सुविधा बंद की जानी चाहिए। इससे संस्थान को रोजाना लगभग 1.50 करोड़ और पीआरटीसी को सालाना लगभग 500 करोड़ और पंजाब रोडवेज को इससे भी ज्यादा का नुकसान हो रहा है। अनुबंध आधार पर काम कर रहे कर्मचारियों को स्थायी किया जाए। उन्हें पेंशन की सुविधा भी दी जाए क्योंकि यही बुढ़ापे का एकमात्र सहारा है। अध्यक्ष मुकंद सिंह ने कहा कि प्रबंधन के झूठ से तंग आकर आज पेंशनरों ने जो कदम उठाया है, वह एक ट्रेलर है। अगर मांगें जल्द न मानी गईं, तो आने वाले समय में सख्त कदम उठाने पर मजबूर होंगे।