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Balotra News: एक महीने बाद फिर वही दर्दनाक दृश्य, बालोतरा की लूणी नदी ने दो और मासूम जानें लीं
न्यूज डेस्क, अमर उजाला,बालोतरा
Published by: बालोतरा ब्यूरो
Updated Sun, 05 Oct 2025 08:13 AM IST
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सार
राजस्थान के बालोतरा में लूणी नदी एक बार फिर मौत का सबब बनी। शनिवार सुबह लगभग 11 बजे बालोतरा से जसोल जा रहे सरली कला निवासी दंपती लालाराम (34) और उनकी पत्नी देवू देवी की बाइक लूणी नदी की रपट पार करते समय तेज बहाव में बह गई।

लूणी नदी की रपट पर बह गए दंपती की दर्दनाक मौत
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
राजस्थान के बालोतरा जिले में लूणी नदी एक बार फिर दो जिंदगियां निगल गई। शनिवार सुबह करीब 11 बजे के बाद का समय था जब बालोतरा से जसोल की दिशा में जा रहे एक दंपती की बाइक लूणी नदी की रपट पार करते वक्त तेज बहाव में बह गई। सिविल डिफेंस की टीम और स्थानीय तैराकों ने कड़ी मशक्कत के बाद दोनों को नदी से बाहर निकाला, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। जिला अस्पताल ले जाने पर डॉक्टरों ने दोनों को मृत घोषित कर दिया।
मृतकों की पहचान लालाराम (34) पुत्र हजारीराम और उनकी पत्नी देवू देवी, निवासी सरली कला के रूप में हुई है। जानकारी के अनुसार, दंपती किसी काम से बालोतरा से जसोल की ओर जा रहे थे। जब वे चतुर्थ रेलवे क्रॉसिंग के पास स्थित लूणी नदी की रपट पर पहुंचे, तब नदी में पानी का बहाव काफी तेज था। बावजूद इसके उन्होंने बाइक से रपट पार करने की कोशिश की, लेकिन रपट के बीच पहुंचते ही बाइक असंतुलित हो गई और दोनों तेज धारा में बह गए।
पास के ग्रामीणों ने यह हादसा देखा तो तुरंत पुलिस और प्रशासन को सूचना दी। कुछ ही मिनटों में सिविल डिफेंस की टीम और स्थानीय तैराक मौके पर पहुंचे और रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। करीब आधे घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद दोनों को बाहर निकाला गया और बालोतरा के जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
घटना की जानकारी मिलते ही बालोतरा एसडीएम अशोक कुमार, डीएसपी सुशील मान सहित प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचे और हालात का जायजा लिया। इस दौरान बड़ी संख्या में स्थानीय लोग भी घटनास्थल पर एकत्र हो गए।
पढे़ं: सिवांची गेट के पास रेग्जीन गोदाम में लगी भीषण आग, घंटों की मशक्कत के बाद पाया गया काबू
एक ग्रामीण ने बताया, “हम बार-बार प्रशासन को चेतावनी देते आए हैं कि लूणी नदी की यह रपट लोगों की जान ले रही है, लेकिन आज तक कोई स्थायी समाधान नहीं किया गया। अगर समय रहते पुख्ता इंतजाम होते तो शायद आज यह दंपती ज़िंदा होते।”
गौरतलब है कि यह वही जगह है जहाँ 28 अगस्त को एक जीप नदी में बह गई थी, जिसमें 6 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें 8 महीने का एक मासूम बच्चा भी शामिल था। हादसे को एक महीना बीत जाने के बाद भी उस बच्चे का शव अब तक नहीं मिल पाया है।
बार-बार हो रहे इन हादसों के बावजूद प्रशासनिक सुस्ती अब गंभीर सवालों के घेरे में है। स्थानीय लोगों की मांग है कि इस रपट को तुरंत बंद कर इसके स्थान पर स्थायी पुल या ऊंचा मार्ग बनाया जाए ताकि ऐसी दर्दनाक घटनाएं दोबारा न हों।

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मृतकों की पहचान लालाराम (34) पुत्र हजारीराम और उनकी पत्नी देवू देवी, निवासी सरली कला के रूप में हुई है। जानकारी के अनुसार, दंपती किसी काम से बालोतरा से जसोल की ओर जा रहे थे। जब वे चतुर्थ रेलवे क्रॉसिंग के पास स्थित लूणी नदी की रपट पर पहुंचे, तब नदी में पानी का बहाव काफी तेज था। बावजूद इसके उन्होंने बाइक से रपट पार करने की कोशिश की, लेकिन रपट के बीच पहुंचते ही बाइक असंतुलित हो गई और दोनों तेज धारा में बह गए।
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पास के ग्रामीणों ने यह हादसा देखा तो तुरंत पुलिस और प्रशासन को सूचना दी। कुछ ही मिनटों में सिविल डिफेंस की टीम और स्थानीय तैराक मौके पर पहुंचे और रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। करीब आधे घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद दोनों को बाहर निकाला गया और बालोतरा के जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
घटना की जानकारी मिलते ही बालोतरा एसडीएम अशोक कुमार, डीएसपी सुशील मान सहित प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचे और हालात का जायजा लिया। इस दौरान बड़ी संख्या में स्थानीय लोग भी घटनास्थल पर एकत्र हो गए।
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स्थानीय निवासियों ने एक बार फिर प्रशासन पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया है। ग्रामीणों का कहना है कि रपट पर न तो चेतावनी बोर्ड लगाए गए हैं और न ही सुरक्षा बाड़ लगाई गई है। हर साल बारिश के मौसम में इसी रपट पर हादसे होते हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
एक ग्रामीण ने बताया, “हम बार-बार प्रशासन को चेतावनी देते आए हैं कि लूणी नदी की यह रपट लोगों की जान ले रही है, लेकिन आज तक कोई स्थायी समाधान नहीं किया गया। अगर समय रहते पुख्ता इंतजाम होते तो शायद आज यह दंपती ज़िंदा होते।”
गौरतलब है कि यह वही जगह है जहाँ 28 अगस्त को एक जीप नदी में बह गई थी, जिसमें 6 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें 8 महीने का एक मासूम बच्चा भी शामिल था। हादसे को एक महीना बीत जाने के बाद भी उस बच्चे का शव अब तक नहीं मिल पाया है।
बार-बार हो रहे इन हादसों के बावजूद प्रशासनिक सुस्ती अब गंभीर सवालों के घेरे में है। स्थानीय लोगों की मांग है कि इस रपट को तुरंत बंद कर इसके स्थान पर स्थायी पुल या ऊंचा मार्ग बनाया जाए ताकि ऐसी दर्दनाक घटनाएं दोबारा न हों।